Thursday 17 October 2019

वामदलों का विरोध प्रदर्शन, लखनऊ में

फोटो सौजन्य से कामरेड प्रदीप शर्मा 


लखनऊ, में कल दिनांक  16 अकूबर को 5  वामपंथी दलों ( भाकपा, माकपा , भाकपा - माले, फारवर्ड ब्लाक और आर एस पी ) ने पक्का पुल ( लाल पुल ) से घंटाघर तक प्रदर्शन जुलूस निकाल कर एक सभा की जिस के द्वारा  नौजवानों, किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, व्यापारियों और आर्थिक मंदी से पीड़ित अन्य तबकों की समस्याओं के समाधान की मांग के साथ - साथ दलितों व महिलाओं के उत्पीड़न को भी समाप्त करने की मांग को जोरदार ढंग से उठाया गया। 
सभी दलों के वक्ताओं ने अमीरों को सुविधाएं दिये जाने व रोजगार के अवसर समाप्त किए जाने, होमगार्ड्स  की छटनी किए जाने आदि की  कड़ी आलोचना की। 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने13 अक्तूबर 2019 एक बयान में खुलासा किया  था कि " विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को नोटिस भेज कर वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये अतिरिक्त “सीक्यौरिटी राशि” की मांग की जारही। जनता की निगाहों से ओझल किन्ही मनमाने नियमों के तहत यह राशि उपभोक्ताओं द्वारा गत वर्ष उपभोग की गयी बिजली की औसत 45 दिन की कीमत के बरावर मांगी जारही है।

यदि किसी उपभोता का गत वर्ष 45 दिनों का औसत बिल 10,000 रुपये था तो उसे इस अग्रिम सीक्यौरिटी की मद में 10,000 रुपये जमा करने होंगे। इसी तरह यदि यह राशि 5, 4, 2 अथवा 1 हजार रही होगी तो इतनी ही राशि अब जमा करनी होगी। यदि किसी उपभोक्ता का गत वर्ष 45 दिन का औसत बिल 15, 20 अथवा 25 हजार रहा होगा तो उसे इतनी राशि इस मद में जमा करनी होगी। यह धनराशि नोटिस जारी होने के 30 दिनों के भीतर जमा कर विद्युत विभाग को लिखित रूप में अवगत कराना होगा। ऐसा न करने पर बिजली कनेक्सन काट दिया जायेगा।

अभूतपूर्व आर्थिक मंदी की मार से व्यथित लोगों पर जब विद्युत विभाग के ये नोटिस पहुँचने शुरू हुये तो उनके होश उड़ गए। उन्हें अपनी दीवाली अंधेरी नजर आने लगी। मध्यमवर्ग और गरीब वर्ग इस पेनल्टी की कल्पना मात्र से सिहर उठा है। उसे अपने पुश्तेनी कनेक्सन पर अलग से यह भारी राशि जमा करने का कोई औचित्य नजर नहीं आरहा। वह इसे सरकार द्वारा जनता की खुली लूट मान रहा है।

 अभी अभी लागू हुयी महंगी दरों से ही उपभोक्ता हलकान हैं और अब इस अतिरिक्त भार की मार को वे सहन नहीं कर पाएंगे। जैसे जैसे ये नोटिस उपभोक्ताओं पर पहुँच रहे हैं उनकी बेचैनी बढ़ती जारही है। कभी भी यह बेचैनी आक्रोश का रूप ले सकती है।" 

कल की इस जनसभा में जनहित के इन सभी मुद्दों पर चर्चा किए जाने तथा मोदी / योगी सरकार की जन - विरोधी नीतियों की आलोचना किए जाने से क्षुब्ध पुलिस अधिकारियों द्वारा सभा व प्रदर्शन को बाधित भी किया गया किन्तु कार्यकर्ताओं के जोश के आगे उनको यह स्पष्टीकरण भी देना पड़ा कि ' हम आपके साथ हैं ' लेकिन नौकरी भी करनी है।