Wednesday 20 July 2016

वे साज़िश करेंगे और हम संघर्ष: लड़ेंगे, जीतेंगे ------ कन्हैया कुमार







Kanhaiya Kumar
आंबेडकर के विचारों की हत्या करने वाले लोग दलितों को गौरक्षा के नाम पर मार रहे हैं, महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा रहा है।दलितों के लिए उनके मन में कितनी नफ़रत है यह बात आंबेडकर भवन को गिराने की उनकी कोशिश से भी समझ में आती है। जिस भवन के लिए इंजीनियरों ने मामूली मरम्मत का सुझाव दिया है, उसे गिराकर 17 मज़िलों वाली इमारत बनाने की बात कहना असल में आंबेडकर के कई आंदोलनों का गवाह रहे भवन को जनता की स्मृति से मिटाने की साज़िश के अलावा और कुछ नहीं है। 25 जून को जब कायरों की तरह रात के अँधेरे में आंबेडकर भवन को गिराने की कोशिश की गई तो आंबेडकर की कई पांडुलिपियाँ बारिश में बाहर फेंक दिए जाने के कारण भीग गईं और कुछ बुरी तरह फट गईं। आंबेडकर की यादों से जुड़ी प्रिंटिंग मशीन को भी नहीं छोड़ा गया। आंबेडकर से जुड़ी चीज़ों की ऐसी दुर्दशा देखकर करोड़ों भारतीयों को दुख हुआ है। संघियों को उनके ग़ुस्से का अंदाज़ा नहीं है।
संघियों का इतिहास साज़िशों का इतिहास है। जो संघर्ष नहीं कर सकता, वह साज़िश ही करेगा। पहले महाराष्ट्र के सूचना आयुक्त रत्नाकर गायकवाड़ को तमाम नियम-कायदों को ताक पर रखकर पीपुल्स इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में शामिल करके आंबेडकर भवन को हड़पने की कोशिश की गई। जब बात नहीं बनी तो इस भवन को गिराने का षड्यंत्र रचा गया।
आंबेडकर भवन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे प्रकाश आंबेडकर को जिस तरह घेरा जा रहा है उससे साफ़ पता चलता है कि संघियों के असली इरादे क्या हैं। जो लोग आंबेडकर की राह पर चलने की बात करते हैं लेकिन अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए भाजपा का दामन थाम लिया है, उनलोगों ने न केवल शोषितों के आंदोलन को कमज़ोर किया बल्कि प्रकाश आंबेडकर जैसे लोगों के संघर्ष को और ज़्यादा जटिल बना दिया। जिस समय संगठित होकर संघियों का मुकाबला करना था, उस समय वे संघियों को ही मज़बूत बना रहे हैं।
आज जो लोग आंबेडकर भवन को बचाने की लड़ाई में शामिल होने के लिए सड़कों पर निकले हैं वे जानते हैं कि इस भवन की भारत के इतिहास में क्या अहमियत है। जहाँ आंबेडकर ने बहिष्कृत भारत जैसा अख़बार निकाला, जहाँ रोहित वेमुला की माँ और भाई ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया, जहाँ दलितों ने मनुवाद से लड़ने के लिए न जाने कितने आंदोलनों की शुरुआत की, वहाँ संघियों का कब्ज़ा होने की बात से ही हमें कितनी परेशानी हो सकती है यह जानना मुश्किल नहीं है। वे साज़िश करेंगे और हम संघर्ष। लड़ेंगे, जीतेंगे।
https://www.facebook.com/kanhaiya.kumar.14289/posts/1158300530859278

कन्हैया कुमार की जमानत रद्द कराने की साजिश क्यों ? ------ रोशन सुचान

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Tuesday, 19 Jul, 7.24 pm 
राजद्रोह के मामले की जांच में बाधा पैदा नहीं कर रहे कन्हैया : दिल्‍ली हाई कोर्ट :
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि ऐसा नहीं लगता कि जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) अध्यक्ष कन्हैया कुमार राजद्रोह के मामले की छानबीन में बाधा पैदा कर रहे हैं. अदालत ने पुलसि से जानना चाहा कि क्या ऐसे हालात हैं कि कन्हैया को मिली अंतरिम जमानत रद्द करने की जरुरत है.
इस मामले में दिल्ली पुलसि की पैरवी के लिए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त किए गए वकील शैलेंद्र बब्बर से न्यायमूर्ति पी एस तेजी ने पूछा, ''जब आपकी जांच सही से चल रही है, तो ऐसा क्या है कि (कन्हैया की) जमानत रद्द कराने की जरुरत है ? वह चल रही जांच में कोई बाधा पैदा नहीं कर रहे.' अदालत के सवाल का जवाब देते हुए बब्बर ने कहा कि जमानत रद्द करने के लिए पुलसि की ओर से कोई अर्जी दाखिल नहीं की गई है.
सुनवाई के दौरान बब्बर ने कहा, ''हम इसकी (जमानत रद्द करने की) मांग नहीं कर रहे.' कुछ निजी व्यक्तियों ने कन्हैया को दी गई छह महीने की अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग की है. अर्जी दाखिल करने वालों ने इस आधार पर जमानत रद्द करने की मांग की है कि मार्च में तिहाड जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने जो भाषण दिया वह ''राष्ट्र विरोधी' था और उन्होंने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है.
उच्च न्यायालय ने दो मार्च को कन्हैया को अंतरिम जमानत दी थी. बीते नौ फरवरी को जेएनयू परसिर में हुए एक विवादित कार्यक्रम में कथित तौर पर देश विरोधी नारेबाजी के मामले में कन्हैया पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने अर्जियों पर जवाब दाखिल न करने पर उस वक्त पुलसि की खिंचाई भी की जब बब्बर ने बताया कि उन्होंने मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है.
बब्बर ने कहा, ''स्थिति रिपोर्ट के रुप में यह एक जवाब है.' इस पर न्यायाधीश ने कहा, ''मुझे जवाब चाहिए, स्थिति रिपोर्ट नहीं. पिछली बार साफ कर दिया गया था कि आपको जवाब देना है, स्थिति रिपोर्ट नहीं.' अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि नौ अगस्त तय की.
http://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/prabhat-khabar-epaper-prabhatkhabar/rajadroh-ke-mamale-ki-janch-me-badha-paida-nahi-kar-rahe-kanhaiya--dilli-hai-kort-newsid-55703591
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मुंबई में लाखों लोगों के प्रदर्शन में AISF नेता और JNU छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया 
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Roshan Suchan
19 जुलाई 2016 
अंबेडकर भवन को गिराए जाने के विरोध में मुंबई में आज लाखों दलित लोग सड़कों पे उतर आए और जोरदार प्रदर्शन किया जिससे सड़कें जाम हो गईं.कन्हैया कुमार ने प्रदर्शन में शामिल हो रहे लोगों को संबोधित किया. भारी बारिश के बीच रैली को सीताराम येचुरी और बाबा साहेब के पोते प्रकाश आंबेडकर ने भी सम्बोधित किया | इस दौरान कन्हैया के ‘आजादी’ वाले नारे गूंजते रहे ......
मोदी और संघ का दलितों पे अत्याचार नहीं सहेंगे 
बाबा साहब का अपमान नहीं सहेंगे 

जय भीम ! लाल सलाम !!
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=1171622322902613&id=100001645680180
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दिल्ली हाई कोर्ट से जे एन यू एस यू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की अन्तरिम जमानत रद्द करने हेतु दी गई पिटीशन्स पर दिल्ली हाई कोर्ट को दिल्ली पुलिस के SPP ने बताया कि उनकी ओर से ऐसी कोई मांग नहीं है। वस्तुतः कन्हैया को फर्जी तौर पर केंद्र सरकार ने फंसाया था तो पुलिस सबूत कहाँ से लाये? अतः अपने संगठनों की ओर से पिटीशन इसलिए दिलवाई है क्योंकि जनता में निरंतर कन्हैया की लोकप्रियता में वृद्धि हो रही है। जब दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत रद्द करने की पिटीशन पर चर्चा हो रही थी वह मुंबई में लाखों लोगों को संबोधित कर रहे थे जिनके चित्र रोशन सुचान जी के सौजन्य से उपलब्ध हैं। कन्हैया को यह जन-समर्थन ही षड्यंत्रकारियों को साल रहा है। 
(विजय राजबली माथुर )
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Friday 8 July 2016

हिंदुस्तान बनाम संघिस्तान की इस लड़ाई में जीत हिंदुस्तान की होगी ------ कन्हैया कुमार








*** विगत 30 जून 2016 को जेल यात्रा के बाद पहली बार अपने गृह ज़िले बेगूसराय पहुंचे जे एन यू एस यू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कोलेजियट स्कूल के खचाखच भरे मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुये बताया कि, उनकी लड़ाई शिक्षा को बचाने की है । शिक्षा बचेगी तभी देश बचेगा। उन्होने इस लड़ाई को हिंदुस्तान बनाम संघिस्तान की लड़ाई की संज्ञा दी और जनता को आश्वासन दिया कि, इसमें जीत हिंदुस्तान की होगी। उन्होने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के शहीद स्कालर रोहित वेमुला को अपना आदर्श बताया और उनको न्याय दिलाने तक संघर्ष करने का ऐलान किया।  उन्होने शहीद भगत सिंह, बिरसा मुंडा, ज्योतिबा फुले आदि स्वाधीनता सेनानियों के संघर्ष-पथ का स्वम्य को अनुगामी बताया । उनके भाषण के कुछ प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं किन्तु पूरे भाषण को संलग्न वीडियो द्वारा सुना जा सकता है। *** 

बेगूसराय की धरती ने दिनकर, आर.एस. शर्मा, सूर्यनारायण सिंह, चंदेश्वरी सिंह जैसे न जाने कितने रत्न पैदा किए हैं। यह धरती शहीदों के ख़ून से न जाने कितनी बार लाल हुई है। इसी धरती ने बचपन से ही मुझे देश समाज के हित में कार्य करने की प्रेरणा दी है और हर पल शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने की ताकत दी है। यह धरती राष्ट्रकवि पैदा करती है, राष्ट्रद्रोही नहीं। बेगूसराय की जो धरती आर.एस. शर्मा जैसा इतिहासकार पैदा करती है, उस धरती के लोग सरकार को न तो देश का इतिहास बदलने देंगे, न ही गंगा-जमुनी तहज़ीब को नेस्तनाबूद करने देंगे । गंगा के किनारे पैदा हुआ, यमुना के किनारे पढ़ता हूँ और इस तहज़ीब को बखूबी समझता हूँ I इसी तहज़ीब को बचाए रखने के लिए..... लड़ेंगे, जीतेंगे I***********
*************मोदी ने चाय बेची या नहीं यह हमें नहीं मालूम, मगर उनका यही रवैया रहा तो वे एक दिन देश ज़रूर बेच देंगे। ईस्ट इंडिया कंपनी और 'मोदी ऐंड कंपनी' में कोई अंतर नहीं रह गया है। जो लोग मटन बदल देने से, वीडियो बदल देने से सोचते हैं कि देश बदल रहा है, वे जनता को बेवकूफ़ समझने की भूल कर रहे हैं। जब एक-एक चीज़ राजनीति से तय हो रही है, तोे आपको अपनी राजनीति तय करनी पड़ेगी। दुबले-मोटे, ग़रीब-अमीर, सबके वोट की क़ीमत में जब कोई फ़र्क नहीं है, तो उनके बाल-बच्चों की शिक्षा में फ़र्क क्यों?
जब तक आप जैसे चाहने वाले, सच बोलने पर पीठ ठोकने वाले हमारे भाई- बहन, दोस्त-अभिभावक हमारे साथ हैं, हमारा हौसला कभी कमज़ोर नहीं होने वाला। हम 'सबको शिक्षा, सबको काम' की लड़ाई मुस्तैदी से लड़ते रहेंगे और सामाजिक व सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने के लिए जान की बाजी लगा देंगे, मगर इस देशविरोधी सरकार के कुकृत्यों व जनविरोधी नीतियों की असलियत बताना बंद नहीं करेंगे।
दिनकर के इन शब्दों में हमारे आंदोलन का संदेश छिपा है:
"शांति नहीं तब तक जब तक सुख-भाग न नर का सम हो
नहीं किसी को बहुत अधिक हो नहीं किसी को कम हो।"




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08-07-16

Wednesday 6 July 2016

हम छात्र एकजुटता का आह्वान करते हैं ------ राजेन्द्र प्रसाद सिंह

Rajendra Prasad Singh
प्रगतिशील विचार रोकने से नही रुकते, ये समय की आवश्यकता है, जिन हालात से देश गुज़र रहा है, ऐसे में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन (A.I.S.F) के विचार छात्रों को अपनी तरफ आकर्षित करता रहेगा.
छात्रों में आपसी प्रेम और एक दूसरे के लिए सहयोग का जज़्बा पैदा करने के लिए ये संगठन लगातार कोशिश करता रहा है, देश की आज़ादी से पहले इसकी स्थापना इसी मकसद के लिए हुई थी, की देश का छात्र वैज्ञानिक विचारों से लैस हो कर देश के निर्माण में अहम भूमिका अदा करेगा. 
देश की आज़ादी से लकर आज तक ये संगठन ये काम बड़े ही ईमानदारी से निभाता आ रहा है. ऐसे में छात्रों की एकता एकजुटता को तोड़ने वालों को ये बर्दाश्त नही हो रहा है. 
हम छात्र एकजुटता का आह्वान करते हैं.
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=278381382519919&set=a.102878133403579.1073741828.100010441772957&type=3
आने वाला समय देश हो या विदश हो, वामपंथी विचारों का होगा, क्योंकि पूंजीवाद से सारी दुनिया बुरी तरह टूट चुकी है, दुनिया में आज ख़तरे के बादल इस लिए मंडरा रहे हैं, क्योंकि पूंजीवाद बहुत बेरहम हो चुका है. 
ऐसे में भारत के सभी वामपंथी लोगों को एकजुट होकर देश में अपनी ताक़त और अपने विचारों को बढ़ाने में लग जाना चाहिए.....
 राजनीती के फसल के लुटेरे संसद की शोभा नही बढ़ा सकते इसलिए देश को जरुरत है वामपंथियों की.....
हम "नस्लीय व जातीय भेदभाव" रखने वाली पार्टी की घृणित सामाजिक-व्यवस्था" का डटकर विरोध करते है और उनके रूढ़िवादी दकियानूसी, और अंध-विश्वास पर आधारित हर तरह की सड़ी-गली सामंती-पूंजीवादी रीति-रिवाज, ढोंग, और संस्कृति को खारिज करते है. 
यह हमारी बदकिस्मती है कि हमने इस देश को धर्मो, रंगों और नस्लों में बाँट दिया है और उसी को आधार बना के सत्ता पे कब्जा करने की कोशिश होती रहती है. मैं केवल हिदुओं के हक में काम करूँगा या मैं केवल दलितों के हक में काम करूँगा या मैं केवल मुसलमानों के हक में काम करूँगा या मैं हिदुत्वावादी हूँ ,मैं सेल्कुलर हूँ जैसी बातें केवल छलावा मात्र हैं. 
हम एक बहुजातीय, बहुभाषीय, बहुधर्मीय देश भारत के नागरिक हैं और यह हमरा धर्म है की अपनी एकता और अखंडता को शांति और प्रेम सन्देश से बचाएं. साम्यवाद इंसान को विवेकवान बनता है, जनता की कीमत पर हम विचारधारा से समझौता नहीं करते क्योकि जनता ही जनतंत्र रचती है। 

जनकल्याण के लिए वामपंथियों की दरकार है....
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Monty Singh
वीर कन्हैया अपने माँ बाबू और बड़े एवम् छोटे भाई के साथ!
कन्हैया अपने घर बीहट मसनदपुर आ के सभी बड़े छोटे से मिला! सभी बड़ो से आशीर्वाद लिया ...
जो नहीं मिले उसका भी हाल चाल जाना और उनसे फ़ोन पर भी बात किया!
धन्य हैं कन्हैया के पिता "जयशंकर सिंह", माता "मीणा देवी"
बड़ा भाई " मणिकान्त",छोटा भाई"प्रिंस", बहन " जूही" और बीहट के "मसनदपुर" एवं बिहार के"बेगूसराय" की धरती जिसने ऐसे वीर सपूत देश को दिया! और धन्य है ये देश "भारत" जिसने एक सच्चा देशभक्त पैदा किया!
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(उत्तर प्रदेश और बिहार के ब्राह्मण वादी कामरेड्स भीतर ही भीतर कन्हैया कुमार के प्रयासों को पलीता लगाने का कार्य कर रहे हैं जिससे फासिस्ट शक्तियों को बल मिल रहा है। इस ओर से सतर्क रहने की बेहद ज़रूरत है क्योंकि भीतरघात काफी भयानक होती है )
--- विजय राजबली माथुर 

Friday 1 July 2016

इस गाँव के लोगो और शिक्षकों ने बस अच्छा इंसान बनना सिखाया ------ कन्हैया कुमार


Rajneesh K Jha 
जब कन्हैया पहुंचा बेगुसराय ..... (बिहार का लेनिनग्राद)
ये कोई नितीश मोदी नहीं........ कॉमरेड है भीड़ सरकारी नहीं लाल सलाम है !!
कॉमरेड लाल सलाम !!

Roshan Suchan
ये दौलत के खिलाड़ियों की भीड़ नहीं , मोदी सरकार के खिलाफ नौजवानों की बगावत है __________________________________________________________
न कोई सरकारी मशीनरी और न ही पूंजीपतियों का कोई खज़ाना फिर भी देशभर में शिक्षा और रोज़गार के सवालों पे एक बड़ा छात्र और युवा आंदोलन जन्म ले रहा है , AISF नेता और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष Kanhaiya Kumar इसका नेतृत्व कर रहे हैं। मुख्यधारा के वामपंथी जनवादी छात्र युवा संगठनों के साँझे मोर्चे में हज़ारों हज़ार लोगों का मोदी सरकार की लूट और झूठ के खिलाफ एकजुट होना नौजवानों के सुनहरी भविष्य की उम्मीद को पैदा कर रहा है (आज की बेगूसराय , बिहार की रैली में कन्हैया कुमार)
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=1159009727497206&id=100001645680180
Kanhaiya Kumar
30 जून 2016  Begusarai ·
बेगूसराय की धरती ने दिनकर, आर.एस. शर्मा, सूर्यनारायण सिंह, चंदेश्वरी सिंह जैसे न जाने कितने रत्न पैदा किए हैं। यह धरती शहीदों के ख़ून से न जाने कितनी बार लाल हुई है। इसी धरती ने बचपन से ही मुझे देश समाज के हित में कार्य करने की प्रेरणा दी है और हर पल शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने की ताकत दी है। यह धरती राष्ट्रकवि पैदा करती है, राष्ट्रद्रोही नहीं। बेगूसराय की जो धरती आर.एस. शर्मा जैसा इतिहासकार पैदा करती है, उस धरती के लोग सरकार को न तो देश का इतिहास बदलने देंगे, न ही गंगा-जमुनी तहज़ीब को नेस्तनाबूद करने देंगे । गंगा के किनारे पैदा हुआ, यमुना के किनारे पढ़ता हूँ और इस तहज़ीब को बखूबी समझता हूँ I इसी तहज़ीब को बचाए रखने के लिए..... लड़ेंगे, जीतेंगे I
‪#‎Azadi‬
https://www.facebook.com/kanhaiya.kumar.14289/posts/1146031952086136
मोदी ने चाय बेची या नहीं यह हमें नहीं मालूम, मगर उनका यही रवैया रहा तो वे एक दिन देश ज़रूर बेच देंगे। ईस्ट इंडिया कंपनी और 'मोदी ऐंड कंपनी' में कोई अंतर नहीं रह गया है। जो लोग मटन बदल देने से, वीडियो बदल देने से सोचते हैं कि देश बदल रहा है, वे जनता को बेवकूफ़ समझने की भूल कर रहे हैं। जब एक-एक चीज़ राजनीति से तय हो रही है, तोे आपको अपनी राजनीति तय करनी पड़ेगी। दुबले-मोटे, ग़रीब-अमीर, सबके वोट की क़ीमत में जब कोई फ़र्क नहीं है, तो उनके बाल-बच्चों की शिक्षा में फ़र्क क्यों?
जब तक आप जैसे चाहने वाले, सच बोलने पर पीठ ठोकने वाले हमारे भाई- बहन, दोस्त-अभिभावक हमारे साथ हैं, हमारा हौसला कभी कमज़ोर नहीं होने वाला। हम 'सबको शिक्षा, सबको काम' की लड़ाई मुस्तैदी से लड़ते रहेंगे और सामाजिक व सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने के लिए जान की बाजी लगा देंगे, मगर इस देशविरोधी सरकार के कुकृत्यों व जनविरोधी नीतियों की असलियत बताना बंद नहीं करेंगे।
दिनकर के इन शब्दों में हमारे आंदोलन का संदेश छिपा है:
"शांति नहीं तब तक जब तक सुख-भाग न नर का सम हो
नहीं किसी को बहुत अधिक हो नहीं किसी को कम हो।"
‪#‎Azadi‬
https://www.facebook.com/kanhaiya.kumar.14289/posts/1145983708757627




Kanhaiya Kumar

मेरे गाँव बीहट की गलियाँ, घर अाँगन, खेत, विद्यालय और बचपन की यादें....इस गाँव के लोगो और शिक्षकों ने केवल सफलता को जीवन का लक्ष्य मानने की शिक्षा कभी नहीं दी। बस अच्छा इंसान बनना सिखाया। समाज के प्रति ज़िम्मेदारी को हमेशा याद रखने का पाठ पढ़ाया। अभाव को कभी ख़ुशी के रास्ते में नहीं आने दिया। ज़्यादा क्या लिखूँ, लिखा भी नहीं जा रहा...
https://www.facebook.com/kanhaiya.kumar.14289/posts/1146327455389919