Jagadishwar Chaturvedi
09 May 2016 ·
कल 10 तारीख को JNU एकेडमिक कौंसिल की मीटिंग है।यह वीसी की परीक्षा का एक और दिन है।यह छात्रों-शिक्षकों की एकता के प्रदर्शन का दिन भी है।हमें देखना होगा कि किस तरह अकादमिक परिषद के मेम्बर छात्रों के पक्ष में खड़े होते हैं।आज यदि कन्हैया कुमार थोड़ा सा भी स्वस्थ है तो उसे इस मीटिंग में जरूर रहना चाहिए।वरना उपाध्यक्ष,महासचिव और संयुक्त सचिव रहेंगे।ऐसी स्थिति में छात्रों की राय के विभाजित होने के चांस हैं।
विद्यार्थी परिषद के लोग वीसी से और कड़े दण्ड की मांग कर रहे हैं,जबकि छात्रसंघ की मांग है उच्चस्तरीयजांच समिति की इकतरफा जांच के आधार पर 9फरवरी के घटनाक्रम को लेकर जेएनयूएसयू के पदाधिकारियों और अन्य छात्रों के खिलाफ जो सजा सुनाई गयी है उसे वापस लिया जाय और कैंपस में सामान्य स्थिति बहाल की जाय।
हम वीसी से मांग करते हैं कि 9फरवरी की घटना को वे अपनी और आरएसएस की नाक का सवाल न बनाएं।जेएनयू प्रशासन को इस मामले में पक्षधरता त्याग करके छात्रों के हितों के संरक्षक की भूमिका निभानी चाहिए।यदि आज प्रशासन ने फैसला वापस नहीं लिया तो जेएनयू स्थायी तौर एक गहरे संकट में फंस जाएगा और वीसी को सामान्यतौर पर काम करने में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।9फरवरी की घटना को लेकर जेएनयू प्रशासन का रूख बेहद खराब ,राजनीतिकदृष्टि से पक्षपातपूर्ण और छात्रविरोधी रहा है। यदि वीसी आज अपने फैसले को वापस नहीं लेते तो शिक्षकों को और सख्त कदम उठाने के बारे में सोचना चाहिए और छात्रों को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त करके नए कदम उठाने के बारे में विश्वविद्यालय की आमसभा बुलानी चाहिए और छात्रों की राय लेनी चाहिए।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की अनशन रत संमाँजवादी अध्यक्ष ऋचा सिंह को समर्थन देते उ प्र भाकपा के नेतागण |
वस्तुतः क्रूर-कपटी,निर्मम,निष्ठुर और निर्लज सरकार के विरुद्ध 'अनशन' एक कारगर हथियार नहीं है। जे एन यू और इलाहाबाद के छात्रों को गुमराह करके अनशन करवाया गया है जो गलत निर्णय था।------
(विजय राजबली माथुर )
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