"बचाओ भारत " - " बदलो भारत '' लाँग मार्च का लखनऊ में स्वागत :
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लखनऊ , दिनांक 05 सितंबर 2017 को 15 जूलाई से प्रारम्भ लाँग मार्च 53 वें दिवस पर अपरान्ह साढ़े तीन बजे 22, क़ैसर बाग कार्यालय पहुंचा जिसका जोरदार नारों के साथ अगवानी करके कानपुर, फैजाबाद आदि से आए हुये छात्रों - नौजवानों ने तहे दिल से स्वागत किया। सभा की अध्यक्षता व संचालन यू पी AIYF के अध्यक्ष विनय पाठक ने किया।
नन्ही बालिका आन्या ने आगंतुक छात्रों - नौजवानों को पुष्प देकर सम्मानित किया उसने जोशपूर्ण शब्दों में ' ज़िंदा हैं तो ........' काव्य पाठ किया एवं ' इंकलाब ज़िंदाबाद ' का आह्वान किया।
झारखंड से आए छात्र ने ढपली के साथ ओजस्वी गीत ' .... कबीर, रहीम, रसखान चाहिए ....... हिंदुस्तान चाहिए .... इंसान चाहिए ....' प्रस्तुत कर समां बांध दिया। कुछ स्थानीय छात्रों - नौजवानों ने भी अपना स्वर मिला कर उनका साथ दिया। प्रारम्भ में उन्होने डॉ गिरीश द्वारा प्रदत्त संरक्षक दायित्व के लिए धन्यवाद ज्ञापन भी किया।
AIYF के महासचिव तापस सिन्हा ने विस्तार से इस लाँग मार्च और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। तेलंगाना से पधारे छात्र ने हिन्दी में अपना वक्तव्य देकर श्रोताओं को मोंह लिया। AIYF के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि, 12 सितंबर को हुसैनीवाला में यात्रा का समापन है लेकिन लेकिन लाँग मार्च अपना उद्देश्य पूरा होने तक चलता रहेगा । उनके द्वारा वरिष्ठों से सहयोग देने की अपेक्षा की गई।
इस लाँग मार्च की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं :
* सबको रोजगार उपलब्ध कराओ ! ( भगत सिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी एक्ट लागू करो )
* निशुल्क, अनिवार्य व बिना भेदभाव के वैज्ञानिक शिक्षा उपलब्ध कराओ !
* निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करो !
* चुनाव सुधार लागू करो !
* सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा करो !
* दलितों, मुस्लिम अल्पसंख्यकों, जन जातियों और महिलाओं पर हमले बंद करो !
* धर्म निरपेक्षता की रक्षा करो !
लाँग मार्च के पहुँचने से पूर्व वयोवृद्ध ( 84 वर्षीय ) कामरेड शिव प्रताप तिवारी ने छात्रों - नौजवानों को देश का भविष्य बताते हुये उनके प्रयासों की सराहना की व उनको सफलता हेतु आशीर्वाद दिया। उनके बाद कामरेड विजय माथुर ने 1951 में ' नया जमाना ', सहारनपुर के संस्थापक संपादक कन्हैया लाल मिश्र ' प्रभाकर ' द्वारा आर एस एस प्रचारक लिमये को बताए शब्दों से परिचित कराया कि, शीघ्र ही दिल्ली की सड़कों पर कम्युनिस्टों और आर एस एस के मध्य सत्ता के लिए निर्णायक संघर्ष होगा। सड़कों पर संघर्ष बुजुर्ग और बूढ़े कामरेड्स नहीं कर सकेंगे इसलिए हमें छात्रों - नौजवानों को आशीर्वाद देकर उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए।
इसके बाद कामरेड परमानंद दिवेदी एवं कई युवा व छात्र भी अपने विचार रखने सामने आए जो ध्यान देने लायक थे।