****** भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अंजान साहब ने नोटबंदी, GST, आधार कार्ड ,बेरोजगारी आदि विषयों पर जनता को हुये कष्टों का बेबाक उल्लेख करते हुये सचेत किया है । लेकिन हाल में सम्पन्न चुनावों में जनता ने एक बार फिर भाजपा को सत्तारूढ़ किया है। परंतु यदि कांग्रेस भी जीती होती तब भी जनता को क्या लाभ होता ? इस विषय पर Sunita B Moodee द्वारा व्यक्त उद्गार विचारणीय हैं ******
Sunita B Moodee
19-12-2017
बीते कल भाजपा के सु-शासन मे देश का और भी दो राज्य आ गया। लोग इस जीत को भी मोदी लहर का ही जीत माने के लिए मजबूर है। क्योकि हम मे से ज्यादा लोगो को अंदर का खेल सायद ही मालूम हो।
हम मे से बहुतों का मानना है की देश के गिरते हुये अर्थनीति को सुधारने के लिए जो दो-तीन दुःसाहसिक काम (जन-धन-आधार लिंक, नोट बंदी और GST) मोदी जी ने किए उन सब कदमो का सुफल विकास मे तेजी आई है जो आम जनता भी स्वीकार कर ली है। इसीलिए पूरा देश मे मोदी बिरोधी लहर के बाबजुद Vote Politics मे उसका कोई असर नहीं एडी रहा है।
दरअसल मौजूदा संकटग्रस्त पूंजीवादी विकास का कर्णधार शुरू से पूंजीपति वर्ग और उनके सबसे भरोसामंद पार्टी काँग्रेस पार्टी रहा है। अंग्रेज़ शासन के बिरासत मे मिले प्रशासन (जिसे देश आज़ादी के बाद जनता की आँको मे धूल झोकने के लिए थोड़ी बहुत हेर-फेर की गई ) ही आज़ाद भारत का नया (पूंजीवादी बाज़ार) तंत्र (जिसे जनवाद के नाम पर चलाया जा रहा है) को चलाते आ रहा है। इस तंत्र के शिखर पर बैठे अधिकारी ही देश का अर्थनीति-समाजनीति व राजनीति की रूपरेखा प्रस्तुत करती ही। इस तंत्र के पीछे पूंजीपति वर्ग का एक संगठित समूह और उनके पैसे से बनाए गए पार्टीयो (जैसा काँग्रेस, बीजेपी, समाजवादी पार्टी, जनता दल -यूनाइटेड, आदि) के जरिये भाड़े (पैसा और लालच के बल पर) का जन- समर्थन तंत्र को एक तरफ दिशा निर्देश देती है और दूसरी तरफ तंत्र को पूंजीपति वर्ग के हीत मे चलाने मे जो कठिनाई उत्पन्न होती है उसे आम जनो को बेकुफ़ बनाकर उस कठिनाओ को जनता के माथे मे कैसे मोड दिया जाए उसका नया नया तौर-तरीका (issues, strategy, slogan आदि) आदि निकाल कर पूंजी-तांत्रिक ब्यबस्था को टिकाये रखने का कम करती है।
जरा गौर से देखने और समझने का कौशिश करेंगे ये सारे मुद्दा (आधार लिंक, नोट-बंदी, GST) काँग्रेस पार्टी के शासन काल मे ही उभरा। तंत्र के प्रशासन के शिखर पर बैठे लोग और तंत्र के असली मालिक पूंजीपति वर्ग के कहने पर भी काँग्रेस ने आम जनता का दर से उन सभी मुद्दो को काँग्रेस पार्टी का मुद्दा बना नहीं सका। तब मालिक पूंजीपति वर्ग उनका दूसरे नंबर का बिश्वसनीय पार्टी बीजेपी को खुद (नरेंद्र मोदी जी को) नेता चुनकर देश ब्यापी काँग्रेस के खिलाफ प्रचार करके खड़ा किया और जन-समर्थन बटौरकर सत्ता मे बैठाया। सत्ता मे आते ही पूंजीवादी ब्यबस्था को सुदृढ़ करने वाली उन सभी कोंग्रेसी मुद्दो (जिसका बिरोध बीजेपी कल तक एक बिपक्षी पार्टी के रूप मे करता रहा) को देशभक्ति का जीगर उठाकर देश हीत मे आम जनो को बीमारी से मुक्त करने के लिए कड़वी दवाई कहकर पिलवा दिया।
लोगो मे पूंजीवादी प्रचार ब्यबस्था प्रचारित किया की देश हीत के लिए इतनी बड़ी दुःसाहसिक कदम आज तक कोई PM नहीं उठा सका। इसी कड़ी मे नया बैंकिंग (FRDI) बिल भी मोदी सरकार ला रही है।
बस इतना सब करवाकर मोदी जी को पूंजीपति वर्ग इस कदर का महान आदमी बनाना चाहेगा जैसा की वे कभी हमारा देश मे कभी गांधी जी को बनाया था । अगला 2019 MP चुनाव मे फिर काँग्रेस का वारी शुरू होगा जो लंबी समय तक चलेगा।
इसलिए हम मजदूर वर्ग के लिए सचेत होने, संगठित होने, पूंजीवादी ब्यबस्था के खिलाफ लम्बी संघर्ष के लिए तैयार होने की जरूरत है। न की खुश होने की। क्योकि उपरवर्णित इन सब मुद्दो के सफल कार्यान्वयन से पूंजीवादी ब्यबस्था मजबूत होने के साथ और पूंजीवादी शोषण-जुल्म का मार आम जानो का आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हालात को कमजोर ही नहीं ध्वस्त कर देगा।
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