Thursday 23 February 2017

"धर्मनिरपेक्षता" : एक संविधान-विरुद्ध अवधारणा ------ एस रंजन राय

S Ranjan Rai

धर्मनिरपेक्षता" : एक संविधान-विरुद्ध अवधारणा
मीडिया ने एक गलत शब्द "धर्मनिरपेक्षता" का प्रचार कर रखा है । यह झूठा प्रचार किया जाता है कि भारत एक "धर्मनिरपेक्ष" राष्ट्र है । संविधान में ४२ वें संशोधन (१९७६ ई.) के तहत जब "सेक्युलर" शब्द संविधान के Preamble (उद्देशिका) में जोड़ा गया उसी समय इसपर बहस हुई थी कि अंग्रेजी शब्द "सेक्युलर" का हिंदी अनुवाद "धर्मनिरपेक्ष" हो या न हो । भाकपा सांसद भोगेन्द्र झा ने 'धर्म' शब्द की शास्त्रीय परिभाषा बताते हुए कहा कि 'धर्म' शब्द का अर्थ रिलिजन नहीं है। उदाहरणार्थ बताया गया कि महाभारत में धर्म के दस लक्षण गिनाये गए हैं : "धृति क्षमा दमः अस्तेयं शौचम् इन्द्रिय-निग्रहः । धीः विद्या सत्यम अक्रोध दशकं धर्म लक्षणम् ॥ " इन लक्षणों से युक्त नास्तिक व्यक्ति भी धार्मिक माना जाएगा । पश्चिम के भारतविद् भी 'धर्म' शब्द का अनुवाद रिलिजन न करके Traditional Law करते हैं । लेकिन भारत में ऐसे मूर्खों की कमी नहीं है जो न तो अपने देश का संविधान पढ़ते हैं और न ही शास्त्रों का अध्ययन अध्ययन करते हैं । इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे लोगों ने भी इस मत का समर्थन किया । अतः सर्वसम्मति से संसद ने स्वीकार किया कि संविधान के Preamble (उद्देशिका) में ४२ वें संशोधन के तहत जो "सेक्युलर" शब्द जोड़ा गया, उसका हिंदी अनुवाद आधिकारिक तौर पर "धर्मनिरपेक्ष" न करके "पंथनिरपेक्ष" किया जाए ।
संविधान में ४२ वाँ संशोधन अत्यधिक व्यापक था प्रावधान विवादास्पद थे जो अदालत की शक्तियों पर कुठाराघात करते थे । अतः १९७७ में जनता पार्टी की सरकार बनने पर ४२ वें संशोधन के कुछ प्रावधानों को हटाया गया । बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी अदालत सम्बन्धी कुछ गलत प्रावधानों को संविधान-विरुद्ध ठहराया । लेकिन Preamble (उद्देशिका) में जोड़े गए शब्द "सेक्युलर" और इसके हिंदी अनुवाद "पंथनिरपेक्ष" को कभी नहीं हटाया गया । भारतीय संविधान में जहां कही भी "सेक्युलर" शब्द है, इसका अनुवाद "धर्मनिरपेक्ष" कहीं भी नहीं है, सर्वदा "पंथनिरपेक्ष" ही है । भारतीय संविधान को "धर्मनिरपेक्ष" कहने वाले पर अदालत में मुकदमा भी किया जा सकता है, यद्यपि आजतक ऐसा किसी ने किया नहीं है, क्योंकि जानबूझकर "धर्मनिरपेक्ष" शब्द का प्रयोग करने वाले तर्क दे सकते हैं। 
https://www.facebook.com/sranjan.rai.1/posts/174221649740739

No comments:

Post a Comment