*** विगत 30 जून 2016 को जेल यात्रा के बाद पहली बार अपने गृह ज़िले बेगूसराय पहुंचे जे एन यू एस यू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कोलेजियट स्कूल के खचाखच भरे मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुये बताया कि, उनकी लड़ाई शिक्षा को बचाने की है । शिक्षा बचेगी तभी देश बचेगा। उन्होने इस लड़ाई को हिंदुस्तान बनाम संघिस्तान की लड़ाई की संज्ञा दी और जनता को आश्वासन दिया कि, इसमें जीत हिंदुस्तान की होगी। उन्होने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के शहीद स्कालर रोहित वेमुला को अपना आदर्श बताया और उनको न्याय दिलाने तक संघर्ष करने का ऐलान किया। उन्होने शहीद भगत सिंह, बिरसा मुंडा, ज्योतिबा फुले आदि स्वाधीनता सेनानियों के संघर्ष-पथ का स्वम्य को अनुगामी बताया । उनके भाषण के कुछ प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं किन्तु पूरे भाषण को संलग्न वीडियो द्वारा सुना जा सकता है। ***
बेगूसराय की धरती ने दिनकर, आर.एस. शर्मा, सूर्यनारायण सिंह, चंदेश्वरी सिंह जैसे न जाने कितने रत्न पैदा किए हैं। यह धरती शहीदों के ख़ून से न जाने कितनी बार लाल हुई है। इसी धरती ने बचपन से ही मुझे देश समाज के हित में कार्य करने की प्रेरणा दी है और हर पल शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने की ताकत दी है। यह धरती राष्ट्रकवि पैदा करती है, राष्ट्रद्रोही नहीं। बेगूसराय की जो धरती आर.एस. शर्मा जैसा इतिहासकार पैदा करती है, उस धरती के लोग सरकार को न तो देश का इतिहास बदलने देंगे, न ही गंगा-जमुनी तहज़ीब को नेस्तनाबूद करने देंगे । गंगा के किनारे पैदा हुआ, यमुना के किनारे पढ़ता हूँ और इस तहज़ीब को बखूबी समझता हूँ I इसी तहज़ीब को बचाए रखने के लिए..... लड़ेंगे, जीतेंगे I***********
*************मोदी ने चाय बेची या नहीं यह हमें नहीं मालूम, मगर उनका यही रवैया रहा तो वे एक दिन देश ज़रूर बेच देंगे। ईस्ट इंडिया कंपनी और 'मोदी ऐंड कंपनी' में कोई अंतर नहीं रह गया है। जो लोग मटन बदल देने से, वीडियो बदल देने से सोचते हैं कि देश बदल रहा है, वे जनता को बेवकूफ़ समझने की भूल कर रहे हैं। जब एक-एक चीज़ राजनीति से तय हो रही है, तोे आपको अपनी राजनीति तय करनी पड़ेगी। दुबले-मोटे, ग़रीब-अमीर, सबके वोट की क़ीमत में जब कोई फ़र्क नहीं है, तो उनके बाल-बच्चों की शिक्षा में फ़र्क क्यों?
जब तक आप जैसे चाहने वाले, सच बोलने पर पीठ ठोकने वाले हमारे भाई- बहन, दोस्त-अभिभावक हमारे साथ हैं, हमारा हौसला कभी कमज़ोर नहीं होने वाला। हम 'सबको शिक्षा, सबको काम' की लड़ाई मुस्तैदी से लड़ते रहेंगे और सामाजिक व सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने के लिए जान की बाजी लगा देंगे, मगर इस देशविरोधी सरकार के कुकृत्यों व जनविरोधी नीतियों की असलियत बताना बंद नहीं करेंगे।
दिनकर के इन शब्दों में हमारे आंदोलन का संदेश छिपा है:
"शांति नहीं तब तक जब तक सुख-भाग न नर का सम हो
नहीं किसी को बहुत अधिक हो नहीं किसी को कम हो।"
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08-07-16 |
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