Friday 4 November 2016

जयशंकर प्रसाद सिंह ने जो दौलत कमाई वो आदर्श है हमारे लिए ----- राम कृष्ण



की सबसे बड़ी कमाई ।

राम कृष्ण
Begusarai
आज तीन बजे इस दुनिया को अलविदा कर गये कामरेड जयशंकर प्रसाद सिंह ।जब कामरेड बीमार थे तब मैंने उनके व्यक्तित्व पर लिखा था।कामरेड जयशंकर सिंह के बारे मे आप जानिए कि वो उनका व्यक्तित्व कितना शानदार और महान था।हमें उनके व्यक्तित्व और जीवनशैली से सीखने की जरूरत है ।
कन्हैया के पिता जयशंकर प्रसाद सिंह आखिरी सांस ले रहे हैं ।अभी उनको आक्सीजन लगाया गया है ।किसी भी पल उनकी सांसे उनका साथ छोड़ देगी।यो तो जो आया है वो जायेगा यही प्रकृति का नियम है ।जयशंकर सिंह सारी जिंदगी मेहनत मजदूरी करते रहें परिवार चलाने के लिए मगर एक घर तक नही बना पाये।विरासत में जो खपरैल का घर मिला उसकी मरम्मत तक नहीं करवा सके ।तीन बेटा और एक बेटी को उन्होंने उच्च शिक्षा दिलवाया।बच्चों को पढाने और उनके मुँह में निवाला देने के लिए जयशंकर सिंह ने ड्राइवर की नौकरी की और ट्रक से बालू और गिट्टी उतारने वाले मजदूर की नौकरी भी की मगर इस बात का उन्हें कोई मलाल नहीं था ।उनके साथ काम करने वाले लोगों ने अपने जमीर को बेचकर करोड़पति हो गये मगर जयशंकर सिंह ने अपने स्वाभिमान और जमीर को कभी बिकने नहीं दिया ।अपने सारे अरमानो को अपने परिवार पर कुर्बान कर दिया ।खुद भूखे रहे मगर बच्चों को अहसास नहीं होने दिया किसी चीज का,खुद चिथरो में रहे लेकिन बेटो को नया कपड़ा दिलवाया।जयशंकर सिंह अगर जिस दिन बिमार पड़ जाते उस दिन घर में चुल्हा नहीं जलने की स्थिति उतपन्न हो जाती थी।लेकिन जयशंकर सिंह ने कभी कोई गलत रास्ता नहीं अपनाया कभी दुनिया की चमक दमक देखकर इनका कदम नही डगमगाया,कभी महलो के ख्वाब नहीं देखे ।कभी अपने ईमान का सौदा नहीं किया और ना ही किसी के आगे हाथ फैलाया,कन्हैया के जेल जाने के बाद बहुत से लोगों ने आर्थिक मदद देने की पेशकश की लेकिन उसे ठुकरा दिया ।
आज से पाँच साल पहले जयशंकर प्रसाद सिंह लकवाग्रस्त हो गये।लकवा की वजह से ना वो चल सकते थे ना कोई काम कर सकते थे ।मगर जिस प्रकार जयशंकर सिंह ने अपने बच्चों की खातिर अपनी अरमानो को दबा लिया था।ठीक उसी प्रकार उनका बेटा अपने पिता को गोद मे लेकर श्रवण कुमार की तरह पटना से लेकर दिल्ली तक ईलाज करवाया ।जैसे बाप ने बेटे की परवरिश के लिए अपना लहू पानी की तरह बहाया वैसे ही बेटा ने बाप की इलाज के अपना लहू पानी की तरह बहाया ।
मैंने देखा है लोग अनैतिक तरिके से कितने लोगों के हको को लूट कर अरबो कमा लेते हैं ।और उनके बेटे उन्हें एक लोटा पानी भी नहीं देता है ।अरबों कमाकर देने के बावजूद बेटा बेईमान कहता हैं ।पतोहू गाली देती है ।मैंने लोगों की बहुओ को यह कहते सुना है बुढबा इतना बड़ा घर बनाया है यह खयाल नहीं रखा बटवारा कैसे होगा।करोड़ों कमाने वाले या तो नौकरो के मोहताज रहते हैं या खुद बनाकर खाते है ।उनके बच्चों में लड़ाई होती है संपत्ति को लेकर और बाप को उसके बच्चे बेईमान ठहराते है ।करोड़ों कमाने वाले का बेटा कहता हैं उसको ये दे दिया हमको कुछ नही ।करोड़ों कमाने वाले का बेटा बाप की शिकायत मुहल्ले और रिश्तेदारों में घूम घूम कर करता हैं ।
वही जयशंकर सिंह ने अपने बच्चों के परवरिश में अपना लहू पानी की तरह बहाये थे ।और उनका बेटा अपने पिता के ईलाज में अपना लहू पानी की तरह बहाकर ईलाज करवाते रहा।बाप ने जैसे खुद चिथड़े पहनकर बेटे को नया कपड़ा पहनाते थे।बेटा भी बाप के सेवा में कोई कसर नही छोड़ा ।बाप ने कभी बेटा को नहलाया था कपड़ा पहनाया था बेटा भी बाप को नहलाने कपड़ा पहनाने से लेकर पैखाना फेकने तक से पीछा नहीं हटा।
अमीर कौन ? जिसने करोड़ों कमाया और आज उसके बच्चे भी उसे बेईमान कहते हैं या जयशंकर प्रसाद जो सारी जिंदगी मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार को खड़ा किए और गंभीर परिस्थितियों में उनका परिवार उनके साथ खड़ा रहा ।मेरी नजर में सबसे बड़ी दौलत जयशंकर प्रसाद सिंह ने कमाया।भले ही महल उन्होंने तैयार नहीं किया लेकिन जो दौलत उन्होंने कमायी वो आदर्श है हमारे लिए ।
महलो मे साजिशे होती है मगर झोपड़ी में प्यार पलता हैं और यह प्यार जयशंकर सिंह की पूंजी है और दुनिया की सबसे बड़ी कमाई ।
आज जब जयशंकर सिंह को देखने उनके घर गया तो उनका एक बेटा बाप का सर अपने गोद में रखे हुए था और ऐसा लगता था कि उसकी आंखों से आंसू की धारा बह रही हो बड़ा बेटा शरीर को सहला रहा था।बेटी पंखा झल रही थी और उनकी पत्नी बेटो के के सर पर हाथ फेर रही थी।सभी एक दूसरे को संभालने का भरपूर प्रयास कर रहे थे।लेकिन ये आंखे कहां मानती यह छलक ही पड़ती हैं ।खुद को जितना भी सम्भालने की कोशिश करते आंख भर ही आती हैं ।मैं इस परिवार का प्यार और अपनत्व देखकर मेरी आंखे छलक पड़ी और राम लक्ष्मण भरत शत्रुधन की तरह भाईयो का प्यार इनके बच्चों में है।
जयशंकर प्रसाद सिंह के बेटों के चेहरे पर पिता के खोने का डर आँसू की शक्ल में बाहर आ रहा था।कन्हैया पर क्या बीत रही होगी कह नही सकता ।कन्हैया भी शाम तक आ रहे हैं ।
कामरेड जयशंकर प्रसाद सिंह आप सारी जिंदगी जिस शोषण की चक्की में पिसते रहे हैं ।इस देश की अस्सी फीसदी आबादी शोषण की उसी चक्की में पिस रहा है और उस शोषण की चक्की को आपका बेटा ध्वस्त कर देगा।आप कन्हैया के ही पिता नहीं है आप सच्चे मायनों में राष्ट्रपिता है ।कुछ लोग कहते हैं कन्हैया गरीब भूखमरी शोषण पर अच्छा बोलता हैं ।साहब यह बहुत बड़ा झूठ है ।कन्हैया ने बचपन से जो गरीबी भूखमरी देखी हैं जो शोषण देखा है वो दर्द उसके जबान से निकलता है ।कन्हैया गरीबी पर बोलता नहीं है ।गरीबी झेली हैं उसने और वही बोलता है जो उसने महसूस किया किया हैं ।कन्हैया जैसे बेटे को आपने पैदा किया जयशंकर प्रसाद सिंह जी आपने।कन्हैया सबसे बड़ा राष्ट्रवादी है और आप उसके पिता हैं इसलिए मैं आपको कन्हैया का पिता नहीं राष्ट्रपिता कहता हूं क्योंकि कन्हैया इस देश के अस्सी फीसदी आबादी का नायक है और आप उसके पिता हैं ।इस देश को आप पर नाज हैं ।
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Sushil Kumar
बेगूसराय से मर्माहत करने वाली जानकारी मिली है |साथी कन्हैया के पिताजी का. जयशंकर हमारे बीच नहीं रहे |कई बीमारियों से लड़ते हुए अंततः लगभग 1.30 बजे रात में उन्होंने हमारा साथ छोड़ दिया | मैंने भी अपना एक अभिभावक खो दिया |पिछले कई मुलाकातों में काफी कष्टों में होने के बावजूद वे हमेशा ऐसे बोल उठते थे कि लगता है कुछ हुआ हीं नहीं हो |काफी देर तक नई बदलती परिस्थितियों पर बात करना और अपनी चिंता छोड़ दूसरों के लिए पीड़ित आपको मैंने पाया |इतनी परेशानियों में होने के बाद भी वे कामरेड लाल सलाम बोलते हुए पुनः उर्जान्वित कर देते थे | कामरेड आपने हमेशा रास्ता दिखाया है ,आप हमेशा प्रेरणास्त्रोत रहेंगे |आप हमारे बीच नहीं रहकर भी हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगे और पथ-प्रदर्शक बने रहेंगे | AISF बिहार राज्य परिषद की तरफ से कामरेड आपको श्रद्धांजलि |


आज कामरेड कन्हैया के पिताजी का देहांत हो गया। कामरेड जयशंकर सिंह अपने जीवन में लगातार संघर्षों के लिए जाने जाते हैं। उनके संघर्शील जीवन को सलाम।
कन्हैया की जिंदगी का सब से मजबूत स्तंभ और सब से अहम् हिस्सा कन्हैया के पिताजी अब नहीं रहे रात को 1:30 पर उन का निधन हो गया कन्हैया की इस दुखद घडी में हम कन्हैया के साथ मजबूती से खड़े है।


Roshan Suchan feeling sad with Kanhaiya Kumar.
5 hrs
साथी कन्हैया के पिता कामरेड जयशंकर प्रसाद का निधन श्रधांजलि
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कामरेड कन्हैया कुमार के पिता कामरेड जयशंकर प्रसाद सिंह का निधन हो गया है। जो काफी लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे। इस भारी दुःख और मुसीबत की घडी में हम साथी कन्हैया के साथ दुःख व्यक्त करते हैं। कन्हैया और उनका परिवार बहुत ही बहादुर है। कन्हैया के पिता जी के जज़्बे को सलाम जो बीमारी की हालात में भी जब कन्हैया और उसकी विचाराधारा पर आरोप लगे तो वो उस विचारधारा के साथ मज़बूती से खड़े रहेI हमारी पूरी संवेदनाए इस शोक संतपत परिवार के साथ है। AISF की और से श्रधांजलि ..



नहीं रहे कॉमरेड जयशंकर सिंह। कामरेड जयशंकर सिंह की पहचान बस इतनी नहीं है कि वो कन्हैया के पिताजी थे उन की पहचान अपने आप में उस दबंग ईमानदार और निर्भीक इंसान की भी थी जो अपने स्वाभिमान के लिए जीते थे।

Vijai RajBali Mathur  बेहद दुखद खबर है। कामरेड जयशंकर सिंह को लाल सलाम । हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। कन्हैया व उनके परिवारी जन धैर्य रखें व उनके बताए मार्ग पर चलते रहें।

सूचना मिली कि श्री कन्हिया कुमार के पिता जी का देहांत हो गया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य कॉउंसिल अपना गहरा शोक व्यक्त करते हुए उनके प्रति अपनी भावभीनी श्रधांजलि अर्पित करती है।
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04-11-2016 

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