Sunday 1 May 2016

लखनऊ में मई दिवस रैली व सभा

आज मई दिवस के शुभावसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रस्ट्रीय सचिव कॉम. अतुल कुमार अंजान नगर निगम, लखनऊ , मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए














लखनऊ, 01 मई 2016 :
आज साँय चार बजे से लखनऊ नगर निगम कार्यालय पर एटक,सीटू,एकटू, बैंक, बिजली, राज्य कर्मचारियों, प्राइवेट आटो चालक यूनियन, ई- रिक्शा यूनियन आदि के संयुक्त तत्वावधान में  एकत्र मजदूर साथियों  का मई जुलूस  प्रारम्भ हुआ जो जी पी ओ, हजरतगंज बाज़ार, लालबाग, होता हुआ वापस  नगरनिगम कार्यालय पर आकर सभा में परिवर्तित हो गया। 

जुलूस में शामिल अन्य लोगों के अतिरिक्त  अरविंद राज स्वरूप, आर एस बाजपेयी, चंद्रशेखर, रामेश्वर प्रसाद यादव,के के शुक्ल, ओ पी सिन्हा, रामचन्द्र, कल्पना पांडे, राम इकबाल उपाध्याय,  अकरम खान,शरीफ और  विजय माथुर भी रहे। 

सभा की अध्यक्षता सदरुद्दीन राणा ने की उनके साथ मंचासीन थे डॉ वी के सिंह,  सीपीआई एवं किसान सभा नेता कॉम अतुल कुमार अन्जान , अरविंद राज स्वरूप, आर एस बाजपेयी आदि। 

एटक संरक्षक एवं भाकपा, उ प्र के राज्य सह-सचिव कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने अपने उद्बोद्धन द्वारा सभा का प्रारम्भ किया और 01 मई 1886 की  शिकागो की घटना का उल्लेख करते हुये मजदूरों की वर्तमान समस्याओं पर प्रकाश डालते हुये व्यापक मजदूर एकता की मांग उठाई। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष आर एस बाजपेयी ने भी मज़दूर एकता का समर्थन करते हुये इसे आज की एक अनिवार्य आवश्यकता बताया। अन्य वक्ताओं ने भी इसी दिशा में अपनी बातें प्रस्तुत कीं। 
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव व किसानसभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल कुमार अंजान ने 1886 के शहीदों को श्रद्धा नमन करते हुये मजदूर साथियों को मई दिवस की शुभकामनायें दीं। साथ ही साथ उन्होने चेतावनी भी दी कि, यदि अब भी संगठित क्षेत्र के मजदूरों ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए संघर्ष नहीं किया तो धीरे-धीरे संगठित क्षेत्र समाप्त होता जाएगा और संविदा मजदूर उनका स्थान लेते जाएँगे और संगठित क्षेत्र का मजदूर भी जाति - धर्म के खेमों में बंट कर अपना अस्तित्व खोता  जाएगा। 2003 में बाजपेयी सरकार ने कर्मचारी पेंशन को समाप्त कर दिया था अब उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा समाप्त हो चुकी है। उनका कहना था कि न केवल मजदूरों वरन किसानों तथा खेत मजदूरों को भी एकजुट करना होगा और उनको वैज्ञानिक समाजवाद की ओर मोड़ने के लिए जाति वादी व सांप्रदायिक शक्तियों से संघर्ष करना होगा। विभिन्न मजदूर यूनियनों से शुरुआत करके सभी वैज्ञानिक समाजवाद समर्थक शक्तियों की एकता के बगैर जनता का जीवन निरंतर कष्टप्रद होता जाएगा। 

कामरेड अंजान के उद्बोधन के बाद इप्टा कलाकारों ने कामरेड उदयवीर सिंह के निर्देशन में नाटक 'अच्छे दिन' की सराहनीय प्रस्तुति की। नाटक के बाद सदरुद्दीन राणा साहब ने सभा समापन की घोषणा की। 



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