Tuesday 24 February 2015

शिवाजी महाराज को गलत ढंग से पेश करने का प्रयत्न किया जाता है---Ameeque Jamei

पाकिस्तान की पाठ्यपुस्तक में
"आदर्श राजा ऐसा होना चाहिए"
ये छत्रपति शिवाजी महाराज पर आधारित एक पाठ सिखाया जाता है।
आदर्श राजाओं शिवाजी महाराज का इतिहास अनेक देशों में गर्व से सिखाया जाता है ।
लेकिन हमारी बदनसीबी...
हमारे देश में इतिहास से शिवाजी महाराज को गलत ढंग से पेश करने का प्रयत्न किया जाता है।
शिवाजी महाराज के चारों और मुस्लिम राजाओं की संख्या अधिकांश थी.. इसलिए उन्हें मुस्लिम विरोधी दिखने का प्रयास किया जा रहा है..
और मुस्लिम राजाओं के पास भी हिंदू और अन्य धर्मों के अधिकारी थे.. क्योंकि पद योग्यता के आधार पे दिए जाते थे.. धर्म के नहीं..
शिवाजी महाराज की भूमि में जन्म लेने पर आपको अगर गर्व हो, तोह इसे ज़रूर शेयर करें ..
शिवाजी महाराज मुसलमानों अगर विरोधी होते तो.. क्या सेना नें मुस्लिमो की इतनी संख्या मुमकिन हो पाती..???
शिवाजी महाराज का तोपखाना प्रमुख- "इब्राहिम खान" ...!
नौसेना प्रमुख -"दौलत खान" ....!
घुडसवार सेना प्रमुख- "सिद्दी हिलाल" ......!
कमांडर-सर- "नूर खान" .... !
शिवाजी महाराज के साथ आगरा कैद में कौन गया था ... मदारी मेहतर" ....
शिवाजी महाराज के वकील थे "काजी हैदर" ....
शिवाजी महाराज जो अकेला चित्र उपलब्ध है उसका चित्रकार ... "मीर मोहम्मद" ......
शिवाजी महाराज को अफजालखान वध के लिए बाघ नख भेजने वाला.. "रूस्तमे जमाल"
एक मुस्लिम था ....
अगर शिवाजी महाराज की सेना के इतने प्रमुख अधिकारी मुस्लिम थे तो फिर उन्हें मुस्लिम विरोधी कैसे हो सकता है???
शिवाजी महाराज, 31 अंगरक्षक.. उनमें से .10 मुसलमान थे
(अंगरक्षक क्या कर सकता है इसका बेहतरीन उदाहरण ""इंदिरा गाँधी"" है)
शिवाजी महाराज कोई मस्जिद
नहीं गिराई । कोई कुरान नहीं जलाया.....
इस बात पर गंभीरता से इस देश में विचार होना चाहिए ....
रायगढ़ किला राजधानी बनाने के बाद किला बनाने पर उन्होंने किला परिसर मैं हिंदू सैनिकों के लिए मंदिर और मुस्लिम सैनिकों के लिए मस्जिद दोंनों का निर्माण करवाया..
कहने के लिए बहोत सी बातें है.. मगर सारांश इतना सा है की शिवाजी महाराज का स्वराज्य का सपना एक ऐसे राष्ट्र का था जहाँ सभी धर्म के लोगों को समान नीति के साथ न्याय दिया जा सके...
अफजाल खान के वध के बाद उसकी बेसहारा लाश को इज्ज़त से दफ़नाकर उन्होंने शौर्य के साथ इंसानियत की मिसाल जो मिसाल कायम की. उसी पर आज हमारे यहाँ राजनीति गरमाई हुई है..
हमें मिलकर इस सच को आगे लाना होगा जिससे हम शिवाजी महाराज के शांति, समानता एवं न्याय के राष्ट्र का सपना पूरा कर पाएंगे.. जय हिंद दानिश शेख़

वर्तमान सरकार की स्थापना में तत्कालीन पी एम-मनमोहन सिंह/हज़ारे/केजरीवाल/RSS का संयुक्त हाथ है। अब यही गुट अपना विपक्ष मजबूत करके पक्ष -विपक्ष दोनों पर कब्जा कर लेगा जो एक खुला खेल है। बाकी के दोगले दल व वामपंथी परिदृश्य से गायब कर दिये जाएँगे और तब दिल्ली की सड़कों पर RSS व कम्युनिस्टों के मध्य निर्णायक रक्त-रंजित संघर्ष होगा। इस तथ्य का उल्लेख 1951 में ही 'नया ज़माना', सहारनपुर के संस्थापक संपादक कन्हैया लाल मिश्र'प्रभाकर' ने कर दिया था। अब भी लोग नहीं चेते तो इस अनहोनी को टाला नहीं जा सकेगा क्योंकि तब देश विभाजित होने का भी खतरा रहेगा और यही तो अमेरिका चाहता ही है। --- 

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(विजय राजबली माथुर )

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