भूमी अर्धिग्रहण बिल के खिलाफ मे आर ब्लाक चौराहा पर गरजते पूर्व सासंद गुरूदास दास गुप्ता |
डॉ हेमचन्द झा |
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=868229266582224&set=pcb.290809297709457&type=1&theater
केन्द्र
सरकार के द्वारा किसान विरोधी काला भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिरोध मार्च पटना मे सम्पन्न हुआ ।
प्रतिरोध मार्च गाॅधी मैदान से डाकबंगला चौराहा , स्टेशन गोलम्बर होते हुए
आर ब्लाक पहुची जहाँ राज्य सचिव काॅ0 सत्यनारायण सिंह की अध्यक्षता मे सभा
हुई । सभा को भाकपा के राष्ट्रीय उप महासचिव काॅ0 गुरुदास दासगुप्ता,
बीकेएमयू के राष्ट्रीय महासचिव काॅ0 नगेन्द्र नाथ ओझा ने सम्बोधित किया
।भीषण गर्मी और देह जला देने वाली धूप के बावजूद लगभग पचास हजार लोगों ने प्रतिरोध मार्च में भाग लिया। इस मार्च में ग्रामीण महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही।
गुरूदास दास गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि आज समूचे देष में केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक तथा अध्यादेष के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी विरोध दिवस का आयोजन कर रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस विधेयक का इसलिए विरोध कर रही है, क्योंकि नरेन्द्र मोदी की सरकार कानून बनाकर किसानों की जमीन बलपूर्वक छीनना चाहती है। जमीन पर न सिर्फ किसानों; बल्कि समाज के अन्य तबके के लोगों का जीवन यापन निर्भर है। इसलिए इस विधेयक के खिलाफ की लड़ाई सिर्फ किसानों की लड़ाई नहीं है; बल्कि समाज के अन्य लोगों की भी यह लड़ाई है। जमीन छीन जाने का मतलब है, करोड़ों लोगेां को जीवन यापन का जरिया छीन जाना है। जमीन का सवाल देष के करोड़ों लोगों की जिन्दगी का महत्वपूर्ण सवाल है। इसीलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बार-बार यह संकल्प दोहराती है कि हम लोग खून देंगे, जान देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे। श्री दासगुप्ता ने देष के लोगों से इस विधेयक के खिलाफ बड़ी और दीर्घकालीन लड़ाई के तैयार रहने की अपील की। आज का यह प्रतिरोध मार्च उस बड़ी लड़ाई का आरंभ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आगे भी अपनी इस लड़ाई को जारी रखेगी। इस बड़ी लड़ाई को हम सभी वामदलों और लोकतांत्रिक दलों के साथ मिलकर लड़ेंगे।
गाँधी मैदान से जुलुस निकल जाने के बाद भी शहर के विभिन्न सड़कों से लाल झंडे लिए हुए हजारों लोग बस से, जीप से मिनी बस से और पैदल लोग आते रहे। शहर में जिधर भी देखे लाल झंडों का जनसैलाब दिखलाई पड़ रहा था।
इस दुःखद पहलू यह था कि उत्तर बिहार में आये भूकंप के कारण जैसी तैयारी थी उसके अनुकूल मार्च में भाग लेने वालों की संख्या नहीं हुई। यदि भूंकप का प्रकोप नहीं होता तो लगभग एक लाख लोग सभी जिलों से प्रतिरोध मार्च में भाग लेते। भूकंप के असर, भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप को झेलते हुए लगभग पंचास हजार लोग मार्च में शामिल हुए। इससे स्पष्ट है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ व्यापक जन आक्रोष है।
संध्या 5 बजे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बिहार राज्य परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल बिहार के राज्यपाल से मिला और एक ज्ञापन पत्र उन्हें दिया। ज्ञापन पत्र में मांग की गई है कि केन्द्र सरकार जनहित का ख्याल करते हुए और जन भावना का सम्मान करते हुए भूमि अधिग्रहण संषोधन विधेयक को वापस ले, क्योंकि यह विधेयक जनविरोधी, अमानवीय; क्रूर और लोकतांत्रिक कल्याणकारी राज्य के मूल तत्वों के विरूद्ध हैं ।
गुरूदास दास गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि आज समूचे देष में केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक तथा अध्यादेष के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी विरोध दिवस का आयोजन कर रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस विधेयक का इसलिए विरोध कर रही है, क्योंकि नरेन्द्र मोदी की सरकार कानून बनाकर किसानों की जमीन बलपूर्वक छीनना चाहती है। जमीन पर न सिर्फ किसानों; बल्कि समाज के अन्य तबके के लोगों का जीवन यापन निर्भर है। इसलिए इस विधेयक के खिलाफ की लड़ाई सिर्फ किसानों की लड़ाई नहीं है; बल्कि समाज के अन्य लोगों की भी यह लड़ाई है। जमीन छीन जाने का मतलब है, करोड़ों लोगेां को जीवन यापन का जरिया छीन जाना है। जमीन का सवाल देष के करोड़ों लोगों की जिन्दगी का महत्वपूर्ण सवाल है। इसीलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बार-बार यह संकल्प दोहराती है कि हम लोग खून देंगे, जान देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे। श्री दासगुप्ता ने देष के लोगों से इस विधेयक के खिलाफ बड़ी और दीर्घकालीन लड़ाई के तैयार रहने की अपील की। आज का यह प्रतिरोध मार्च उस बड़ी लड़ाई का आरंभ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आगे भी अपनी इस लड़ाई को जारी रखेगी। इस बड़ी लड़ाई को हम सभी वामदलों और लोकतांत्रिक दलों के साथ मिलकर लड़ेंगे।
गाँधी मैदान से जुलुस निकल जाने के बाद भी शहर के विभिन्न सड़कों से लाल झंडे लिए हुए हजारों लोग बस से, जीप से मिनी बस से और पैदल लोग आते रहे। शहर में जिधर भी देखे लाल झंडों का जनसैलाब दिखलाई पड़ रहा था।
इस दुःखद पहलू यह था कि उत्तर बिहार में आये भूकंप के कारण जैसी तैयारी थी उसके अनुकूल मार्च में भाग लेने वालों की संख्या नहीं हुई। यदि भूंकप का प्रकोप नहीं होता तो लगभग एक लाख लोग सभी जिलों से प्रतिरोध मार्च में भाग लेते। भूकंप के असर, भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप को झेलते हुए लगभग पंचास हजार लोग मार्च में शामिल हुए। इससे स्पष्ट है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ व्यापक जन आक्रोष है।
संध्या 5 बजे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बिहार राज्य परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल बिहार के राज्यपाल से मिला और एक ज्ञापन पत्र उन्हें दिया। ज्ञापन पत्र में मांग की गई है कि केन्द्र सरकार जनहित का ख्याल करते हुए और जन भावना का सम्मान करते हुए भूमि अधिग्रहण संषोधन विधेयक को वापस ले, क्योंकि यह विधेयक जनविरोधी, अमानवीय; क्रूर और लोकतांत्रिक कल्याणकारी राज्य के मूल तत्वों के विरूद्ध हैं ।
No comments:
Post a Comment