Sunday 13 June 2021
Sunday 16 May 2021
लुटेरी प्रणाली से समाज में हिंसा बढ़ रही है ------ अश्वनी प्रधान
Ashwani Pradhan
16-05-2021
शायद कुछ ही वर्षों में हम इस देश में करोड़ों गरीबों से उनकी ज़मीने पीट पीट कर छीन लेगे.
गरीब विरोध करेंगे.
हम पुलिस से गरीबों को पिटवा कर उनकी ज़मीने छीन लेंगे.
गरीबों से ज़मीने छीन कर हम अपने लिये हाइवे, शापिंग माल, हवाई अड्डे, बाँध, बिजलीघर, फैक्ट्री बनायेंगे और अपना विकास करेंगे.
हम ताकतवर हैं इसलिए हम अपनी मर्जी चलाएंगे ?
गाँव वाले कमज़ोर हैं इसलिए इनकी बात सुनी भी नहीं जायेगी ?
सही वो माना जाएगा जो ताकतवर है ? तर्क की कोई ज़रुरत नहीं है ? बातचीत की कोई गुंजाइश ही नहीं है ?
और इस पर तुर्रा यह कि हम दावा भी कर रहे हैं कि अब हम अधिक सभ्य हो रहे हैं.
अब हम अधिक लोकतान्त्रिक हो रहे हैं ! और अब हमारा समाज अधिक अहिंसक बन रहा है.
हम किसे धोखा दे रहे हैं ? खुद को ही ना ?
करोड़ों लोगों की ज़मीने ताकत के दम पर छीनना, लोगों पर बर्बर हमले करना, फिर उनसे बात भी ना करना, उनकी तरफ देखने की ज़हमत भी ना करना.
कब तक इसे ही हम राज करने का तरीका बनाये रख पायेंगे ?
क्या हमारी यह छीन झपट और क्रूरता करोड़ों गरीबों के दिलों में कभी कोई क्रोध पैदा नहीं कर पायेगा ?
क्या हमें लगता है कि ये गरीब ऐसे ही अपनी ज़मीने सौंप कर चुपचाप मर जायेगे या रिक्शे वाले या मजदूर बन जायेंगे ?
या ये लोग भीख मांग कर जी लेंगे और इनकी बीबी और बेटियाँ वेश्या बन कर परिवार का पेट पाल ही लेंगी ?
और इन लोगों की गरीबी के कारण हमें सस्ते मजदूर मिलते रहेंगे ?
दुनिया में हर इंसान जब पैदा होता है तो ज़मीन, पानी, हवा, धूप, खाना, कपडा और मकान पर उसका हक जन्मजात और बराबर का होता है.
और किसी भी इंसान को उसके इस कुदरती हक से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि इनके बिना वह मर जाएगा.
इसलिए अगर कोई व्यक्ति या सरकार किसी भी मनुष्य से उसके यह अधिकार छीनती है तो छीनने का यह काम प्रकृति के विरुद्ध है, समाज के विरुद्ध है, संविधान के विरुद्ध है और सभ्यता के विरुद्ध है.
हम रोज़ लाखों लोगों से उनकी ज़मीने, आवास , भोजन और पानी का हक छीन रहे हैं. और इसे ही हम विकास कह रहे हैं. सभ्यता कह रहे हैं. लोकतंत्र कह रहे हैं .
यदि किसी व्यक्ति के पास अनाज, कपड़ा, मकान, कपडा, दूध दही, एकत्रित करने की शक्ति आ जाती है तो हम उसे विकसित व्यक्ति कहते है.
भले ही वह व्यक्ति अनाज का एक दाना भी ना उगाता हो, मकान ना बना सकता हो, खदान से सोना ना खोद सकता हो, गाय ना चराता हो.
अर्थात वह संपत्ति का निर्माण तो ना करता हो परन्तु उसके पास संपत्ति को एकत्र करने की क्षमता होने से ही हम उसे विकसित व्यक्ति कहते हैं.
बिना उत्पादन किये ही उत्पाद को एकत्र कर सकने की क्षमता प्राप्त कर लेना किसी विशेष आर्थिक प्रणाली के द्वारा ही संभव है.
और ऐसी अन्यायपूर्ण आर्थिक प्रणाली समाज में लागू होना किसी राजनैतिक प्रणाली के संरक्षण के बिना संभव नहीं है.
इस प्रकार के अनुत्पादक व्यक्तियों या व्यक्तियों के वर्ग को उत्पाद पर कब्ज़ा कर लेने को जायज़ मानने वाली राजनैतिक प्रणाली उत्पादकों की अपनी प्रणाली तो नहीं ही हो सकती.
इस प्रकार की अव्यवहारिक, अवैज्ञानिक, अतार्किक और शोषणकारी आर्थिक और राजनैतिक प्रणाली मात्र हथियारों के दम पर ही टिकी रह सकती है और चल सकती है.
इसलिए अधिक विकसित वर्गों को अधिक हथियारों, अधिक सैनिकों और अधिक जेलों की आवश्यकता पड़ती है. ताकि इस कृत्रिम राजनैतिक प्रणाली पर प्रश्न खड़े करने वालों को और इस प्रणाली को बदलने की कोशिश करने वालों को कुचला जा सके.
बिन मेहनत के हर चीज़ का मालिक बन बैठे हुए वर्ग के लोग अपनी इस लूट की पोल खुल जाने से डरते हैं. और इसलिए यह लोग इस प्रणाली को विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली सिद्ध करने की कोशिश करते हैं.
इस प्रणाली को यह लुटेरा वर्ग लोकतंत्र कहता है. इसे पवित्र सिद्ध करने की कोशिश करता है. इसके लिये धर्म, महापुरुष, फ़िल्मी सितारों, मशहूर खिलाड़ियों और सारे पवित्र प्रतीकों को अपने पक्ष में दिखाता है.
सारी दुनिया में अब यह लुटेरी प्रणाली सवालों के घेरे में आ रही है. इस प्रणाली के कारण समाज में हिंसा बढ़ रही है.
हम इसका कारण नहीं समझ रहे और इस हिंसा को पुलिस के दम पर कुचलने की असफल कोशिश कर रहे हैं. देखना यह है कि यह लूट अब और कितने दिन तक अपने को हथियारों के दम पर टिका कर रख पायेगी ?
साभार :
Sunday 24 January 2021
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर किसान विरोधी कानून वापस कराने का संकल्प
लखनऊ, 23 जनवरी 2021 को 22 - कैसर बाग स्थित भाकपा कार्यालय पर संयुक्त विपक्षी दल मोर्चा के तत्वावधान में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता कामरेड राकेश व सफल संचालन कामरेड अरविन्द राज स्वरूप द्वारा किया गया। तूलिका नामक एक नन्ही बच्ची के कविता पाठ ने सभी का मन मोह लिया , सबके द्वारा उसकी सराहना की गई व आशीर्वाद दिया गया।
प्रदेश भाकपा के राज्य सचिव कामरेड गिरीश ने विस्तार से दिल्ली बार्डर पर किसानों से संपर्क कर उनको दिए समर्थन के विषय में बताया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस पर जनता के इस संकल्प को दोहराया कि तीनों काले कानून जन - विरोधी हैं अतः उनको वापस लिए जाने तक संघर्ष जारी रहेगा बल्कि इसे और व्यापक बनाया जाएगा। उनके द्वारा 26 जनवरी गण तंत्र दिवस व 30 जनवरी बलिदान दिवस पर कार्यक्रम करके किसानों का समर्थन करने का आहवाहन किया गया।
गोष्ठी में मधू गर्ग , कान्ति मिश्र, राजद और प्रसपा के प्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों द्वारा भी अपने विचार व्यक्त करते हुए काले कृषि कानूनों को वापस लेने के संकल्प को समर्थन दिया गया।
Wednesday 13 January 2021
कैफ़ी आजमी का स्मरण किसान आंदोलन के संदर्भ में
लखनऊ , 13 जनवरी 2021
आज 22 कैसर बाग स्थित ipta कार्यालय पर ipta ,प्रलेस,जलेस और साझी दुनिया के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व उप कुलपति रूप रेखा वर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसका संचालन कौशल किशोर ने किया।
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल अंजान ने किसान आंदोलनों के इतिहास का विस्तृत विवेचन करते हुए तीन कृषि कानून किस प्रकार किसान विरोधी हैं इस बात पर स्पष्ट प्रकाश डाला। उनके अनुसार किसान सिर्फ भूमिधर नहीं है बल्कि वे सब लोग जो खेत मजदूर हैं, गो पालन, कुक्कुट पालन, मतस्य पालन या वे कार्य करते हैं जो कृषि से संबंधित हैं किसान हैं। इन नए कानूनों का इन सब पर ही असर नहीं पड़ रहा है बल्कि साधारण जनता पर भी पड़ रहा है। इसलिए यह लड़ाई कारपोरेट और पेट के बीच की लड़ाई है। जमीन का कारपोरेटीकरण रोकना देश , संविधान, गाँव,किसान और खेती को बचाने का जन - अभियान है। उत्तर - प्रदेश के किसान भी 23 जनवरी और 26 जनवरी के आंदोलन में बढ़ - चढ़ कर भाग लेंगे। कैफ़ी आजमी के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए अंजान साहब ने किसानों के संदर्भ में उनकी सक्रियता पर भी वृहद प्रकाश डाला।
कामरेड अतुल कुमार सिंह 'अंजान ' ने यह भी खुलासा किया कि, स्वामीनाथन कमेटी के सदस्य के रूप में उन्होंने किस प्रकार डॉ स्वामीनाथन को कांट्रेक्ट खेती के विरुद्ध राजी किया था । कांट्रेक्ट खेती कंपनी राज की स्थापना और देश की जनता की गुलामी का दस्तावेज है जिसे लागू नहीं होने दिया जाएगा।
आलोचक वीरेंद्र यादव ने प्रलेस के गठन के साथ ही स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में किसान सभा की लखनऊ में स्थापना का भी जिक्र किया। अपने समापन भाषण में वीरेंद्र यादव ने भी जनता का आह्वान किया कि देश व अपने हित में किसान आंदोलन का समर्थन करें।
अन्य वक्ताओं में सूरज बहादुर थापा, राकेश, राजेन्द्र वर्मा आदि प्रमुख थे। प्रारंभ में कैफ़ी आजमी व गौहर रजा की गजल का पाठ किया गया।
अंत में लोहिडी पर्व तीनों कृषि कानूनों की प्रतियों का दहन कर किसान, कलाकार,लेखक एकता ज़िन्दाबाद के गगन भेदी नारों के साथ मनाया गया।