Thursday 21 January 2016

मानवीय मूल्यों की सच्ची प्रतिमूर्ती का ॰ बर्द्धन का भावपूर्ण स्मरण

**जब आज ब्राह्मण वाद और जातीय भेद-भाव निकृष्ट तांडव खेल, खेल  रहा है आज बर्द्धन जी की बेहद ज़्यादा ज़रूरत थी। उनका स्पष्ट कहना था कि बढ़ते ब्राह्मण वादी प्रकोप, जातीय व सांप्रदायिक उत्पीड़न से बचाव के लिए बर्द्धन जी की विचार-धारा पर चलने से ही लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। **

लखनऊ, 21 जनवरी, 2016 --- आज दोपहर भाकपा कार्यालय, 22 क़ैसर बाग पर कामरेड अशोक मिश्रा की अध्यक्षता  में दिवंगत राष्ट्रीय नेता कामरेड ए बी बर्द्धन की स्मृति में एक सभा का आयोजन किया गया जिसका संचालन इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राकेश ने किया। अन्य मंचस्थ लोगों में डॉ गिरीश, प्रेमनाथ राय, रामजी राय, रमेश दीक्षित और ताहिरा हसन शामिल थे। 

राकेश जी द्वारा बर्द्धन जी का संक्षिप्त परिचय दिये जाने के बाद भाकपा के प्रदेश सचिव  डॉ गिरीश ने अपने वक्तव्य में बर्द्धन जी को बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताया और उनसे संबन्धित अनेक संस्मरणों पर प्रकाश डाला। 

माकपा के प्रदेश सचिव मण्डल की ओर से बोलते हुये प्रेमनाथ राय ने कहा कि वामपंथी एकता की जो पहल बर्द्धन जी ने शुरू की थी उसे आगे बढ़ाना और मजबूत करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजली होगी। 

भाकपा ( माले ) के प्रदेश सचिव रामजी राय ने बर्द्धन जी को मानवीय मूल्यों का सच्चा वाहक बताते हुये वामपंथी एकता का उनको प्रेरक घोषित किया। बिहार के विगत चुनावों में वामपंथी एकता के लिए बर्द्धन जी के प्रयासों को उन्होने पूरा-पूरा श्रेय दिया। आगे भी इस मुहिम को चलाते रहने की उन्होने कामना की। 

 राकापा के प्रदेशीय नेता रमेश दीक्षित ने बर्द्धन जी को अद्भुत प्रतिभा का नायक बताया व उनके निजी व्यक्तित्व को श्रेष्ठ्ता का नमूना कहा। 

साहित्यकार - आलोचक वीरेंद्र यादव ने बर्द्धन जी की राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ उनकी साहित्य व कला पर भी समान पकड़ का उल्लेख किया। अपने साथ हुई बर्द्धन जी की साहित्यिक चर्चा का उल्लेख करते हुये उनकी खोजपूर्ण जिज्ञासा से भी श्रोताओं को अवगत कराया। 

सामाजिक कार्यकर्ता व महिला नेत्री ताहिरा हसन ने बर्द्धन जी को लोकतन्त्र व धर्म निरपेक्षता का सच्चा प्रहरी बताते हुये आज के समय में उनकी अनुपस्थिति से होने वाली रिक्तता का उल्लेख किया। उन्होने आगाह किया कि जब आज ब्राह्मण वाद और जातीय भेद-भाव निकृष्ट तांडव खेल, खेल  रहा है आज बर्द्धन जी की बेहद ज़्यादा ज़रूरत थी। उनका स्पष्ट कहना था कि बढ़ते ब्राह्मण वादी प्रकोप, जातीय व सांप्रदायिक उत्पीड़न से बचाव के लिए बर्द्धन जी की विचार-धारा पर चलने से ही लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। 

आल इंडिया वर्कर्स काउंसिल के ओ पी सिन्हा का कहना था कि बर्द्धन जी की योग्यता, क्षमता व विचारों का पूरा उपयोग नहीं किया गया है। उनके अनुसार बर्द्धन जी का व्यक्तित्व विचार धारा को मजबूत बनाने के लिए एक प्रभावी संबल है। 

बैंक यूनियन के नेता डॉ वी के सिंह ने बर्द्धन जी के व्यक्तित्व को  विचार धारा से ऊपर बताया। उन्होने उदाहरण देते हुये बताया कि भाजपाई विचार धारा का उनका एक साथी बर्द्धन जी की सादगी और महानता से प्रभावित होकर संघी विचार धारा को तिलांजली देकर भाकपा में शामिल हो गया था और अब पक्का कामरेड बन गया है। 

मानवाधिकार आंदोलन की नेता वंदना मिश्रा ने बर्द्धन जी की सादगी, दृढ़ता व प्रतिबद्धता का उदाहरण देते हुये बताया कि उनके पिता श्री ने पी एम राजीव गांधी द्वारा दिये जाने वाले सम्मान को भी ठुकरा दिया था किन्तु लखनऊ के शहीद स्मारक पर कामरेड अतुल अंजान की उपस्थिती में बर्द्धन जी के हाथों दिया गया सम्मान सहर्ष स्वीकार कर लिया था। यह बर्द्धन जी के प्रभावोत्पादक व्यक्तित्व का ही चमत्कार रहा। 

महिला फेडरेशन की नेता कमला वत्स ने उपरोक्त कथन की पुष्टि करते हुये कहा कि वह भी उस समारोह में उपस्थित थीं और वास्तव में बर्द्धन जी का व्यक्तित्व विशाल व महान था।  

रिहाई मंच के शाहनवाज़ ने बर्द्धन जी के व्यक्तित्व  को आत्मिक सम्बन्धों वाला बताया। उन्होने अपने छात्र काल की उस घटना का उल्लेख किया जब यू पी ए सरकार के दौरान वह अपने साथियों के साथ इलाहाबाद के छात्रों की समस्या पर दिल्ली  में समर्थन ढूंढ रहे थे। बर्द्धन जी ने उन लोगों को डेढ़ घंटे समय देकर उनकी समस्याएँ सुनीं, समझीं व निदान हेतु अपना सक्रिय योगदान दिया। बर्द्धन जी ने इलाहाबाद के कामरेड जिया लाल के संबंध में व्यक्तिगत हाल- चाल पूछे व उनसे संपर्क करने को कहा। एक राष्ट्रीय पार्टी के सर्वोच्च नेता रहते हुये व्यक्तिगत सम्बन्धों का ख्याल रखना बर्द्धन जी का मानवीय पक्ष है जिसने युवाओं को उनकी  व उनकी विचार धारा की ओर आकृष्ट किया था। 

प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से शकील सिद्दीकी, बिजली कर्मचारियों की ओर से रामनाथ यादव, रेलवे कर्मचारियों की ओर से अनिल त्रिपाठी ने  श्रद्धान्जली  अर्पित की। 

लखनऊ भाकपा के जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ ने बर्द्धन जी के व्यक्तित्व को प्रेरक, विचारवान, सादगीपूर्ण  व आकर्षक बताते हुये उनका अनुसरण किए जाने की अपेक्षा की। 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कामरेड अशोक मिश्रा ने बर्द्धन जी के व्यक्तित्व के लचीले पक्ष पर प्रकाश डालते हुये आत्म-स्वीकृति की कि, उनकी ज़िद्द व सनक पर डॉ गिरीश को प्रदेश सचिव बनाने के लिए बर्द्धन जी झुक गए थे जबकि वह पहले डेढ़-घंटे बोल कर किसी दूसरे को यह पद सौंपने की गुजारिश कर चुके थे (उनका इशारा बर्द्धन जी के विश्वनाथ शास्त्री जी को समर्थन देने की ओर था ) । 

अंत में दो मिनट मौन खड़े होकर बर्द्धन जी को श्रद्धांजली दी गई। 

इस स्मृति सभा में अन्य लोगों के अलावा बबीता सिंह,  के के शुक्ला, कौशल किशोर, दिनकर कपूर, प्रदीप घोष, डॉ संजय सक्सेना, मोहम्मद अकरम खान, मुख्तार, विजय माथुर आदि भी शामिल रहे। 
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