Tuesday, 19 March 2019

योग्य नेता, मार्गदर्शक और धवल छवि के अभिभावक : विश्वनाथ शास्त्री ------ उर्मिलेश उर्मिल


Urmilesh Urmil
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ वामपंथी नेता और गाजीपुर के पूर्व सांसद विश्वनाथ शास्त्री का आज सुबह लखनऊ में निधन हो गया। अभी एक मित्र ने गाजीपुर से फोन पर बताया कि उनकी अंत्येष्टि कल गाजीपुर में होगी। मेरे गांव के पास के असांव गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे शास्त्री जी युवावस्था में ही कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल हो गये। सातवें से नवें दशक के बीच यूपी में वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन के वह बड़े नेता बनकर उभरे! सन् 1991 में वह हमारे गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से भाकपा के उम्मीदवार के रूप में सांसद चुने गए। एक जमाने में हमारा गाजीपुर जिला और बगल के आजमगढ़ और घोसी जैसे क्षेत्र वामपंथियों के गढ़ माने जाते थे। पूर्वी यूपी के इस इलाके से तीन-चार बड़े नेता वाम-राजनीति के राष्ट्रीय पटल पर उभरे! इनमें सरजू पांडे, झारखंडे राय, जयबहादुर सिंह, रुस्तम सैटिन और विश्वनाथ शास्त्री के नाम प्रमुख हैं। लेकिन नवें दशक के बाद वामपंथी राजनीति में पराभव‌ के साथ हमारे इलाके के वाम राजनेताओं का भी असर कम होता रहा! शास्त्री जी भी बाद के चुनाव में हार गए। लेकिन उनकी धवल छवि हमेशा अविजित रही! ईमानदारी, समझदारी और उत्पीड़ित समाज के प्रति अपनी पुख्ता तरफदारी के लिए वह युवा पीढ़ी के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहे और निधन के बाद भी बने रहेंगे!
मेरे बड़े भाई केशव प्रसाद के निधन के बाद शास्त्री जी अपने जनपद गाजीपुर में मेरे लिए अभिभावक जैसे थे! उनके निधन से हमने एक योग्य नेता, मार्गदर्शक और अपने बड़े भाई जैसा अभिभावक खो दिया। शास्त्री जी को सलाम और श्रद्धांजलि! 
पुनश्च: यह चित्र मेरी पिछली गाजीपुर-यात्रा का है। बगल में कामरेड विश्वनाथ शास्त्री हैं!
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लखनऊ- 19 मार्च 2019, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सांसद और पूर्व राज्य सचिव कामरेड विश्वनाथ शास्त्री का आज उनके गृह जनपद गाजीपुर में गंगा घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया।

का॰ शास्त्री का कल लखनऊ में उनके आवास पर निधन होगया था। 74 वर्षीय का॰ शास्त्री को 1 मार्च को पैरेलिसिस का अटेक पड़ा था, तबसे उनकी हालत चिंताजनक बनी हुयी थी। कल ही उनके पार्थिव शरीर को उनके जन्मग्राम- असांव लेजाया गया था जहां जनता के दर्शनार्थ रखा गया था।

आज पूर्वान्ह उन्हें गाजीपुर में पार्टी के जिला मुख्यालय भारद्वाज भवन लाया गया जहां तमाम राजनैतिक दलों और आमजनों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद शव यात्रा गंगा घाट पहुंची जहां उनके पुत्र आलोक ने सैकड़ों अश्रुपूरित लोगों के समक्ष उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर पार्टी की केंद्रीय कमेटी और राज्य कमेटी के प्रतिनिधि के तौर पर का॰ अतुल कुमार अंजान मौजूद रहे।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने गाजीपुर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें वांछित सम्मान न देने के लिये उसकी आलोचना की है। डा॰ गिरीश ने लोक सभा सचिवालय से मांग की कि एक पूर्व सांसद की अन्त्येष्टि पर सामान्य प्रोटोकॉल न निभाने के इस मामले पर उचित संज्ञान लें।

का॰ विश्वनाथ शास्त्री का जन्म 6 जुलाई 1945 में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा काशी विद्यापीठ में हुयी थी। छात्र जीवन में वे आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की कतारों में शामिल होगए। उसके बाद वे भाकपा के सक्रिय सदस्य बने और तीन बार जिला सचिव व एक बार राज्य सचिव भी चुने गये। वे पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य व भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। वे गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गये।

का॰ शास्त्री के निधन से भाकपा और वामपंथी आंदोलन को गहरी क्षति पहुंची है जिसकी भरपाई जनता के सवालों पर निरंतर संघर्षों से की जासकती है। भाकपा राज्य काउंसिल उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करती है तथा शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी सहानुभूति का इजहार करती है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश

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