भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, ज़िला काउंसिल,लखनऊ के निर्णयानुसार 30 दिसंबर 2013 को श्री
जगदेव यादव की अध्यक्षता में दाऊद नगर चौराहा फैजुल्ला गंज पर पार्टी कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन एवं जनसभा सम्पन्न हुई। भारी संख्या मे लोग इकट्ठा हुए,सभा को सर्वप्रथम कामरेड परमानंद
दिवेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज समय आ गया है, जब हम सब को मिल कर एक हो कर- गरीब मजदूर,किसान
मेहनतकश लोगों को इन भ्रष्टाचारियों को किनारे करना होगा। नौजवान
सभा के अध्यक्ष कामरेड मो. अकरम ने कहा कि बेरोजगार नौजवानों को सरकार ने
रोजगार देने का कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया उस दिशा में शीघ्र संघर्ष किया जाएगा।सभा को संबोधित करने वालों मे सच्चिदानंद,अशोक रावत,मो. शरीफ आदि भी थे सभा का संचालन कामरेड महेंद्र रावत ने किया।
कामरेड विजय माथुर ने क्षेत्र की जनता को भाकपा के गठन का संक्षिप्त इतिहास बताया कि किस प्रकार 1857 की क्रांति के परस्पर फूट के चलते विफल हो जाने के बाद क्रांतिकारी लोग छिट-पुट अङ्ग्रेज़ी सत्ता से संघर्ष करते रहे थे। इन लोगों को संगठित करके स्वामी दयानंद सरस्वती (जो स्वंय 1857 की क्रांति में भाग ले चुके थे और रानी लक्ष्मी बाई के संपर्क मे भी रहे थे) ने 07 अप्रैल 1875 ई (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा-नव-संवत्सर दिवस)पर 'आर्यसमाज' का गठन करके सबसे पहले स्वराज्य का उद्घोष किया था। आर्यसमाज की शाखाएँ ब्रिटिश छावनी वाले नगरों में सबसे पहले खोली गईं थीं। ब्रिटिश सरकार स्वामी दयानन्द को 'क्रांतिकारी सन्यासी'-REVOLUTIONARY SAINT कहती थी। आर्यसमाज के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए गवर्नर जनरल लार्ड डफरिन के आशीर्वाद से रिटायर्ड़ ICS एलेन आक्टावियन(A.O.)हयूम ने वोमेश चंद्र (W.C.) बनर्जी की अध्यक्षता में इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना करवाई थी जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के सेफ़्टी वाल्व के रूप में काम करना था।दादा भाई नैरोजी आदि नेता खुद को नस-नस में राजभक्त बताते थे। अतः स्वामी दयानन्द के निर्देश पर आर्यसमाजी कांग्रेस में शामिल हो गए और उसे स्वतन्त्रता संघर्ष की ओर मोड़ दिया। डॉ पट्टाभि सीतारमईय्याने 'कांग्रेस का इतिहास' पुस्तक में लिखा है कि गांधी जी के 'सत्याग्रह'आंदोलन में जेल जाने वाले कांग्रेसियों में 85 प्रतिशत आर्यसमाजी थे। इस स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिक आधार पर बंगाल का विभाजन कर दिया जिसके विरुद्ध सारे देश में जोरदार आंदोलन चला और हालांकि इस विभाजन को रद्द भी करना पड़ा किन्तु ढाका के नवाब मुश्ताक हुसैन को आगे करके 1906 में मुस्लिम लीग,1916 में मदन मोहन मालवीय और लाला लाजपत राय को आगे करके हिन्दू महासभा,1925 में वीर सावरकर और हेद्गेवार को आगे करके RSS की स्थापना ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिक आधार पर देश की जनता को विभाजित करके अपनी सत्ता मजबूती के लिए करवाई थी।
क्रांतिकारी आर्यसमाजियों ने 1924 में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना विदेश में की थी । 1925 में कानपुर में मौलाना हसरत मोहानी की अध्यक्षता में एक सम्मेलन 25 दिसंबर को बुलाया गया था। उस सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष थे गणेश शंकर विद्यार्थी। 26 दिसंबर को विधिवत प्रस्ताव पास करके 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' की स्थापना की घोषणा कर दी गई। ब्रिटिश सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था इसलिए इसके कुछ कार्यकर्ता तो गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल रहे किन्तु कुछ क्रांतिकारी कार्यकर्ता सरदार भगत सिंह,चंद्र शेखर आज़ाद,रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाक़ उल्ला खाँ,बटुकेश्वर दत्त आदि के नेतृत्व में क्रांतिकारी संघर्ष करते रहे।
1947 में देश को सांप्रदायिक/साम्राज्यवादी आधार पर विभाजित करके पाकिस्तान की संरचना ब्रिटिश सरकार ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के इशारे पर की थी। अमेरिका हमेशा पाकिस्तान की समप्रभुत्ता का उल्लंघन करता रहा है और अब हमारी बानिज्य राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार व अपमानित करके भारत की सम्प्रभुत्ता को भी चुनौती दे रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिकापरस्ती बेनकाब होने के बाद पहले मोदी को आगे किया गया था किन्तु उन पर सांप्रदायिक नर-संहार का ठप्पा लगा होने के कारण 'आप' व केजरीवाल को अमेरिकी साम्राज्यवाद की रक्षा के लिए आगे लाया गया है। अतः कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्र की जनता को आगामी लोकसभा चुनावों में इस खतरे को ध्यान में रख कर ही मतदान में भाग लेना चाहिए।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ ने क्षेत्रीय जनता को झकझोरते हुये कहा कि देवी दुर्गा का झण्डा भी लाल है, हनुमान का झण्डा भी लाल है और हमारी कम्युनिस्ट पार्टी का झण्डा भी लाल है। जिस प्रकार दुर्गा व हनुमान ने दुष्टों का नाश किया था उसी प्रकार कम्युनिस्ट पार्टी भी किसानों/मजदूरों का शोषण करने वाले दुष्टों का नाश करने के लिए संघर्ष करती है। अतः लोगों को अपनी कम्युनिस्ट पार्टी को मजबूत करने के लिए इसमें शामिल होना चाहिए। कामरेड ख़ालिक़ ने यह भी कहा कि जनता को ईमानदार भी बनना पड़ेगा और अपने वोट को जाति,धर्म,संप्रदाय के आधार पर बिकने नहीं देना होगा तभी कम्युनिस्ट पार्टी चुनावों में सफल हो सकेगी और विधायिका से जनता के हक़ के कानून पास करा सकेगी। कामरेड ख़ालिक़ ने लोगों से अपील की कि वे महिलाओं को भी आगे लाएँ क्योंकि महिलाओं की भागीदारी के बिना कोई भी संघर्ष सफल नहीं हो सकता है। उन्होने रानी लक्ष्मीबाई,दुर्गा भाभी का ज़िक्र करते हुये महिलाओं के बलिदान की सराहना की।
कामरेड ख़ालिक़ ने भी जनता को आगाह करते हुये समझाया कि कांग्रेस सरकार तो अमेरिका के इशारे पर जनता की लूट कर ही रही है उसके विकल्प के रूप में पहले अमेरिका ने मोदी को बढ़ाया था लेकिन मोदी को सफल होते न देख कर अमेरिकी साम्राज्यवाद और कारपोरेट घरानों ने केजरी वाल को आगे बढ़ा दिया है। उन्होने बताया कि तीन साल पहले उनकी अध्यक्षता में सम्पन्न हुई एक घोष्ठी में बोलने केजरीवाल भी आए थे तब उनको कोई जानता भी न था और आज वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए हैं। कैसे?उन्होने कहा कि हमारी कम्युनिस्ट पार्टी को एक रुपया भी चन्दा न देने वाले कारपोरेट घरानों ने केजरीवाल को एक ही दिन में बीस करोड़ रुपया जुटा दिया और उनको और अधिक चन्दा लेने से मना करना पड़ा। कामरेड ख़ालिक़ ने जनता को समझाया कि जिनका रुपया लेकर केजरीवाल नेता बने हैं उनको ही लाभ पहुंचाएंगे,आम जनता को नहीं। जनता को अपनी कम्युनिस्ट पार्टी का साथ देना चाहिए और किसी के भी बहकावे में भटकना नहीं चाहिए।
कामरेड ख़ालिक़ ने बताया कि कोर्ट के आदेशों के विपरीत बिजली विभाग किसानों व गरीब बस्तियों में रहने वाले मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न कर रहा है जिसके विरुद्ध संघर्ष के लिए उन्होने महिलाओं से भी आगे आने का निवेदन व आह्वान किया।उन्होने घोषणा की कि कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल के निर्णय के अनुसार आज से 10 जनवरी 2014 तक बिजली की दरों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी और तत्काल लागू करने के खिलाफ जन जागरण अभियान किया जाएगा और दिनांक 11 जनवरी 2014 को गांधी प्रतिमा हजरतगंज में धरना दिया जाएगा जिसमें क्षेत्रीय नागरिक भी बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे।
सभा के अंत में नगर कौंसिल का चुनाव किया गया जिसमें कामरेड राजपाल यादव को नगर मंत्री, भाकपा लखनऊ तथा कामरेड बलवंत लोधी व कामरेड राम चंदर को सह सचिव चुना गया। अन्य 15 लोगों की नगर कौंसिल चुनी गयी। नगर कौंसिल भाकपा के पैनल में पर्यवेक्षक ऐनूद्दीन व संयोजक अशोक रावत का मार्ग दर्शन रहा।
क्रांतिकारी आर्यसमाजियों ने 1924 में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना विदेश में की थी । 1925 में कानपुर में मौलाना हसरत मोहानी की अध्यक्षता में एक सम्मेलन 25 दिसंबर को बुलाया गया था। उस सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष थे गणेश शंकर विद्यार्थी। 26 दिसंबर को विधिवत प्रस्ताव पास करके 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' की स्थापना की घोषणा कर दी गई। ब्रिटिश सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था इसलिए इसके कुछ कार्यकर्ता तो गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल रहे किन्तु कुछ क्रांतिकारी कार्यकर्ता सरदार भगत सिंह,चंद्र शेखर आज़ाद,रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाक़ उल्ला खाँ,बटुकेश्वर दत्त आदि के नेतृत्व में क्रांतिकारी संघर्ष करते रहे।
1947 में देश को सांप्रदायिक/साम्राज्यवादी आधार पर विभाजित करके पाकिस्तान की संरचना ब्रिटिश सरकार ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के इशारे पर की थी। अमेरिका हमेशा पाकिस्तान की समप्रभुत्ता का उल्लंघन करता रहा है और अब हमारी बानिज्य राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार व अपमानित करके भारत की सम्प्रभुत्ता को भी चुनौती दे रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिकापरस्ती बेनकाब होने के बाद पहले मोदी को आगे किया गया था किन्तु उन पर सांप्रदायिक नर-संहार का ठप्पा लगा होने के कारण 'आप' व केजरीवाल को अमेरिकी साम्राज्यवाद की रक्षा के लिए आगे लाया गया है। अतः कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्र की जनता को आगामी लोकसभा चुनावों में इस खतरे को ध्यान में रख कर ही मतदान में भाग लेना चाहिए।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ ने क्षेत्रीय जनता को झकझोरते हुये कहा कि देवी दुर्गा का झण्डा भी लाल है, हनुमान का झण्डा भी लाल है और हमारी कम्युनिस्ट पार्टी का झण्डा भी लाल है। जिस प्रकार दुर्गा व हनुमान ने दुष्टों का नाश किया था उसी प्रकार कम्युनिस्ट पार्टी भी किसानों/मजदूरों का शोषण करने वाले दुष्टों का नाश करने के लिए संघर्ष करती है। अतः लोगों को अपनी कम्युनिस्ट पार्टी को मजबूत करने के लिए इसमें शामिल होना चाहिए। कामरेड ख़ालिक़ ने यह भी कहा कि जनता को ईमानदार भी बनना पड़ेगा और अपने वोट को जाति,धर्म,संप्रदाय के आधार पर बिकने नहीं देना होगा तभी कम्युनिस्ट पार्टी चुनावों में सफल हो सकेगी और विधायिका से जनता के हक़ के कानून पास करा सकेगी। कामरेड ख़ालिक़ ने लोगों से अपील की कि वे महिलाओं को भी आगे लाएँ क्योंकि महिलाओं की भागीदारी के बिना कोई भी संघर्ष सफल नहीं हो सकता है। उन्होने रानी लक्ष्मीबाई,दुर्गा भाभी का ज़िक्र करते हुये महिलाओं के बलिदान की सराहना की।
कामरेड ख़ालिक़ ने भी जनता को आगाह करते हुये समझाया कि कांग्रेस सरकार तो अमेरिका के इशारे पर जनता की लूट कर ही रही है उसके विकल्प के रूप में पहले अमेरिका ने मोदी को बढ़ाया था लेकिन मोदी को सफल होते न देख कर अमेरिकी साम्राज्यवाद और कारपोरेट घरानों ने केजरी वाल को आगे बढ़ा दिया है। उन्होने बताया कि तीन साल पहले उनकी अध्यक्षता में सम्पन्न हुई एक घोष्ठी में बोलने केजरीवाल भी आए थे तब उनको कोई जानता भी न था और आज वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए हैं। कैसे?उन्होने कहा कि हमारी कम्युनिस्ट पार्टी को एक रुपया भी चन्दा न देने वाले कारपोरेट घरानों ने केजरीवाल को एक ही दिन में बीस करोड़ रुपया जुटा दिया और उनको और अधिक चन्दा लेने से मना करना पड़ा। कामरेड ख़ालिक़ ने जनता को समझाया कि जिनका रुपया लेकर केजरीवाल नेता बने हैं उनको ही लाभ पहुंचाएंगे,आम जनता को नहीं। जनता को अपनी कम्युनिस्ट पार्टी का साथ देना चाहिए और किसी के भी बहकावे में भटकना नहीं चाहिए।
कामरेड ख़ालिक़ ने बताया कि कोर्ट के आदेशों के विपरीत बिजली विभाग किसानों व गरीब बस्तियों में रहने वाले मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न कर रहा है जिसके विरुद्ध संघर्ष के लिए उन्होने महिलाओं से भी आगे आने का निवेदन व आह्वान किया।उन्होने घोषणा की कि कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल के निर्णय के अनुसार आज से 10 जनवरी 2014 तक बिजली की दरों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी और तत्काल लागू करने के खिलाफ जन जागरण अभियान किया जाएगा और दिनांक 11 जनवरी 2014 को गांधी प्रतिमा हजरतगंज में धरना दिया जाएगा जिसमें क्षेत्रीय नागरिक भी बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे।
सभा के अंत में नगर कौंसिल का चुनाव किया गया जिसमें कामरेड राजपाल यादव को नगर मंत्री, भाकपा लखनऊ तथा कामरेड बलवंत लोधी व कामरेड राम चंदर को सह सचिव चुना गया। अन्य 15 लोगों की नगर कौंसिल चुनी गयी। नगर कौंसिल भाकपा के पैनल में पर्यवेक्षक ऐनूद्दीन व संयोजक अशोक रावत का मार्ग दर्शन रहा।