लखनऊ,9 जुलाई 2019
जानें मानें पत्रकार और सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव मंडल के सदस्य कॉम शमीम फ़ैज़ी को कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय पर श्रधांजलि दी गई।उनका निधन लम्बी बीमारी के बाद विगत 5 जुलाई को दिल्ली में हो गया था।सभा की अध्यक्षता राज्य सचिव डॉ गिरीश नें की,संचालन राज्य सह सचिव कॉम अरविन्द राज स्वरूप नें किया तथा दूसरे राज्य सहायक सचिव एवं पूर्व विधायक कॉम इम्तियाज़ अहमद नें शोक प्रस्ताव पेश किया।
कॉम इम्तियाज़ नें उनके बारे में बताते हुए कहा कि उनका जन्म 1946 में हुआ था और उनके पुरखे मऊ से महाराष्ट्र चले गये थे। वो अनेकों अखबारों में पत्रकार रहे।फिर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शरीक हुए।वो पार्टी के अंग्रेज़ी , न्यू ऐज अखबार के और उर्दू अखबार हयात के संपादक थे।उनका व्यक्तित्व सहज था।
अध्यक्ष डॉ गिरीश नें कहा राजनैतिक सम्बन्धों से व्यक्तिगत सम्बन्ध कब हो गए पता ही नहीं चला।वो पार्टी की शीर्षस्थ समिति के सदस्य थे, पार्टी के दस्तावेजों को स्पष्ट रूप से लिखते थे।पार्टी में यदि विचारों में मतभेद हुआ तो वो दोनों पक्षों को समझा सकते थे।बर्धन जी जैसे बड़े नेता भी उनकी प्रतिभा का लोहा मानते थे।उनके जानें से पार्टी की भारी क्षति हुई है लेकिन उनके विचारों का अनुसरण किया जाएगा।
संचालक कॉम अरविन्द राज स्वरूप नें कहा कि उनकी लेखनी विश्लेषणात्मक थी।उनोहने बताया कि उनके सम्बंध विद्यार्थी जीवन से थे।वो मास्टरपीस लेखक थे।उनोहने इस्लाम के धर्मावलंबियों पर जो पुस्तिका लिखी उसका कोई मुकाबला नहीं है।वो संस्कृति और साहित्य से गहराई से जुड़े थे ।बड़ी क्षति हुई है उनके जानें से।
इस अवसर पर इप्टा के राकेश नें उनके सांस्कृतिक योगदान का जिक्र किया। प्रलेस के वीरेंद्र यादव नें कहा कि उनोहने पीपीएच को पुनर्जीवित कर प्रगतिशील साहित्य के विस्तार में भारी योगदान दिया ,एटक के महेंद्र राय,महिला फेडरेशन की नेत्री आशा मिश्रा, नौजवान सभा के विनय पाठक ,प्रदीप घोष,ऋषि श्रीवास्तव,राम सोच यादव,देवेंद्र चौहान,ओ पी अवस्थी,ज्ञान शुक्ला,अनिल श्रीवास्तव,कल्पना पांडे आदि नें भी विचार रखे।
सभा के अंत मे 2 मिनट का मौन रखा गया और उनके परिवार के प्रति गहरी शोक संवेदनायें व्यक्त कीं।
सभा का अंत शमीम फ़ैज़ी..
अमर रहैं!! के नारे से सम्पन्न हुआ।
सभी उपस्थित जनों नें उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किये।
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श्रद्धांजली सभा में खिलखिलाती हंसी ! |
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