दो साल पहले तक .... इस प्रतिनिधि से तीखे सवाल पूछना तो दूर, उससे बात भी नहीं कर सकते थे। तात्पर्य यह कि चीनी कम्यूनिस्टों को अपने सामने मौजूद चुनौतियों का अंदाजा है। वे जानते हैं कि कंबल ओढ़कर घी पीते रहने के दिन अब जा चुके हैं। पूर्व सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव की तरह पेरेस्त्रोइका
और ग्लासनोस्त जैसे रेडिकल सुधारों का खतरनाक रास्ता वे कभी नहीं अपनाएंगे,
लेकिन अपने सत्ता ढांचे को तकनीकी खोजों
और जन आकांक्षाओं के अनुरूप ढालने का यथासंभव प्रयास वे जरूर करेंगे।
और ग्लासनोस्त जैसे रेडिकल सुधारों का खतरनाक रास्ता वे कभी नहीं अपनाएंगे,
लेकिन अपने सत्ता ढांचे को तकनीकी खोजों
और जन आकांक्षाओं के अनुरूप ढालने का यथासंभव प्रयास वे जरूर करेंगे।
http://epaper.navbharattimes.com/details/4715-76942-1.html |
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