भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अंजान साहब की बेबाक बयानी वक्त की ज़रूरत है। लेकिन भाकपा में जिस ब्राह्मण वादी सोच के लोग नियंत्रक स्थिति में बढ़ रहे हैं जैसे कि, उपरोक्त टिप्पणीकार जो कि, लेख को पढे - समझे बगैर गलत व्याख्या कर रहे हैं। असहमत होना तो एक अलग बात है लेकिन जो लिखा नहीं गया है उसे रेखांकित किया जा रहा है कि, सोवियत क्रांति की कोई उपलब्धि नहीं है --- यह विचार खुद टिप्पणीकार कामरेड का है न कि, कामरेड लेनिन संबंधी लेख के लेखक का।
ऐसे टिप्पणीकार कामरेड तो अतुल अंजान साहब के प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं।
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