Wednesday 26 September 2018

राफ़ेल घोटाला : फ्रांस के राष्‍ट्रपति ओलांदे ने खोल दी मोदी-अंबानी पार्टनरशिप की पोल ------ सत्‍यम वर्मा


*हिन्‍दुत्‍ववादी फासिस्‍टों की सत्‍ता के सभी अंगों पर पकड़ और समाज में उनकी जड़ें बहुत मज़बूत हो चुकी हैं।
** सत्‍ता से बाहर हो भी गए तो भी पूरे समाज में उनकी जकड़ बनी रहेगी, और नौकरशाही, न्‍यायपालिका, पुलिस, शिक्षा तंत्र, मीडिया आदि में उनकी घुसपैठ बनी रहेगी। 
*** मज़दूर वर्ग आधारित व्‍यापक फ़ासीवाद-विरोधी मोर्चा खड़ा करने की कोशिशें और कैडर-आधारित प्रगतिशील सामाजिक आन्‍दोलन खड़ा कर देने की कोशिशें तेज़ करनी होंगी।
Meenakshy Dehlvi
2 6 -09-2018 
राफ़ेल घोटाला - फ्रांस के राष्‍ट्रपति ओलांदे ने खोल दी मोदी-अंबानी पार्टनरशिप की पोल

सत्‍यम वर्मा

राफ़ेल घोटाला भारत ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इससे कहीं कम बड़े मामलों में जापान, कोरिया सहित कई देशों में सरकारें गिर चुकी हैं और प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति को जेल जाना पड़ा है। इस मामले में भ्रष्‍टाचार के इतने सारे साक्ष्‍य पहले ही आ चुके थे कि शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी, और मोदी सरकार द्वारा किए सौदे के समय फ्रांस के राष्‍ट्रपति रहे ओलांदे का बयान आ जाने के बाद तो मोदी सरकार के झूठ को ढंक रही लंगोट की आख़िरी चिन्‍दी भी उड़ गई है। लेकिन गोयबेल्‍स को भी मात देने वाले अंदाज़ में टीवी चैनलों से इसकी चर्चा ग़ायब है, सरकार का कोई छुटभैया कह रहा है कि मामले की ‘’जाँच’’ कराई जाएगी, सरगना चुप साधे हुए है और सारे हंगामे को ढँक देने वाला कोई नया भावनात्‍मक मुद्दा उभारने की योजना बनाने में अपने सिपहसालारों के साथ व्‍यस्‍त है।

विपक्षी बुर्जुआ पार्टियाँ ट्विटर पर व्‍यंग्‍यबाण छोड़ने से आगे बढ़ने की कूवत खो चुकी हैं। न तो उनके पास जुझारू कार्यकर्ता हैं, न ज़मीनी आधार, और न ही भ्रष्‍टाचार के सवाल पर सड़क पर उतरने का नैतिक साहस रह गया है। जिनका एक-एक विधायक तक ख़ुद भ्रष्‍टाचार के कीचड़ में सना हुआ है उनमें इस सवाल पर जुझारू आन्‍दोलन करने का दम कहाँ से आयेगा। माकपा, भाकपा जैसे संशोधनवादी पिलपिले और ठस हो चुके हैं। जिनकी पूँछ पकड़कर ये फ़ासीवाद को हराने (चुनाव में) का हसीन ख्‍वाब देख रहे हैं जब वे ही कुछ नहीं कर पा रहे तो भला ये क्‍या करेंगे। साल में 2-3 बार अपने कार्यकर्ताओं को जुटाकर कुछ आनुष्‍ठानिक हड़ताल व प्रदर्शन कर लेने में ही मगन होते रहते हैं और अपने समर्थकों को संतुष्‍ट होने का मसाला देते रहते हैं। पूरा विपक्ष और तमाम बुर्जुआ लिबरल और बहुतेरे वाम समर्थक बुद्धिजीवी भी इस मामले में ‘’जनता पर भरोसा’’ करके बैठा हुआ है कि पिछले साढ़े चार साल की बदहाली से तंग जनता ख़ुद ही फ़ासिस्‍टों के इस गिरोह को चुनाव में हराकर बाहर कर देगी और सत्‍ता का फल टप से उनकी झोली में आ गिरेगा।
अव्‍वलन तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है, फ़ासिस्‍ट चुनाव के पहले क्‍या गुल खिला सकते हैं कोई नहीं जानता। सत्‍ता में आने के बाद, फ़ासिस्‍ट दुनिया में कहीं भी आसानी से सत्‍ता छोड़ते नहीं हैं, और अब किसी को इस बात में तो संदेह नहीं रह जाना चाहिए कि हिन्‍दुत्‍ववादी फासिस्‍टों की सत्‍ता के सभी अंगों पर पकड़ और समाज में उनकी जड़ें बहुत मज़बूत हो चुकी हैं। दूसरे, अगर किसी करामात से वे चुनाव में सत्‍ता से बाहर हो भी गए तो भी पूरे समाज में उनकी जकड़ बनी रहेगी, और नौकरशाही, न्‍यायपालिका, पुलिस, शिक्षा तंत्र, मीडिया आदि में उनकी घुसपैठ बनी रहेगी। जो भी नई सरकार आएगी वह इन्‍हीं आर्थिक नीतियों को लागू करेगी और उससे पैदा होने वाले असन्‍तोष की आग पर अपनी रोटियाँ सेंकने में फासिस्‍ट फिर से जुट जायेंगे। इसलिए फासीवाद के ख़ि‍लाफ़ लड़ाई लम्‍बी है, किसी खु़शफ़हमी में रहना घातक है, मज़दूर वर्ग आधारित व्‍यापक फ़ासीवाद-विरोधी मोर्चा खड़ा करने की कोशिशें और कैडर-आधारित प्रगतिशील सामाजिक आन्‍दोलन खड़ा कर देने की कोशिशें तेज़ करनी होंगी। कोई भी शॉर्टकट शॉर्ट समय के लिए थोड़ी राहत भले ही दे दे, बदले में नासूर को और गहरा ही कर जाएगा।
https://www.facebook.com/meenakshy.dehlvi/posts/1843310305757949?__xts__%5B0%5D=68.ARBIR_yTjuCJF0lFvYFJ8EKYzr6lysJjESlsLgX2jJqhbNcJ2psIkXG4-deUXTNNUnlxNM0PKN5LlIwSh-yFJR1EXv-kyNFGs4Szp1bj1AToeI9pUn0sAXjyadVtbvC_QauxhJgZLcTc19KJvvSZqe9OeHjSvmZSO-XlLGfToBV3IifcYoMfFg&__tn__=-R

Tuesday 11 September 2018

बंद रास्ते खोलने के वास्ते भारत बंद 10 सितंबर 2018




महंगाई के खिलाफ वामपंथी दलों का उत्तर प्रदेश भर में जबरदस्त प्रतिरोध प्रदर्शन : 

लखनऊ- 10 सितंबर 2018,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि , डालर के मुक़ाबले रुपये की कीमत में असहनीय गिरावट और हाड़तोड़ महंगाई के खिलाफ वामपंथी दलों ने हर जिले में जबरदस्त प्रतिरोध प्रदर्शन  किया। 

आज पूर्वान्ह से ही हर जगह वामपंथी दलों के जत्थे प्रतिरोध प्रदर्शन हेतु सड़कों पर उतर गये। कई जगह प्रदर्शन किये गये, जाम लगाये गये और अनेक जगह केन्द्र और राज्य सरकार के पुतले फूंके गये। कई जिलों में वामपंथी दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार किये गये।

डा॰ गिरीश ने कहाकि अनेक जगह व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने स्वतः बन्दी रखी। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी व्यापारी संगठन ने विपक्ष के इस आंदोलन का कोई विरोध नहीं किया। किसानों, कामगारों, युवाओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं आदि समाज के विभिन्न तबकों ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।

राजधानी लखनऊ में वामपंथी दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता भाकपा के केसरबाग स्थित कार्यालय पर एकत्रित हुये और आक्रोशपूर्ण नारे लगाते हुये जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर पहुंचे, जहां आमसभा की गई। प्रदर्शन का नेत्रत्व भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य सचिव डा॰ गिरीश, सहसचिव अरविंदराज स्वरूप, इम्तियाज़ अहमद पूर्व विधायक, का॰ आशा मिश्रा, सीपीएम की पूर्व सांसद और पोलिटब्यूरो सदस्य सुभासिनी अली, सचिव मण्डल सदस्य प्रेमनाथ राय, मधु गर्ग, आर॰ एस॰ बाजपेयी, माले के नेता रमेश सिंह सेंगर आदि ने किया।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने प्रतिरोध अभियान को कामयाब बनाने को सभी वामपंथी कार्यकर्ताओं और अन्य सहयोगियों को बधाई दी है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उतर प्रदेश

Monday 3 September 2018

' न दैन्यम न पलायनम ' के शिक्षक योगीराज श्री कृष्ण ------ विजय राजबली माथुर



श्री कृष्ण का साम्यवाद विभेद नहीं करता । यह सभी को समान दृष्टि से देखता है। --- बृजेश शुक्ल


डॉ हजारी प्रसाद दिववेदी ने अपने एक निबंध में बताया है कि, श्री कृष्ण ने महाभारत - युद्ध के समय अर्जुन को जो शिक्षा दी उसका मूल उद्देश्य उनको यह समझाना था कि   ' न दैन्यम न पलायनम ' अर्थात  किसी भी समस्या के आने पर न तो दीनता दिखानी चाहिए और न ही पलायन करना चाहिए बल्कि समय और परिस्थिति के अनुसार उस का डट कर मुक़ाबला करना चाहिए और ऐसा करने से सफलता तो स्वतः ही मिल जाती है। श्री कृष्ण के जन्म समय का जो प्रतीकात्मक वर्णन मिलता है लगभग वैसी ही काली - काली घटाएँ आज भी सामाजिक परिदृश्य पर छाई हुई हैं। युवा -  वर्ग को अपने मानस - पटल पर श्री कृष्ण के चरित्र और उनकी दी हुई शिक्षा को उतारना होगा न कि ढोंगवाद में उलझ कर अपने जीवन को नारकीय बनाना तब ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की सार्थकता सम्पन्न हो सकती है। 
*जब श्री कृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ उस समय गावों का शहरों द्वारा शोषण चरम पर था और बालक श्री कृष्ण को यह गवारा न हुआ  कि, ग्रामीण संपदा गांवों को मोहताज व शहरों को समृद्ध करे अतः उन्होने शहरों की ओर 'मक्खन ' ले जाती ग्वालनों की मटकियाँ फोड़ने का कार्यक्रम अपने बाल साथियों के साथ चलाया था। 
योगीराज श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन शोषण-उत्पीड़न और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करते हुये ही बीता किन्तु ढ़ोंगी-पोंगापंथी-पुरोहितवाद ने आज श्री कृष्ण के संघर्ष को 'विस्मृत' करने हेतु उनको अवतार घोषित करके उनकी पूजा शुरू करा दी। कितनी बड़ी विडम्बना है कि 'कर्म' पर ज़ोर देने वाले श्री कृष्ण के 'कर्मवाद ' को भोथरा करने के लिए उनको अलौकिक बता कर उनकी शिक्षाओं को भुला दिया गया और यह सब किया गया है शासकों के शोषण-उत्पीड़न को मजबूत करने हेतु। अनपढ़ तो अनपढ़ ,पढे-लिखे मूर्ख ज़्यादा ढोंग-पाखंड मे उलझे हुये हैं।
**कुछ एथीस्ट सांप्रदायिक तत्वों द्वारा निरूपित सिद्धांतों को धर्म मान कर धर्म को त्याज्य बताते हैं। जबकि धर्म=जो शरीर को धारण करने के लिए आवश्यक है वही 'धर्म' है;जैसे-सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य । अब यदि ढ़ोंगी प्रगतिशीलों की बात को सही मान कर धर्म का विरोध किया जाये तो हम लोगों से इन सद्गुणों को न अपनाने की बात करते हैं और यही कारण है कि सोवियत रूस मे साम्यवाद का पतन हो गया (सोवियत भ्रष्ट नेता ही आज वहाँ पूंजीपति-उद्योगपति हैं जो धन जनता और कार्यकर्ता का शोषण करके जमा किया गया था उसी के बल पर ) एवं चीन मे जो है वह वस्तुतः पूंजीवाद ही है।दूसरी ओर थोड़े से पोंगापंथी केवल 'गीता ' को ही महत्व देते हैं उनके लिए भी 'वेदों ' का कोई महत्व नहीं है।
***'पदम श्री  'डॉ कपिलदेव द्विवेदी जी कहते हैं कि,'भगवद गीता' का मूल आधार है-'निष्काम कर्म योग' 
"कर्मण्ये वाधिकारस्ते ....................... कर्मणि। । " (गीता-2-47)

इस श्लोक का आधार है यजुर्वेद का यह मंत्र-

"कुर्वन्नवेह कर्मा................... न कर्म लिपयाते नरो" (यजु.40-2 )

इसी प्रकार सम्पूर्ण बाईबिल का मूल मंत्र है 'प्रेम भाव और मैत्री ' जो यजुर्वेद के इस मंत्र पर आधारित है-

"मित्रस्य मा....................... भूतानि समीक्षे। ....... समीक्षा महे । । " (यजु .36-18)

एवं कुरान का मूल मंत्र है-एकेश्वरवाद-अल्लाह की एकता ,उसके गुण धर्मा सर्वज्ञ सर्व शक्तिमान,कर्त्ता-धर्त्तासंहर्त्ता,दयालु आदि(कुरान7-165,12-39,13-33,57-1-6,112-1-4,2-29,2-96,87-1-5,44-6-8,48-14,1-2,2-143 आदि )।


इन सबके आधार मंत्र हैं-


1-"इंद्रम मित्रम....... मातरिश्चा नामाहू : । । " (ऋग-1-164-46)

2-"स एष एक एकवृद एक एव "। । (अथर्व 13-4-12)
3-"न द्वितीयों न तृतीयच्श्तुर्थी नाप्युच्येत। । " (अथर्व 13-5-16)
****पहले के विदेशी शासकों ने हमारे महान नेताओं -राम,कृष्ण आदि को बदनाम करने हेतु तमाम मनगढ़ंत कहानियाँ यहीं के चाटुकार विद्वानों को सत्ता -सुख देकर लिखवाई जो 'पुराणों ' के रूप मे आज तक पूजी जा रही हैं। बाद के अंग्रेज़ शासकों ने तो हमारे इतिहास को ही तोड़-मरोड़ दिया। यूरोपीय इतिहासकारों ने लिख दिया आर्य एक जाति-नस्ल थी जो मध्य यूरोप से भारत एक आक्रांता के रूप मे आई थी जिसने यहाँ के मूल निवासियों को गुलाम बनाया। इसी झूठ को ब्रह्म वाक्य मानते हुये 'मूल निवासियों भारत को आज़ाद करो'  आंदोलन चला कर भारत को छिन्न-भिन्न करने का कुत्सित प्रयास चल रहा है। अंग्रेजों ने लिख दिया कि 'वेद  गड़रियों के गीत हैं ' और साम्राज्यवाद विरोधी होने का दंभ भरने वाले पंडित सरीखे उद्भट विद्वान उसी आधार पर वेदों को अवैज्ञानिक बताते नहीं थकते हैं।
*****हिटलर ने खुद को आर्य घोषित करते हुये दूसरों के प्रति नफरत फैलाई जो कि आर्यत्व के विपरीत है। 'आर्य'=श्रेष्ठ अर्थात वे स्त्री पुरुष जिनके आचरण और कार्य श्रेष्ठ हैं 'आर्य' है इसके विपरीत लोग अनार्य हैं। न यह कोई जाति थी न है।
******'आर्य ' सार्वभौम शब्द है और यह किसी देश-काल की सीमा मे बंधा हुआ नहीं है। आर्यत्व का मूल 'समष्टिवाद ' अर्थात 'साम्यवाद ' है। प्रकृति में संतुलन को बनाए रखने हेतु हमारे यहाँ यज्ञ -हवन किये जाते थे।  पदार्थ विज्ञान - Material- Scince के अनुसार अग्नि में डाले गए पदार्थ परमाणुओं में विभक्त हो कर वायु द्वारा प्रकृति में आनुपातिक रूप से संतुलन बनाए रखते थे। 
इस प्रकार ' भगवान ' = 'भ'(भूमि)ग (गगन)व (वायु) ।(अनल-अग्नि)न (नीर-जल)को अपना समानुपातिक भाग प्राप्त होता रहता था। 
Generator,Operator ,Destroyer भी ये  ही तत्व होने के कारण यही GOD है और किसी के द्वारा न बनाए जाने तथा खुद ही बने होने के कारण यही 'खुदा 'भी है। अब भगवान् का अर्थ मनुष्य की रचना -मूर्ती,चित्र आदि से पोंगा -पंथियों के स्वार्थ में कर दिया गया है और प्राकृतिक उपादानों को उपेक्षित छोड़ दिया गया है जिसका परिणाम है-सुनामी,अति-वृष्टि,अनावृष्टि,अकाल-सूखा,बाढ़ ,भू-स्खलन,परस्पर संघर्ष की भावना आदि-आदि.
(विजय राजबली माथुर )
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03-09-2018 


Saturday 1 September 2018

Statement by Sudha Bharadwaj ------ Joy Sengupta






Joy Sengupta
01-09-2018 
*Statement by Sudha Bharadwaj*

*Regarding the letter issued to the Press by Pune Police*

1. It is a totally concocted letter fabricated to criminalize me and other human rights lawyers, activists and organisations.

2. It is a mixture of innocuous and publicly available facts and baseless fabrication. Various legal and democratic activities such as meetings, seminars, protests have been sought to be delegitimised by alleging that they are funded by Maoists.

3. A number of human rights lawyers, activists and organisations have been deliberately named to cast a stigma over them, to obstruct their work and incite hatred against them.

4. There is an effort to delegitimise IAPL an association of lawyers whose president is Retd J. Hospet Suresh and which has been active in speaking up against attacks on lawyers.

5. I categorically state that I have never given Rs. 50, 000/- to hold any programme in Moga. Nor do I know any “Ankit from Maharashtra” or “Com Ankit who is in touch with Kashmiri Separatists.

6. I know Gautam Navlakha, a senior and respected human rights activist whose name has been mentioned in a manner to criminalize and incite hatred against him.

7. I know Jagdalpur Legal Aid Group well and have never solicited any funds for them least of all from any banned organisation. I categorically state that their work has been absolutely legitimate and legal.

8. I know Advocate Degree Prasad Chouhan a dalit human rights activist who is active in PUCL and works with the Human Rights Law Network. Totally baseless allegation has been made against him.

9. There has been an effort to criminalize and incite hatred against various lawyers activists and organisations who have exposed HR violations in Bastar, Chhattisgarh.

I once again declare that this is a fabricated letter, which I had refuted when it was flashed on Republic TV on 4th July, and which has not even been brought before either the Pune Court nor the CJM Faridabad while seeking to whisk me away to Pune.

Sudha Bharadwaj
Dated 31.08.2018
Through my lawyer Adv. Vrinda Grover

https://www.facebook.com/joy.sengupta.7549/posts/10157942658224569?__xts__%5B0%5D=68.ARAzEcfuTf83aItlXW0G6nxq4R1SVXnIa7kaVmvFSpCW7_sso411BkCfIixaORMojZ3wFiKicxMh8CheVc_jY6l3DVfXD-o2rYS21BaTuqfuqQuDRZmN6URnGgXeRlJqbluG9FcDN_x0FvXnMt1fzrOGE6wqXhBIC4AcDj0VopPot4nquLmT9sw&__tn__=-R
From the wall of Joy Sengupta




Friday, 6 July 2018
सुधा भारद्वाज...यूनियनिस्ट, एक्टिविस्ट और वकील..एक असल "इंसान" ------ Mahendra Dubey
http://communistvijai.blogspot.com/2018/07/mahendra-dubey.html