Tuesday 3 March 2020

कन्हैया कुमार से घबराहट किनको ? ------ सुमन कुमार

 
  Suman Kumar
'कन्हैया कुमार' से जुड़े 15 रोचक तथ्य, जिन्हे हर भारतीय को जानने चाहिए*

1- कन्हैया कुमार का जन्म 13 जनवरी 1987 को बिहार राज्य के बेगुसराय जिले बीहट गाव के मसनदपुर टोला (वार्ड 15) मे एक भूमिहार परिवार मे हुआ।

2- कन्हैया पिता स्वर्गीय जयशन्कर सिह एक किसान थे।जो अपने जीवन के अन्तिम दिनो मे लकवे का शिकार थे। कन्हैया की माँ मीना देवी एक आन्गनवाड़ी कार्यकत्री है।कन्हैया के दो भाई और एक बहन है।

3- वर्ष 1962 मे तेघरा विधानसभा से विधायक रहे एव बिहार की पहली गैर कान्ग्रेसी सरकार मे सिचाई,ऊर्जा एव कृषि मन्त्री रहे प्रसिध्द कम्यूनिष्ट नेता चन्द्रशेखर सिह, कन्हैया के दादा थे। कन्हैया का परिवार कम्यूनिष्ठ विचारधारा का परम्परागत सपोर्टर रहा है।
वह अपने दादा चंद्रशेखर सिंह को नहीं देखा पर उनके विचारों के मार्ग पर चलने वाले अपने टोला के राम प्रकाश सिंह (रिश्ते के बाबा) और गाँव के चंदेश्वरी सिंह (चानो दा) जैसे कॉम्युनिस्ट विचारधारियों को देख बड़ा हुआ!

4- कन्हैया की स्कूली शिक्षा उनके गाव (बीहट) मे हुई।यहाँ ये इप्टा जैसे संस्था से जुड़ा कन्हैया ने दसवी की परीक्षा प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण की। फिर पटना के 'कालेज आफ कामर्स' से स्नातक एव परास्नातक की परीक्षा भी। कालेज के दिनो मे ही कन्हैया AISF से जुड़ गये। जो भारतीय कम्यूनिष्ठ पार्टी की एक शाखा है।

5- वर्ष 2011 मे कन्हैया ने दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्विविद्यालय मे अफ्रीकन स्टडीज विषय मे शोध के लिए दाखिला लिया। इस विषय के शोध के लिए प्रवेश परीक्षा को कन्हैया ने पूरे देश मे टॉप किया। कन्हैया ने जेएनयू में अफ्रीकन स्टडीज में पीएचडी पूरी की और डॉक्टरेट की उपाधि ली!

6- अपने शोध की पढाई के दौरान कन्हैया जेएनयू छात्र सन्घ के अध्यक्ष चुने गये। कन्हैया ने अपने जबरदस्त भाषण देने के अन्दाज से छात्र सन्घ चुनाव जीत हासिल की। 2015 में कन्हैया जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने जाने वाले एआईएसएफ के पहले सदस्य बने। इस चुनाव में उन्होंने एआईएसए, एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई के उम्मीदवारों को हरा कर जीत हासिल की थी। जेएनयू में उनके जानने वाले (हेमंत कुमार, मधरापुर) बताते हैं कि विश्वविद्यालय में चुनावों के एक दिन पहले भी कन्हैया ने दमदार भाषण दिया था। माना जाता है कि उनका भाषण इतना असरदार था कि अगले दिन वही उनकी जीत का कारण बन गया।कन्हैया की बोलने की शैली काफी काबिले तारीफ है। अपने शानदार स्पीच की बदौलत आज देश विदेश तक कन्हैया की करोड़ो की फैन फालोविन्ग है। लिंक :-https://youtu.be/6kkj7ju1w3A

12 फरवरी 2016 को कन्हैया जेएनयू मे देश विरोधी नारे लगाने के लिए गिरफ्तार कर लिये गये। इस दौरान उन पर धारा 124-A और 120-B के तहत मुकदमा चलाया गया। कन्हैया को जेल के जिस वॉर्ड में रखा गया था उसका नाम भी 'मदर टेरेसा वॉर्ड' था। इस घटना से कन्हैया पूरे भारत मे चर्चित हुए और कई दिनो तक देश के अखबारो की पहली खबर बनते रहे।कन्हैया ने खुले मंच और न्यूज़ चैनलों / प्रिंट मिडीया से कई बार सत्ताधारी पार्टी और तमाम आलोचकों से चैलेंज किया कि अग़र इसके ख़िलाफ़ किसी के पास कोई सबूत हो तो कोर्ट को दें! 3साल से ऊपर हो गया आज़ तक पुलिस प्रशासन या सत्ताधारी दल ने कोर्ट मे एक सही से चार्जशीट नही दाख़िल कर पाई!

9- फरवरी 2016 में जेएनयू में भारतीय संसद पर हमले के दोषी, मोहम्मद अफजल गुरु की फांसी की सजा के खिलाफ कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे। इस दौरान कन्हैया छात्र संघ के अध्यक्ष थे, इसलिए उन पर देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया। इसी दौरान कन्हैया, राष्ट्रीय मीडिया में आए। देशद्रोह का आरोप लगने पर कन्हैया पूरे देश मे देशद्रोही की नजर से देखे जाने लगे। उनको जान से मारने के नाम पर इनाम घोषित किया जाने लगा। जैसे जीभ काटने पर पान्च लाख और गोली मारने पर 11 लाख आदि।

10- 2 मार्च 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट की जस्टिस प्रतिभा रानी ने कन्हैया कुमार को यह कहते हुए अन्तरिम जमानत दे दी कि सबूत के तौर पर देश विरोधी नारे लगाने वाले इस विडियो मे कन्हैया कही भी नही दिख रहे और उनके वहा रहने का कोई सबूत नही है।चुनाव आयोग भी इसे चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दिया!

11- जेएनयू की एक 'हाइ लेवल कमेटी' की जाच मे भी कन्हैया कही भी दोषी नही पाये गये। कमेटी ने जाच मे पाया की देश विरोधी नारे लगाने वाले लोग बाहरी थे जिन्होंने मुह पे मास्क पहन रखे थे।

12- कन्हैया कुमार ने जेल मे रहते हुए अपनी एक किताब लिखी है 'बिहार टू तिहाड़'। इस किताब का विमोचन के समय ही कन्हैया ने पिता का देहान्त हो गया था, जिसके कारण किताब विमोचन के समय घर से इनके चाचा प्रेम प्रकाश ही केवल शरीक़ हो सके थे और के सी त्यागी और मणिशंकर अय्यर शरीख़े राजनेता उपस्थित हुये थे! ये किताब में कन्हैया के बचपन के स्कूल से लेकर जेएनयू तक के जीवन सफर का चित्रण करती है।इस किताब को पांच भागों में पूरा किया गया है! बचपन, पटना, दिल्ली, जेएनयू और तिहाड़. !कन्हैया बिहार के बेगूसराय ज़िले के एक सबसे संपन्न गांव के बेहद गरीब परिवार से है! कैसे सामान्य जाति का होने के बावजूद भी, गरीबी जीवन में बड़ी-बड़ी चुनौतियां खड़ी करती है, इसकी सहज झलक इस किताब में देखने को मिलती है!

13-कन्हैया कुमार का आजादी सान्ग भी बहुत प्रसिध्द है। जिसमे वह ढपली लेकर देश की तमाम समस्याओ से आजादी पाने की बात करते है। कन्हैया के तमाम रोचक विडियो, यूट्यूब आदि पर मौजूद है। जिसमे भाजपा प्रवक्ता सम्बित पात्रा के साथ 44 मिनट की डीबेट खूब पसन्द की जाती है।

14- कन्हैया कुमार 21 वी सदी का सबसे चर्चित एव ऊर्जावान चेहरा है। उसके ऊपर देशद्रोही होने का किसी के पास कोई ठोस सबूत नही है। पर कुछ बिकाऊ मीडिया ने सत्ताधारी दल के सपोर्ट में इसके इमेज़ को बदनाम किया

15- वर्तमान समय मे कन्हैया 17 वी लोकसभा मे बेगुसराय की लोकसभा सीट से सीपीआई के प्रत्याशी है। कन्हैया कुमार की वजह से बेगुसराय की लोकसभा देश की सबसे चर्चित लोकसभा बन चुकी है। और बेगूसराय का ये बेटा बेगुसरायवासी के आशीर्वाद प्राप्त करने मे सफ़ल रहा! राजनीति में सफल और धामेकार एंट्री हो जाने के बावजूद कन्हैया शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। कन्हैया का मुकाबला भाजपा के दिग्गज नेता और 2014 में नवादा से जीते गिरिराज सिंह से है। गिरिराज पहले इस सीट से कन्हैया कुमार के सामने प्रतियाशी बन लड़ना नहीं चाहते थे लेकिन अब ये उनके लिए भी सम्मान की लड़ाई में बदल चुका है। कन्हैया अक्सर यह कहते हैं कि वो चाहे जीतें या हारें, मगर भाजपा के खिलाफ उनकी लड़ाई लगातार जारी रहेगी।
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