लखनऊ , 13 जनवरी 2021
आज 22 कैसर बाग स्थित ipta कार्यालय पर ipta ,प्रलेस,जलेस और साझी दुनिया के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व उप कुलपति रूप रेखा वर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसका संचालन कौशल किशोर ने किया।
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल अंजान ने किसान आंदोलनों के इतिहास का विस्तृत विवेचन करते हुए तीन कृषि कानून किस प्रकार किसान विरोधी हैं इस बात पर स्पष्ट प्रकाश डाला। उनके अनुसार किसान सिर्फ भूमिधर नहीं है बल्कि वे सब लोग जो खेत मजदूर हैं, गो पालन, कुक्कुट पालन, मतस्य पालन या वे कार्य करते हैं जो कृषि से संबंधित हैं किसान हैं। इन नए कानूनों का इन सब पर ही असर नहीं पड़ रहा है बल्कि साधारण जनता पर भी पड़ रहा है। इसलिए यह लड़ाई कारपोरेट और पेट के बीच की लड़ाई है। जमीन का कारपोरेटीकरण रोकना देश , संविधान, गाँव,किसान और खेती को बचाने का जन - अभियान है। उत्तर - प्रदेश के किसान भी 23 जनवरी और 26 जनवरी के आंदोलन में बढ़ - चढ़ कर भाग लेंगे। कैफ़ी आजमी के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए अंजान साहब ने किसानों के संदर्भ में उनकी सक्रियता पर भी वृहद प्रकाश डाला।
कामरेड अतुल कुमार सिंह 'अंजान ' ने यह भी खुलासा किया कि, स्वामीनाथन कमेटी के सदस्य के रूप में उन्होंने किस प्रकार डॉ स्वामीनाथन को कांट्रेक्ट खेती के विरुद्ध राजी किया था । कांट्रेक्ट खेती कंपनी राज की स्थापना और देश की जनता की गुलामी का दस्तावेज है जिसे लागू नहीं होने दिया जाएगा।
आलोचक वीरेंद्र यादव ने प्रलेस के गठन के साथ ही स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में किसान सभा की लखनऊ में स्थापना का भी जिक्र किया। अपने समापन भाषण में वीरेंद्र यादव ने भी जनता का आह्वान किया कि देश व अपने हित में किसान आंदोलन का समर्थन करें।
अन्य वक्ताओं में सूरज बहादुर थापा, राकेश, राजेन्द्र वर्मा आदि प्रमुख थे। प्रारंभ में कैफ़ी आजमी व गौहर रजा की गजल का पाठ किया गया।
अंत में लोहिडी पर्व तीनों कृषि कानूनों की प्रतियों का दहन कर किसान, कलाकार,लेखक एकता ज़िन्दाबाद के गगन भेदी नारों के साथ मनाया गया।
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