Tuesday 16 September 2014

क्या माकपा और क्या भाकपा दोनों का एक ही हाल है---विजय राजबली माथुर

एक जिम्मेदार ओहदे पर होते हुये भी एक एथीस्ट साहब मेरे विरुद्ध कुत्सित भ्रामक प्रचार करने में संलिप्त रहते हैं। पार्टी हित में उनका कदम कितना अनुकूल है? वह इसी प्रकार हतोत्साहित करके पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न करने में मशगूल रहते हैं। क्या उनके प्रयास पार्टी को मजबूत करने वाले हैं? जिस बयान को वह मेरी लेखनी बता रहे हैं उसके विचारों से मैं पूरी तरह असहमत हूँ और यह बात मैंने बयानदाता भाकपा प्रत्याशी को स्पष्ट भी कर दी थी। किन्तु आदित्यनाथ का प्रतिवाद होने के कारण उसे मैंने भी शेयर कर दिया था।
लेकिन हिंदूमहासभा और आर एस एस के प्रखर नेता व सांसद आदित्यनाथ का बचाव करने हेतु कम्युनिस्ट रूप धारी ढ़ोंगी पोंगा-पंडितवाद के संरक्षक ने जिस प्रकार व्यक्तिगत रूप से मेरा नाम लेकर मेरे ऊपर प्रहार किया है वह अकारण नहीं है। क्योंकि मैं उस ढ़ोंगी द्वारा उपेक्षित किए जाने वाले अपने वरिष्ठ नेता गण -कामरेड ए बी वर्द्धन साहब और कामरेड अतुल अंजान साहब के बयानों को अपने ब्लाग्स में ससम्मान स्थान देता हूँ और पार्टी ओहदे से निजी अवैध कमाई करने वाला और मूल रूप से आर एस एस से सहानुभूति रखने वाला यह पोंगापंडितवादी अपने ही दल के इन वरिष्ठ नेताओं के प्रति घृणा भाव से ग्रसित है तब उसके लिए मैं किस खेत की मूली हूँ?*
— with Vijai Raj Vidrohi and 10 others.
  • Wednesday, 11 September 2013


    यह नया ब्लाग क्यों बना?---विजय राजबली माथुर

    मैंने 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' ब्लाग में पाँच सितंबर 2013 को कामरेड अतुल अंजान साहब की मऊ  में सम्पन्न रैली के समाचार की कटिंग देते हुये एक पोस्ट निकाली थी। इस पोस्ट को प्रदीप तिवारी साहब ने इसलिए हटा दिया क्योंकि वह अपने राष्ट्रीय सचिव कामरेड  अतुल अंजान साहब को व्यक्तिगत रूप से  नापसंद करते हैं। इतना ही नहीं इस पोस्ट के प्रकाशन का दायित्व मेरा था इसलिए मुझको भी ब्लाग एडमिन एंड आथरशिप से हटा दिया। 

    पिछले छह वर्षों से उक्त ब्लाग संचालित हो रहा है परंतु पी टी साहब ने न तो पूर्व और न ही वर्तमान प्रदेश सचिव कामरेड को ब्लाग एडमिन बनाया था। मैंने न केवल प्रदेश सचिव कामरेड डॉ गिरीश को बल्कि प्रदेश सह सचिव कामरेड  डॉ अरविंद राज स्वरूप को भी ब्लाग एडमिन एंड आथर बनने का निवेदन किया जिसे उन दोनों ने स्वीकार कर लिया था। यह भी एक कारण प्रदीप तिवारी द्वारा मुझसे खार खाने का था जो मुझे हटाने का हेतु बना क्योंकि वह पार्टी ब्लाग व पार्टी अखबार को खुद की निजी मिल्कियत समझते हैं । अतः यह नया ब्लाग अस्तित्व में आया  जिसके द्वारा अपने राष्ट्रीय नेताओं के विचारों को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।  http://communistvijai.blogspot.in/2013/09/blog-post_11.html

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