Wednesday 9 November 2016

ऐतिहासिक रैली में सांप्रदायिकता रूपी अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोकने का संकल्प

फोटो सौजन्य से डॉ प्रदीप शर्मा 


लखनऊ ,9 नवंबर 2016 : 
आज लक्ष्मण मेला मैदान छह वामपंथी दलों  - भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्स वादी ), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्स वादी - लेनिनवादी ), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी  सोशलिस्ट पार्टी एवं सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया ( कम्युनिस्ट ) की एक संयुक्त रैली का गवाह बना । पूरे प्रदेश के कोने कोने से आए कार्यकर्ताओं में अपार जोश देखने को मिला और वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने भाषणों के जरिये यह संदेश देने में कोई कोताही नहीं बरती कि, 2017 का चुनाव सभी वामपंथी दल  मिल कर जनता को एक वैकल्पिक व्यवस्था देने के लिए लड़ने के प्रति कटिबद्ध हैं। 

सभा का  सफल संचालन भाकपा उत्तर प्रदेश के सह - सचिव कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने किया । मंचासीन लोगों में आशा मिश्रा, ताहिरा हसन, डॉ गिरीश चंद्र शर्मा, शिव नारायण चौहान, डॉ हीरा लाल यादव आदि एवं राष्ट्रीय  नेता गण  सर्व कामरेड डी राजा , सीताराम येचूरी, सुभाषिनि  अली, दीपंकर भट्टाचार्य, अरुण कुमार सिंह, देब ब्रत बिस्वास के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। 


प्रादेशिक नेताओं द्वारा अपने विचार रखने के बाद  राष्ट्रीय नेताओं में भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड डी राजा ने मोदी सरकार द्वारा अपने ही वायदों को तोड़े जाने के दृष्टांत प्रस्तुत किए । जनता से उन्होने अङ्ग्रेज़ी में संबोधित करने की बात हिन्दी में कही और शेष भाषण अङ्ग्रेज़ी में दिया जिसका हिन्दी अनुवाद इप्टा के राष्ट्रीय सचिव राकेश ने प्रस्तुत किया। 


भाकपा माले के दीपंकर भट्टाचार्य ने भू अधिग्रहण द्वारा किसानों को लूटे जाने को विशेष चुनावी मुद्दा बनाए जाने पर ज़ोर दिया। जन समस्याओं के लिए संयुक्त संघर्ष करने पर अन्य नेताओं ने भी बल दिया। 


माकपा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड सीताराम येचूरी ने 'राम ' के नाम का दुरुपयोग करने वाली मोदी सरकार द्वारा 'सांप्रदायिकता के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े ' को उसी प्रकार रोके जाने की आशा व्यक्त की जिस प्रकार स्वम्य 'राम ' के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को 'लव ' - ' कुश ' नामक जुड़वां भाइयों द्वारा रोक दिया गया था। कामरेड येचूरी ने आज के जुड़वां भाइयों 'लव ' - ' कुश ' का परिचय  'हंसिया ' और 'हथौड़ा ' के रूप में दिया। उनका कहना था कि, जिस दिन ' किसान ' और 'मजदूर ' जुड़वां भाइयों द्वारा सांप्रदायिकता के रथ को रोक दिया जाएगा तभी शोषण कारी सांप्रदायिक शक्तियों का पराभव हो जाएगा और वह दिन अब दूर नहीं है। 






रैली में एक प्रस्ताव पारित करके प्रमुख मांगो को जोरदार तरीके से उठाया गया जो इस प्रकार हैं : 



( सभी नेताओं ने इस रैली को ऐतिहासिक बताया है। लेकिन रैली के बीच कार्यकर्ताओं विशेषकर लखनऊ के कार्यकर्ताओं के बीच यह भी फुसफुसाहट थी कि, अगर इस रैली के मंच से कामरेड अतुल अंजान का सम्बोधन होता और उनके नाम से प्रचार किया गया होता तो इस मैदान पर स्थानीय जनता की भी उपस्थिती ज़रूर रहती। लखनऊ वासी अतुल अंजान को लखनऊ की जनता का प्यार प्राप्त है और उसे आकर्षित करने के लिए 'अंजान ' का नाम ही पर्याप्त है किन्तु विद्वेष की भावना से ओत  -प्रोत उनकी अपनी ही पार्टी के प्रादेशिक नेताओं की नादानी से लखनऊ की जनता को इस ऐतिहासिक रैली से नहीं जोड़ा जा सका यह बात भी उतनी ही ऐतिहासिक है ।) ------ विजय राजबली माथुर 

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