Thursday 21 November 2013

क्या सी पी एम वैकल्पिक राजनीतिक मंच की मुहिम को कमजोर कर रही है?---आनंद प्रकाश तिवारी

 यह कैसे बाम दलों  की रैली  थी जिसमे सी पी आई  नही दिखी ?
पोस्टर पर राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट  पार्टी का भी उल्लेख था जिसका स्वयंभू महासचिव मलिहाबाद लोकसभा सीट से बी जे पी  कॅंडिडेट के रूप मे तैयारी कर रहा है।
इन तमाम उल्टी - सीधी  तिकड़मों  के वावज़ूद रैली  मे 1500 लोग गिनाए जा सके । लाल झंडे  की भद्द पिट गयी लखनऊ  मे। उसकी  भरपाई सम्भव है ??? ये  हरकतें किस आंदोलन को मज़बूत  करेंगी ?
सी पी एम  अपने अपार्चूनिस्ट गुर्गो के साथ लेफ्ट मूवमेंट और वैकल्पिक राजनीतिक मंच की मुहिम को कमज़ोर तो नही कर रही है ?
वक़्त आ गया है ??
आस्तीन मे छिपे मित्रो को इंगित करने का ?
सावधानी से आगे  बढ़ने का ..
इंक़लाब ज़िंदाबाद। 
Yeh kaise Bamdalo ki rally thi jisme CPI nahi dikhee ?
Poster par Rashtrawadi Comunisht Party ka bhi ullekh tha jiska swaymbhoo mahasacheev Malihabad Loksabha seat se BJP candidate ke troop me taiyari Karen raha hai.
In tamam ulti - sidhe teekram ke vavzood rally me 1500 log geenaye ja sake .Lal zhande ki bhadd peet gayi Lucknow me.Oski Bharpayee sombhav hai ???
Yeh harkate kis aandolan ko ma boot karengi ?
CPM apne oppertunist gurgo ke sath Left Mppvment aur Vaikulpik Rajnitik Manch ki muheem ko kamzor to nahi kar rahi hai ?
Waqt as gaya hai ??
Aasteen me chhipe mitro ko ingeet karne ka ?
Sawdhani se aage barhane ka ..
Inqlab zindabad.

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(लखनऊ और लखनऊ के बाहर भी सी पी आई की एक पहचान के रूप मे कामरेड अतुल अंजान साहब को   जाना जाता है जिनकी जनता की नब्ज पर अच्छी पकड़ भी है ।अतः उत्तर प्रदेश में उनको आगे रख कर वैकल्पिक वामपंथी मोर्चा गठित किया जाना चाहिए । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पूर्व मैंने यह चेतावनी दी थी:

"एक तरफ सी पी एम यू पी मे चार दलों के बाम मोर्चा मे भी शामिल है दूसरी तरफ सी पी एम के लोग भाजपा/अन्ना के सर्वाधिकारवादी लोकपाल का भी समर्थन कर रहे हैं। 


आगामी माह होने वाले चुनावों मे यदि बाम मोर्चा को यू पी मे जनता के बीच अपनी स्थिति सुदृढ़ करनी है तो सन्त कबीर,स्वामी दयानन्द सरस्वती और स्वामी विवेकानंद के विचारों और दृष्टिकोण का सहारा लेकर ही भाजपा/ आर एस एस के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है। अब तक प्रचलित नीति का परिणाम यह हुआ है कि भाजपा आदि प्रतिगामी शक्तियाँ पूर्वज महापुरुषों के वचनों को तोड़-मरोड़ कर गलत-सलत व्याख्या प्रस्तुत करके जनता को मूर्ख बनाने मे कामयाब हो जाते हैं। उनके लिए धर्म का मैदान खुला छोडने की नीति ही वह मुख्य कारण है कि वे गलत होते हुये भी सफल रहते हैं और जनता का भारी अहित होता रहता है। 


संसदीय लोकतन्त्र मे धर्म (गलत रूप मे प्रचलित),जाति,संप्रदाय के नाम पर मतदाताओं को बहका कर पूंजीवादी दल बहुमत हासिल कर लेते हैं। कम्युनिस्ट पार्टियां और बाम-पंथी दल भी उसी गलत प्रचलित स्वरूप को धर्म मानने के कारण धर्म का विरोध करके जनता से कट जाते हैं और जनता का वोट हासिल नहीं कर पाते हैं। यदि 'धर्म' की वास्तविक व्याख्या प्रस्तुत कर महापुरुषों के हवाले से जनता को समझाया जाए तो ढोंगियों की पोल खुल सकेगी और वे विफल हो जाएँगे। परंतु दिग्गज बाम-पंथी पुराणो और ढोंगियों का समर्थन व्यक्त करके क्या भाजपा के ही मंसूबों को नहीं पूरा कर रहे हैं?"

http://krantiswar.blogspot.in/2012/01/blog-post_05.html 

अब कामरेड आनंद प्रकाश तिवारी जी ने भी सी पी एम का वैसा ही चरित्र  उजागर कर दिया है। उम्मीद है कि भाकपा का शीर्ष नेतृत्व इस ओर अवश्य ही विचार करेगा। ---विजय राजबली माथुर)

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