Sunday 9 June 2019

कामरेड राम स्वरूप दीक्षित : एक स्मरण ------ विजय राजबली माथुर


जब 1986 में मैं भाकपा में शामिल हुआ था तब कामरेड राम स्वरूप दीक्षित AICP ,  आगरा के जिलामंत्री थे। लेकिन भाकपा के कई कार्यक्रमों में उनसे मुलाक़ात होती रहती थी। जूनियर डाक्टरों की हड़ताल के समर्थन में निकाले गए मशाल जुलूस में भी वह शामिल हुये थे और भाकपा नेताओं के साथ उनको भी जेल भेज दिया गया था। इस प्रकार डाक्टरों के आंदोलन को CPI तथा AICP के साथ देने से डाक्टरों के साथ - साथ दोनों दलों के नेता भी जेल चले गए थे , मजदूर भवन, नूनिहाई से रोजाना मजदूरों के जत्थे  जेल जा रहे थे। राजामण्डी बाजार स्थित भाकपा कार्यालय में सहायक जिलामंत्री डॉ महेश चंद्र शर्मा को कार्यालय कार्य में सहयोग देने हेतु भी पूर्ववत  मैं रोजाना जाता रहा था। बाजार के दूकानदारों की गवाही पुलिस प्रशासन के झूठे आरोप के खिलाफ कम्युनिस्ट नेताओं के पक्ष में रही और सभी नेता व कार्यकर्ता  आरोपमुक्त होकर रिहा हो गए थे। पार्टी कार्यालय में सभी गिरफ्तारी देने वालों का सम्मान किया गया था और CPI कामरेड्स के साथ - साथ AICP नेता कामरेड राम स्वरूप दीक्षित व कामरेड अब्दुल रज़्ज़ाक़ खाँ का भी सम्मान हुआ था। बाद में ये दोनों CPI में ही शामिल हो गए थे और इन दोनों से ही हमारे व्यक्तिगत संबंध उसी प्रकार हो गए थे जिस प्रकार और कुछ कामरेड्स से पहले से थे।
कामरेड राम स्वरूप दीक्षित अक्सर हमारे निवास कमला नगर भी मिलने आ जाते थे , हम तो उनके निवास पर जाते ही रहते थे। उनसे राजनीतिक और पार्टीगत चर्चा के साथ - साथ व्यक्तिगत वार्ता भी होती रहती थी।कामरेड राम स्वरूप दीक्षित इस वक्त भकपा के एक राष्ट्रीय सचिव कामरेड D Raja के साथ AISF में काम कर चुके थे इसलिए जब वह ' बचाओ भारत, बदलो भारत ' जत्थे के आगमन पर शहीद स्मारक, संजय प्लेस , आगरा आए थे तब सार्वजनिक रूप से भी उनसे आत्मीयता से मिले थे। उस समय  कामरेड D Raja के भाषण का हिन्दी अनुवाद कामरेड जितेंद्र रघुवंशी ने किया था उनसे भी हमारे व्यक्तिगत संबंध मधुर थे। 
बीच में कुछ समय जब मैं कामरेड मित्रसेन यादव और कामरेड राम चंद्र बख्श सिंह के साथ ' सपा ' में था तब भी  कामरेड राम स्वरूप दीक्षित और मेरा  एक दूसरे के घरों पर आना - जाना होता रहता था। एक बार कई दलों के संयुक्त प्रदर्शन - धरना कार्यक्रम में आगरा कलेक्टरेट पर कामरेड राम स्वरूप दीक्षित को अध्यक्ष चुना गया था उस समय सपा में होते हुये भी मुझे  उन्होने अपने साथ मंच पर बैठा लिया था। 
उनके एक पुत्र और एक पुत्री के विवाह कार्यक्रम में भी हम परिवार सहित शामिल हुये थे। पार्टी के बड़े नेताओं की गतिविधियों के संबंध में बहुत सारी जानकारी हमें उनसे ही प्राप्त होती रहती थी। जून 1992 में हम लोग उनको आगरा भाकपा का जिलामंत्री बनवाना चाहते थे किन्तु वह अपने व्यावसायिक ट्रिप पर होने के कारण सम्मेलन में उपस्थित न हो सके थे।लेकिन उसके 20 वर्ष बाद 2012 में (  मेरे लखनऊ  आने के 3 वर्ष बाद ) उनको आगरा भाकपा का जिलामंत्री चुना गया था जिस पद पर वह 2015 तक रहे। यदि 1992 में ही वह आगरा भाकपा के जिलामंत्री बन जाते तब मैं 1994 में सपा में न गया होता।बाद में उन्होने खुद ही माना भी था कि उनको सबकी बात मान लेनी चाहिए थी लेकिन मस्त स्वभाव के होने के कारण वह किसी की किसी बात का बुरा नहीं माना करते थे। उनके निधन की सूचना से मुझे निजी रूप से वेदना हुई है। उनको सादर श्रद्धांजली।  

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