Monday, 19 February 2018

पूंजी की तानाशाही का दौर चल रहा है ------ दिनकर कपूर

Dinkar Kapoor
18-02-2018  at 5:23pm
अनपरा, सोनभद्र, 18 फरवरी 2018
 आज पूंजी की तानाशाही का दौर चल रहा है। चौतरफा इस तानाशाही को स्थापित करने में मोदी और योगी की सरकारें लगी हुई है। सीधे तौर पर हमारे देश के संविधान, संस्थाओं, सार्वजनिक उद्योगों, प्राकृतिक संसाधनों और आम आदमी के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला किया जा रहा है। जनता के बीच नफरत और विभाजन की राजनीति को पैदा किया जा रहा है। हाल ही में संसद में पेश बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जीवन के लिए जरूरी मदों में बड़ी कटौती की गयी है। बड़े पूंजी घरानों को जहां करों में भारी छूट दी गयी है वहीं जनता पर करों का बोझ लाद दिया गया है। इस हमले की सबसे बुरी मार कर्मचारियों, मेहनतकशों विशेषकर ठेका मजदूरों पर पड़ रही है। श्रम सुधारों के नाम पर कानूनों द्वारा उन्हें मिले अधिकारों और सुविधाओं को खत्म किया जा रहा है। पूंजी की तानाशाही के विरूद्ध पूरे क्षेत्र में कानून के राज की स्थापना करने के लिए मजदूरों, किसानों, छोटे-मझोले व्यापारियों व उद्योग धन्धों वालों और कर्मचारियों व मध्य वर्ग की संयुक्त ताकत का निर्माण करने में ठेका मजदूरों का यह सम्मेलन मदद करेगा। यह बातें आज अनपरा में आयोजित ठेका मजदूर यूनियन के पंद्रहवें जिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं। 
उन्होंनें कहा कि अनपरा और ओबरा तापीय परियोजनाओं को बड़े पूंजी घरानों के लाभ के लिए बर्बाद करने में खुद सरकार ही लगी हुई है। ओबरा की ज्यादातर इकाईयां बंद की जा चुकी है और सबसे सस्ती और कभी तो सौ प्रतिशत से ज्यादा पीएलएफ देने वाली अनपरा परियोजना में थर्मल बैकिंग करायी जा रही है। अनुरक्षण और रूटीन मैनटीनेंस के कार्यो में आवंटित बजट में लगातार कटौती की जा रही है। पिछले दो सालों में करीब एक अरब रूपए से ज्यादा इन परियोजनाओं में हुए कामों का बकाया सरकार पर है, जिसका भुगतान नहीं किया गया। परिणामस्वरूप मजदूरों की छटंनी हो रही है, मजदूरी भुगतान कानून और ठेका मजदूर कानून में माह की हर सात तारीख तक वेतन भुगतान करने के नियमों के बावजूद पांच-पांच माह से और कुछ जगहों पर तों सालभर से मजदूरों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। मजदूरों से काम कराकर वेतन का भुगतान न करना बंधुआ मजदूरी है और संविधान में प्रदत्त जीने के मूल अधिकार का हनन है।
उन्होंने अखबारों के हवाले से लैकों तापीय परियोजना के बंद होने की आयी खबरों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार को तत्काल इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। लैंकों पर आए संकट से यह स्पष्ट है कि सरकार का निजीकरण का प्रयोग विफल साबित हुआ है इसलिए सरकार को लैंकों के बंद होने की स्थितियों में इसे अधिग्रहित करना चाहिए और इसमें कार्यरत कर्मचारियों व संविदा श्रमिकों के रोजगार की सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए।
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