Sunday 1 February 2015

प्रगतिशील विचार मिल कर पूंजीवाद के खिलाफ ताकतवर न हो जायँ : आप जैसी राजनैतिक पार्टी को जन्म दे दिया गया है---जगदीश चंद्र




01 Feb.2015 · Delhi ·
मित्रों कांग्रेस और बी जे पी की विचारधारा में १९ -२० का अंतर है, एक १९ है तो दूसरा २० हैं और वर्तमान में नए राजनीतिक दल को अगर मानते हैं तो उसे आप के रूप में २१ मान लें, , यानी १९ - २० - २१ ये तीनों एक ही विचार धारा के तीन रूप हैं ? दोस्तों समाजवाद के भय और भूत से कांग्रेस के पीछे लगे पूंजीपतियों के संगठन जो पूंजीपति दुनिया में प्रगतिशील विचारों के विरोधी हैं उन्होंने अपने अंतर्मन से सोचा की कांग्रेस को प्रगतिशील पिछड़ों , दलितों और कम्युनिस्टों का समर्थन मिल रहा है, और साथ ही साथ, देश में कांग्रेस के सहयोग से कम्युनिस्ट विचारधारा तेजी से बढ़ रही हैं, पूंजीपतियों में संशोधनवादी और प्रगतिशील विचारधारा के लोग भी हैं, इस लिए यह पूंजीवाद के लिए ख़तरा पैदा कर सकते हैं, इस भूत के भय से पहले तो आम जनता का संगठन बनाकर उसके माध्यम से २०११ से ही यानी २०१४ के लोक सभा के चुनाओं से पूर्व , दो तीन साल पहले से ही जनता को गुमराह करने वाले तथाकथित जन आंदोलन चलाये जाते रहे, जबकि इस प्रकार के अपराध पहले से ही जारी थे, दरशल हो यूँ रहा था कि , कांग्रेस और उसके कार्यों से विशेषकर कांग्रेस की विदेश नीति के समर्थन से देश के प्रगतिशील विचारधारा के लोग, जैसे,पिछड़े, दलितों और कम्युनिस्टों तथा समाजवादियों का समर्थन पाते जा रहे हैं, और कम्युनिस्ट तेजी से भी बढ़ भी रहे थे ? कम्युनिस्ट क्योंकि कांग्रेस की समाजवादी मुल्कों से सहयोग, और यूं ० एन ० ओ ० और उसकी सुरक्षा कौंसिल में अधिकतर मामलों में कम्युनिस्ट मुल्कों तब का सोवियत संघ वर्तमान में रूष , चीन और दुनिया के अन्य समाजवादी मुल्कों के साथ रहने की नीति के कारण सरकार को बाहरी समर्थन देते थे भारत के कम्युनिस्ट भी इस लिए समर्थन करते थे, क़ि दुनिया के गरीब और कमजोर मुल्क धीरे धीरे समाजवादी खेमे का बहुमत बना सकें, और सुरक्षा कौंसिल में एक दिन प्रभुत्व पा सकें, इन्ही विचारों के मध्यनजर प्रगतिशील पिछड़े और, दलित कम्युनिस्ट विचार धारा का समर्थन करते थे, यूं ० एन ० ओ ० की सुरक्षा कौंसिल में अनेक मुल्को पर आक्रमण के फैसलों के खिलाफ रूष और चीन ने तटस्थता की भूमिका निभाई ? तब प्रगतिशील विचारधारा के पूंजीपति ने सोचा कि कुल मिला कर भविष्य में समाजवाद से जुड़े यही प्रगतिशील विचार मिल कर पूंजीवाद के खिलाफ ताकतवर न हो जायँ और कम्युनिस्ट पूंजीवाद पर हावी न हो जाय, इस भूत के भय के कारण पहले से ही धीरे धीरे जनता के आंदोलन से ही आप जैसी राजनैतिक पार्टी को जन्म दे दिया गया है, वह भी ऐसे आंदोलन खड़ा करके क़ि जो अपराध आरम्भ से बड़ी संख्या में होते आ रहे थे, और यह आंदोलन कांग्रेस की सरकार के पहले दौर २००४-२००९ के समय में भी हो सकते थे, क्योंकि यदि यह आंदोलन तब होते तो तब बी ० जे ० पी ० को जनता का इतना समर्थन नहीं था, वह तो एक लम्बे समय में ग्राउंड बनाने की तैयारी कर रहे थे, जबकि २०१४ के चुनाव होने के पश्चात वर्तमान एन०डी०ए० सरकार में इसी प्रकार के अपराध, उससे भी तेजी और अनुपात के आंकलन से माह के हिसाब से अधिक संख्या और अधिक % में हो रहे हैं, जबकि बहुत से मामले प्रकाश में नहीं आ पा रहे हैं, क्योंकि प्रचार माध्यम बहुत से मामलों को इस वर्तमान सरकार को बचाने की साजिस के तहत छुपा रहा है, या घटना को दुसरे रूप में प्रचारित कर रहा है, वैसे चुनाव से पूर्व से ही कांग्रेस पर तो भयंकर आरोप लगाने की प्रक्रिया या दाग लगाने की साजिस तो लगातार चल ही रही थी , वैसे मेरी तो धारणा निश्चित रूप से यह मानती है, कि कट्टरवाद अधिक समय ज़िंदा नहीं रहता, किसी भी प्रकार का कट्टरवाद अपराध का ध्योतक है, यानी काठ की हांडी ज्यादा समय चूल्हे पर नहीं टिक सकती, यह बरसाती मेंढक के सामान है, और दुसरे बहुमत की जनता का अंतर्मन से बी जे पी पर अधिक भरोषा नहीं है, क्योंकि १९९८ - २००४ एन ० डी ० ए ० का वाजपेयी दौर एक अशफल काल रहा इसी कारण वाजपेयी के नेतृत्व में एन ० डी ० ए ० की असफलता के कारण पुनः खड़े नहीं किये गए, क्योंकि ठीक २००४ में बुरी तरह हारने के पश्चात बी ० जे ० पी ० हाशिये से मिट सकती थी, किन्तु तथाकथित पूंजीवाद तो ऐसा नहीं चाहता था, वह तो आक्रोश में वर्तमान चुनाव २०१४ में कांग्रेस के खिलाफ लोक सभा चुनाव में पूंजीपतियों द्वारा अंधा प्रचार, और असीमित धन बल के सहयोग से एन ० डी ० ये ० यानी बी जे पी को सत्ता में बैठाना था, ताकि भ्रमित करने वाले धर्म के खिलाफ, समाजवाद यानी कम्युनिज्म को हासिये में ला सकें, क्रांतिकारियों के इस शेर से कि हम को मिटा सके यह जमाने में दम नहीं ज़माना हम से है जमाने से हम नहीं , अन्यथा जिस प्रकार कांग्रेश के खिलाफ जनता आक्रोशित थी, उससे तो कांग्रेस के खिलाफ एक गधा भी खड़ा हो जाता तो वह चुनाव निश्चित ही जीत जाता, और फिर अप्रैल २०१४ के चुनाव के पश्चात आज फरवरी २०१५ तक जीतने के बाद से आज तक हो क्या रहा है, वही जो कांग्रेस के सासन काल में चल रहा था, क्योंकि आम जनता जो जागरूक है, वह बी जे पी को सामंतवादी विचारधारा का समर्थक , सम्प्रदायवाद,(साम्प्रदायिक) और धार्मिक कट्टरवाद से जोड़ती है, यदि जनता एक दम से बी ० जे ० पी ० के खिलाफ हो जाएगी, तो दूसरा , तीसरा विकल्प पहले से तैयार रहना चाहिए , इस तरीके से तथाकथित पूंजीवाद के दो मकसद पूरे होते हैं, एक तो कांग्रेस को हमेशा ही रास्ते से साफ़ करने की उनकी साजिश सफल होती है ताकि उसके समर्थक विशेषकर कम्युनिस्ट , भविष्य में उसके सहयोग से कुछ हाशिल न कर सकें और दुसरे , कांग्रेस के समर्थक कटघरे में खड़े होते है, इस लिए तथाकथित पूंजीवाद ने पहले से ही दूसरा विकल्प तैयार कर लिया है , ताकि भविष्य में बी जे पी के अशफ़ल होने से आप जैसी भोली भाली जनता के विचारों की एक नयी राजनैतिक पार्टी भविष्य के राजनितिक मंच के लिए तैयार रहे, और प्रगतिशील विचारों का विरोधी पूंजीवाद का तथाकथित प्रजातंत्र बनाम गणतंत्र पर शोषण, जुल्म , अत्याचार ,लूट खसोट, और दमन जारी रहे ?

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