Dec 26, 2018
( https://www.youtube.com/watch?v=4XlohaPjod4 )
बीजेपी के काम-काज पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हालिया बयानों पर चर्चा करते हुये ‘द वायर’ की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी कह रही हैं कि, नितिन गडकरी उस नागपुर से सांसद हैं जहाँ आर एस एस का हेड क्वार्टर है और वह भाजपा के पूर्व अध्यक्ष हैं जो मोदी - शाह विरोधी उन भैया जी जोशी के करीबी हैं जो मोहन भागवत के बाद द्सरे प्रभावशाली नेता हैं।
तमाम उद्धरणों के जरिये आरफा खानम ने याद दिलाया है कि, मराठा आंदोलन के समय से जो मुखरता नितिन गडकरी ने अपनाई है उसी पर चल रहे हैं भले ही फिर यह भी कह देते हैं कि उनके कहने का आशय वह नहीं था जो लिया गया है। एज आफ यूथ के कार्यक्रम में बोलते हुये आरफा खानम यह भी कह चुकी हैं कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस समेत वर्तमान विपक्ष की सरकार बनने के बाद भी आर एस एस प्रशासन में प्रभावशाली बना रहेगा।
संदर्भ ------ https://www.youtube.com/watch?v=V0as-C8Tm6k
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वस्तुतः आरफा खानम शेरवानी का विश्लेषण यथार्थ की अभिव्यक्ति ही है।
जनसंघ के माध्यम से आर एस एस भारत में भी यू एस ए व यू के की भांति दो पार्टी पद्धति की वकालत करता रहा है। 1980 के लोकसभा चुनावों में आर एस एस ने नवगठित भाजपा के बजाए इन्दिरा कांग्रेस को समर्थन दिया था। इन्दिरा जी की उस सरकार को पूर्ण हिन्दू बहुमत से बनी सरकार की संज्ञा दी गई थी। 1985 में राजीव गांधी को भी आर एस एस का समर्थन मिला था और इसी लिए 1989 में उनके द्वारा अयोध्या के विववादित ढांचे का ताला खुलवाया गया था। 1998 से 2004 तक के भाजपा शासन में प्रशासन,सेना,पुलिस,खुफिया एजेंसियों में आर एस एस के लोगों की भरपूर घुसपैठ करा दी गई थी। 1977 की मोरारजी सरकार के समय भी विदेश और संचार मंत्रालयों में आर एस एस के लोग दाखिल कराये जा चुके थे।
2014 से अब तक शिक्षा संस्थाओं, संवैधानिक संस्थाओं समेत लगभग पूरी सरकारी मशीनरी में आर एस एस के लोग बैठाये जा चुके हैं। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि, पी एम भाजपा का है या कांग्रेस का या किसी अन्य दल का। मोदी - शाह की जोड़ी न सिर्फ भाजपा संगठन पर मनमाने तरीके से काबिज थी बल्कि आर एस एस को भी काबू करने की कोशिशों में लगी थी इसी वजह से आर एस एस को उनका विरोध कराना पड़ रहा है क्योंकि भाजपा को बहुमत मिलने की दशा में इस जोड़ी को हटाना संभव नहीं होगा बल्कि यह आर एस एस को भी कब्जा लेगी। 2013 में कोलकाता में घोषित योजना से ( जिसके अनुसार दस वर्ष मोदी को पी एम रहना था और फिर योगी को बनाया जाना था ) हट कर आर एस एस अब राहुल कांग्रेस को गोपनीय समर्थन दे रहा है जिससे भाजपा विरोधी सरकार 2019 में सत्तारूढ़ होने से मोदी - शाह जोड़ी से संघ को छुटकारा मिल जाये। संघ अब सत्ता और विपक्ष दोनों को अपने अनुसार चलाना चाहता है।
संघ विरोधियों विशेषकर साम्यवादियों व वामपंथियों को संघ की इस चाल को समझते हुये तीसरा मोर्चा के माध्यम से स्वम्य को मजबूत करना चाहिए।
------ विजय राजबली माथुर
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