जो लोग दिवा स्वप्न देखने के अभ्यस्त रहे हैं उनकी आँखें अब तो इस वक्तव्य को पढ़ कर खुल जानी चाहिए। जब तक वर्तमान सरकार को संविधान संशोधन करने लायक तीन चौथाई बहुमत हांसिल नहीं है तभी तक वह संविधान का पालन करेगी अब उस पार्टी के अध्यक्ष ने ही यह स्पष्ट कर दिया है। राज्यों में दिल्ली के केजरीवाल फार्मूले को लागू करते हुये मन-पसंद दूसरे दलों की सरकार होने से केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी किसी भी इल्ज़ाम से साफ-साफ बची रहेगी जबकि उसके मंसूबे पूरे होते ही रहेंगे। केंद्र व राज्यों में तीन चौथाई बहुमत प्राप्त होते ही वर्तमान संविधान को रद्द कर दिया जाएगा और दक्षिणपंथी असैनिक तानाशाही स्थापित कर दी जाएगी।
लेकिन लोकतन्त्र की रक्षा हेतु भी विपक्ष के दल,विद्वान,चिंतक एकजुट होने को तैयार नहीं हैं केवल थोथे अहंकार से सांप्रदायिक/साम्राज्यवादी शक्तियों को परास्त नहीं किया जा सकता है यदि अब भी न सम्हले तब यह समझा जाना चाहिए कि आत्मघाती कदम उठाए जा रहे हैं।
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(वस्तुतः 'साम्यवाद' को जो कि भारतीय वाङ्ग्मय की देंन है को
विदेशी दृष्टिकोण से लागू करवाने की असफल कोशिशें ही इसकी विफलता का हेतु
हैं। समय-समय पर इस ओर ध्यानाकर्षण करने का प्रयास करता रहा हूँ परंतु मेरी
हैसियत ही क्या है जो उस पर गौर किया जाये?)
मेरा विचार है कि अब समय आ गया है जब भारतीय कम्यूनिस्टों को भारतीय सन्दर्भों के साथ जनता के समक्ष आना चाहिए और बताना चाहिए कि धर्म वह नहीं है जिसमें जनता को उलझा कर उसका शोषण पुख्ता किया जाता है बल्कि वास्तविक धर्म वह है जो वैदिक मतानुसार जीवन-यापन के वही सिद्धांत बताता है जो कम्यूनिज्म का मूलाधार हैं.
http://krantiswar.blogspot.in/2011/05/blog-post_14.htmlमेरा विचार है कि अब समय आ गया है जब भारतीय कम्यूनिस्टों को भारतीय सन्दर्भों के साथ जनता के समक्ष आना चाहिए और बताना चाहिए कि धर्म वह नहीं है जिसमें जनता को उलझा कर उसका शोषण पुख्ता किया जाता है बल्कि वास्तविक धर्म वह है जो वैदिक मतानुसार जीवन-यापन के वही सिद्धांत बताता है जो कम्यूनिज्म का मूलाधार हैं.
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काश सभी बिखरी हुई कम्युनिस्ट शक्तियाँ दीवार पर लिखे को पढ़ें और यथार्थ को समझें और जनता को समझाएँ तो अभी भी शोषक-उत्पीड़क-सांप्रदायिक शक्तियों को परास्त किया जा सकता है। लेकिन जब धर्म को मानेंगे नहीं अर्थात 'सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य' का पालन नहीं करेंगे 'एथीस्ट वाद' की जय बोलते हुये ढोंग-पाखंड-आडंबर को प्रोत्साहित करते रहेंगे अपने उच्च सवर्णवाद के कारण तब तो कम्यूनिज़्म को पाकर भी रूस की तरह खो देंगे या चीन की तरह स्टेट-कम्यूनिज़्म में बदल डालेंगे।
http://krantiswar.blogspot.in/2014/05/blog-post_22.html
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