Wednesday, 15 June 2016

उसने इस बहाने मेरा घर जला दिया ------ अतुल कुमार अंजान






EK  KADUWA   SACH. ............ PYASSI  THI   ZAMEEN  SARA  LAHOO   PILA   DIYA                   MUJHPER  WATAN   KA  KARZ  THHA  MAINE  USSE  CHUKAA  DIYA                                                MAINE  USSE   KAHA   JALANE  KO  IKK   CHIRAG        USSNE  ISS  BAHANE  MERA  GHAR   JALA   DIYA..RGDS...    ATUL    KUMAR    ANJAAN


"प्यासी थी ज़मीन    सारा   लहू  पिला   दिया 
मुझ पर वतन का कर्ज़ था मैंने उसे चुका दिया 
मैंने उसे कहा जलाने को        इक      चिराग 
उसने इस      बहाने मेरा घर       जला दिया "

अतुल कुमार अंजान साहब भाकपा के राष्ट्रीय सचिव होने के साथ-साथ किसानसभा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं  जिसके नाते  किसानों से उनका निरंतर जीवंत संपर्क बना रहता है। रात  के नौ-नौ बजे तक उनको कार्यालय  में  किसान समस्याओं पर मंथन करते देखा जा सकता है। उनका ख्याल है जो किसान इतनी दूर से उनको अपनी समस्या बताने आया है  तो उसकी  बात  सुनना  उनका फर्ज़ है और जो मदद वह दिला सकते हैं  उसको दिलवा देते हैं। 

किसानों की बातें सुनते-सुनते उनके दिमाग में आया कि, बड़े अरमानों से किसान व साधारण जनता ने मोदी सरकार को सत्तारूढ़ किया था पर बदले में उसे क्या मिला ? उसी का उत्तर है यह शेर । देश में महाराष्ट्र हो या बुंदेलखंड या फिर कालाहांडी सब जगह किसानों  के घर जल रहे हैं, किसान आत्म- हत्यायेँ  कर रहे हैं। किसानों  की झोंपड़ियाँ  सूनी हैं  और सूना है उनका जीवन। किसान दिन  रात  कड़ी मेहनत करके अपना खून सुखा कर  फसल उगाता है लेकिन उसे उसका लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है। 

यह स्थिति  कामरेड अंजान को व्यथित करती है और उनके कवि हृदय  से छंद  निकल पड़ता है। अंजान साहब का ज्ञान कंजूस का धन नहीं है उनके मन में जो विचार आ जाते हैं उनको वह कुछ चुनिन्दा लोगों  से साझा कर डालते हैं। लखनऊ  के उन लोगों में से एक मैं भी हूँ। और लोग इसका क्या प्रयोग करते हैं मुझे मालूम नहीं , लेकिन  मैं  अंजान साहब द्वारा व्यक्त विचारों को अपने ब्लाग्स में  संग्रहित करने का लोभ नहीं छोड़ पाता। हो सकता है कवि  के कहने का आशय भिन्न हो  किन्तु मैंने जो निष्कर्ष निकाला उसके अनुसार व्याख्या कर डाली। प्राप्त करने के बाद इतना अधिकार मैंने स्वतः हासिल कर लिया। 
(विजय राजबली माथुर )
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1 comment:

  1. URDU LITERATURE is a mine of lyrical expressions but what you get here is just superb.

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