भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता कामरेड इन्द्रजीत गुप्त सिर्फ 1977-80 को छोड़कर 1960 से जीवनपर्यंत सांसद रहे। सबसे वरिष्ठ सांसद रहने के नाते वह तीन बार (1996, 1998, 1999) प्रोटेम स्पीकर बने और उन्होंने नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलायी। वह सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव रहे। वह आॅल इण्डिया ट्रेड यूनियन काॅग्रेस (ए॰आई॰टी॰यू॰सी॰) के महासचिव (1980-90) रहे। वल्र्ड फेडरेषन आॅफ ट्रेड यूनियनस के अध्यक्ष (1998) रहे और एचडी देवगौड़ा के मंत्रिमंडल में वह (1996-1998) गृहमंत्री रहे। उन्हे 1992 में 1 ‘‘आउट स्टैन्डिंग पार्लियामेंटेरियन" का सम्मान दिया गया। राष्ट्रपति के॰ आर॰ नारायणन ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि वह गाँधी जी जैसी सादगी, लोकतांत्रिक दृष्टिकोण और मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। वह वेस्टर्न कोर्ट के दो कमरों के क्वार्टर में रहते रहे। टहलते हुए संसद चले जाते थे। गृहमंत्री बनने पर प्रोटोकाल के नाते उन्हें सरकारी गाड़ी से जाना पड़ा। फिर भी उन्होंने वे बहुत सी सुविधाएं नहीं ली थीं जो मंत्री रहते हुए उन्हें मिलनी थीं। वह हमेशा लोगों को होने वाली असुविधाओं का ख्याल रखते थे। मंत्री रहते हुए भी वह एयरपोर्ट में टर्मिनल तक वायुसेवा की बस से जाते थे न कि अपनी गाड़ी से।
कामरेड इन्द्रजीत गुप्ता का जन्म 18 मार्च, 1919 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता सतीश गुप्ता देश के एकांडटेंट जनरल थे। इन्द्रजीत जी के दादा बिहारी लाल गुप्त, आईसीएस थे और बड़ौदा के दीवान थे। इन्द्रजीत गुप्ता की पढ़ाई शिमला, दिल्ली के सेंट स्टीफेंस व किंग्स काॅलेज और कैम्ब्रिज में हुई। इंगलैड में ही वह रजनी पाम दत्त के प्रभाव में आये और उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन कर ली।
1938 में कोलकाता लौटने पर वह किसानों और मजदूरों के आंदोलन से जुड़ गये। आजादी के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया और इसके तहत अन्य वाम नेताओं के साथ या तो इन्द्रजीत गुप्त को भूमिगत होना पड़ा या गिरफ्तार। इन्द्रजीत गुप्त का देहांत 20 फरवरी, 2001 को 81 साल की उम्र में कैंसर से हुआ।
(साभार ' राष्ट्रीय सहारा ' )
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