Thursday 29 December 2016

भारत में मार्क्सवाद मार्क्स के भारत संबंधी विचारों के अनुरूप नहीं अपनाया गया ------ कैलाश प्रकाश सिंह




Kailash Prakash Singh
 29-12-2016 

सन् 1853 में कार्ल मार्क्स ने न्यूयॉर्क डेली टाइम्स में भारत संबंधी कुछ लेख लिखे थे। जिसमें उन्होंने भारत की जातियों और उनके कार्य तथा उनकी मजबूत आर्थिक स्थिति पर चर्चा की थी। अंग्रेजों को भारत में विद्रोह का डर इन्हीं कामगार जातियों के एकीकृत संगठन से था। ये दलित और पिछड़ी जातियाँ हिन्दू-मुसलमान दोनों थीं। मार्क्स इस एकीकृत ग्रामीण जातियों की अर्थव्यवस्था की तारीफ़ करते हैं और इसे आदर्श भी मानते हैं 
भारत में मार्क्सवाद मार्क्स के भारत संबंधी विचारों के अनुरूप नहीं अपनाया गया, बल्कि शुद्ध विचारधारा के रूप में वर्गीय आधार लेकर इसे थोपने की कोशिश की गयी। यहीं समाजवादियों से इनका विरोधा रहा है।
भारत में मार्क्सवाद उच्चशिक्षित वैचारिक आधार का मापदण्ड बन गया था। क्योंकि इसमें अभिजात्य वर्ग के लोग शामिल थे। ज्यादातर उच्च जातियों के लोग थे। उनमें विदेशीपन का दिखावा था, आगे मार्क्सवाद मध्य वर्गियों के लिए मानसिक कसरत का फैशन बन गया। व्यक्तित्व विपर्यय के कारण वामपंथी विदेशीपन का वर्गीय आधार लेकर भारत में राजनीति करना चाहते थे। इनका भारतीय समाज व्यवस्था में मूलचूल बदलाव से कोई लेना देना नहीं था। इनको दो मौके मिले - ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनाने का और सोमनाथ चटर्जी को राष्ट्रपति बनाने का, दोनों में ये पीछे हट गए।
भारत में वामपंथ की बागडोर हमेशा उच्च जातियों के हाथ में रही है। ये लोग मानसिक रूप से भारतीय जाति व्यवस्था के कायल रहे हैं। इनमें शैक्षिक और सामाजिक हर तरह से अभिजात्य की भावना थी।
इस स्थिति मे वामपंथ के माध्यम से भारत में मूलचूल बदलाव की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

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फेसबुक कमेंट्स :
ब्रहमनवद की फितरत : ---
क्या कहते हैं कि, 'निम्न जाति वाले अपने हाथ में वामपंथ की बागडोर क्यों नहीं ले लेते ? ' 

संगठन में निर्णायक क्षमता रखने वाले मास्को रिटर्ण्ड ब्राह्मण नेता निर्देश देते हैं कि, obc व sc कामरेड्स से काम तो लिया जाये लेकिन उनको कोई पद न दिया जाये। इन नेता की वजह से यू पी में भाकपा दो-दो बार विभाजित हो चुकी है और विधानसभा चुनाव लड़ चुके दो कमरेड्स (obc व sc ) पार्टी छोडने पर मजबूर किए जा चुके हैं। कथनी - करनी का यह अंतर ही भारत में साम्यवाद / वामपंथ को जनता से दूर रखे हुये है।
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