Wednesday, 28 September 2016

ब्राह्मण वादियों का कन्हैया पर हमला क्यों? ------ विजय राजबली माथुर

सच्चे साधक धक्के खाते, अब चमचे मजे उड़ाते हैं। 

जैसे चींटा गुड पे चिपके , वैसे ये लफ्फाजी में इतराते हैं। ।  

राजनीतिक हों  या गैर - राजनीतिक  ब्राह्मण वादियों  की यह विशेषता होती है कि, वे सच  को झुठलाने के लिए  झूठी - झूठी  कहानियाँ गढ़ने  में माहिर होने के कारण  झूठ  का ज़बरदस्त  प्रचार करते हैं जिससे  साधारण जन भ्रमित  हो जाये  और उनका उल्लू सीधा होता रहे। जैसे अर्थशास्त्र  का  ग्रेशम  का यह नियम कि, ' खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है  ' समाज में  लागू होता है उसी प्रकार राजनीति  में भी लागू होता है।  व्यापारी  प्रवृति के जो लोग राजनीति में स्वार्थवश  घुसे हुये हैं पूरी राजनीति पर हावी हो जाते हैं तथा निस्स्वार्थ  कार्यकर्ताओं का शोषण व उत्पीड़न करते हैं जिससे वे परेशान होकर राजनीति छोड़ जाएँ। इसी उद्देश्य को  ध्यान रख कर युवा छात्र नेता कन्हैया कुमार पर हमले करवाए जाते हैं। 






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Comments
Vinay Krishna KaleBadal क्या गलत कहा कन्हैया ने,जितने भी शहीद हुये है वो सभी गरीब घर के है कोई भी शहीद किसी बड़े राजनीतिक घराने या बड़े व्यावसायिक घराने का नहीं है,
Vijai RajBali Mathur जी हाँ कन्हैया कुछ भी गलत नहीं कहा था।
Vijai RajBali Mathur

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Babu Kutty Joseph · 6 mutual friends
Aggarwal ji, truth is bitter. What Kanaiya said is the truth. Most, rather all soldiers, are from poor background, and if they die and often they die, the Govt damn care for them. War is not a solution at all. It's only through peaceful discussion, intelligent moves and of course statesmanship that will bring lasting solution. Even after war you will have to come to table, then why can't before?
Arvind Raj Swarup Cpi ये मुकुट धारी ज़रूर हाफ़ पैंट वाले होंगे।
कौवा कान ले गया ।
ये झूठे और मक्कार होते हैं ।
Baleshwar Mishra · Friends with Arvind Raj Swarup Cpi
श्री काम0अरविन्द राज स्वरुप जी की बात का समर्थन करता हु।
Vijai RajBali Mathur

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Sangita Roy Inki mansikta aisa hi hota hay ....sach se muh chhupa lete hay....sach kahne walo KO gaalian dete hay...
Siromani Rajput · 10 mutual friends
ए जरूर हाफ पैंट वालों के शिशय होंगे
Ashok Kumar घोर उपभोक्ता वाद और बाजारवाद ने ऐसे ही पत्रकारों को जन्म दिया है जो पत्रकारिता कम स्टेनो का काम ज्यादा करते हैं . फ्रैंड लिस्ट से हटा दिया यह ठीक है लेकिन इससे पहले उसे कुछ फटकार लगाना भी जरुरी है . क्यों कि जो अबोध है उसे समझाया जा सकता है लेकिन जो समझना ही नहीं चाहते उन्हें फटकार और पीट कर ही समझाया जा सकता है .
Kamaal Khan Iske jaise log Agar kahin pune ke job paa jaate to media aise na hote...
Mahendra Rawat · 2 mutual friends
कन्हैयानेआइनादिखायाहैजोएलोगबर्दास्तनकरसके
Gyanendra Katiyar · Friends with Arvind Raj Swarup Cpi
pareshan mat ho agrawal g kanhaiya hi bjp ka band bajayega
Mahesh Donia Sahi kiya.
O P Singh · Friends with Kaushal Kishor and 1 other
Mha bvkuf hi Ye mukutdhari
O P Singh · Friends with Kaushal Kishor and 1 other
Ghana hi ptrkar nhi
Jitendra Kumar मुकुटधरी के सर पर ज्ञान नहीं,अज्ञानता का मुकुट है।
UnlikeReply1September 22 at 9:02pm

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****** रांची में भी कन्हैया ने जो कहा उसे वीडियो में सुन कर समझ आ जायेगा कि, क्यों ब्राह्मण वादी कन्हैया का विरोध करते हैं? और लखनऊ भाषण का भी अवलोकन करें तो इसका कारण स्पष्ट हो जाएगा। 
 वस्तुतः यू पी भाकपा का AAP गुट खुद को खुदा समझता है और अपने स्वार्थ में जब चाहे तब पार्टी तोड़ देता है, obc व sc के उन कर्मठ कार्यकर्ताओं को भी समर्थकों सहित  पार्टी छोडने पर मजबूर  कर देता है जिनको पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनाव में भी उतार चुका होता है। कन्हैया तो युवा छात्र नेता हैं पूर्व AISF अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कामरेड आतुल अंजान साहब को भी यही गुट ख़्वामख़्वाह बदनाम करता रहता है और दोष किसी और पर मढ़ देता है जिसका नमूना इस फोटो में मिल जाएगा जिसमें AAP को साफ - साफ बचा कर दोषी  किसी दूसरे मोहरे को बताया गया है : 


जिस पोस्ट से संबन्धित यह टिप्पणी है उससे इस  URL में अंजान साहब का सकारात्मक पक्ष पढ़ने को मिलता है। 
http://communistvijai.blogspot.in/2014/11/blog-post_29.html

यही बात AAP गुट को नागवार गुजरती है जिस कारण जी एल चतुर्वेदी साहब को मोहरा बना कर दूसरा मोहरा डॉ गिरीश पर भी प्रहार करवाया गया है। AAP का नायक इतना चतुर और तिकड़मी है कि, खुद को बचाए रखने के लिए नित नए - नए मोहरे गढ़ता और काम निकलने के बाद उन पर किसी और नए मोहरे से प्रहार करवाता रहता है , आज वह केंद्र में एक बड़ा नेता है और खुद को बर्द्धन जी का उत्तराधिकारी के रूप में प्रचारित कर रहा है जिसके लिए बर्द्धन जी के प्रिय शिष्य अतुल अंजान साहब पर प्रहार करके उनको बदनाम करना बेहद ज़रूरी है। 
चतुर्वेदी साहब लिखते हैं कि, डॉ गिरीश पहले अखबारों में मित्रसेन जी यादव के खिलाफ लिखते थे अब अंजान साहब के विरुद्ध लिखते हैं। चतुर्वेदी साहब  बड़ी ही चालाकी से पार्टी में छाए परिवार वाद/ ब्राह्मण वाद से इंकार करके AAP के नायक को साफ - साफ बचा जाते हैं और सारा का सारा दोष डॉ गिरीश पर मढ़ देते हैं। 
AAP  के नायक का कहना है जब तक उनका हाथ गिरीश जी की पीठ पर है तभी तक वह पद पर हैं।उनका यह भी कहना है कि, अगर बैंक से रु 28000/- निकाले जाते हैं तो गिरीश की जीप पर रु 18000/- का डीजल खर्च में निकल जाते हैं और बचे हुये रु 10000/- मात्र में पूरी पार्टी का खर्च चलता है जिसमें होल टाईमर्स की वेज भी शामिल है। अर्थात गिरीश जी से मोहब्बत की पूरी कीमत वसूलने का फार्मूला पहले ही तैयार है लेकिन गिरीश जी इस फितरत को समझें तब न ? इन नायक महोदय ने टेलीफोन पर अंजान साहब से वायदा किया था कि, वह तीसरी बार गिरीश जी को नहीं बनाएँगे बल्कि किन्ही मुन्ना साहब को बनाएँगे और अंजान साहब से लगे हाथों यह भी कह दिया था कि, मुन्ना भी कोई खास अच्छे नहीं हैं ; इस कथन को सही सिद्ध करने के लिए मुन्ना साहब से सोशल मीडिया पर अंजान साहब के खिलाफ टिप्पणियाँ लिखवा दिये जिससे मुन्ना साहब का चांस मुफ्त में कट गया और गिरीश जी तीसरी बार भी सर्व-सम्मति से पदारूढ़ हो गए। अब प्रकट में तो यही दीख रहा है कि, डॉ गिरीश और मुन्ना साहब ही अंजान साहब के विरोधी हैं। अंजान साहब भी इसी को सच मान कर AAP के नायक साहब के प्रति नतमस्तक हैं। जी एल चतुर्वेदी और सत्यनारायन त्रिपाठी साहब का सोशल मीडिया पर यह वार्तालाप AAP के ब्राह्मण नायक को बचाने हेतु ही सामने आया है , इसे ब्राह्मण वाद क्यों न कहा जाये ?

कन्हैया अभी उदीयमान छात्र नेता हैं वह कैसे AAP के नायक की चालाकियाँ समझ सकते हैं जबकि, परिपक्व  वरिष्ठ नेता अंजान साहब ही नहीं समझ पा रहे हैं ? केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों व प्रदेश सरकार के अनेकों मंत्रियों से निजी सम्बन्धों की प्रगाढ़ता के चलते AAP नायक भाजपा से 'कन्हैया विरोधी अभियान '  ( जैसा कि, ऊपर लगे समाचार फोटो से इंगित है ) चलवा कर कन्हैया को नाहक बदनाम करना चाहते हैं ताकि ब्राह्मण वादी केंद्र की फासिस्ट सरकार पूरी तरह सुरक्षित बनी रहे। 
अंजान साहब को आगे बढ़ कर कन्हैया को आशीर्वाद व पूर्ण समर्थन प्रदान करना चाहिए तभी पार्टी के भीतर से ब्राह्मण वादी तिकड़म को परास्त किया जा सकता है जिसके बगैर फासिस्टों से मुक़ाबला नहीं किया जा सकता है।  
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