Saturday, 10 October 2020

आपको भिखारी और मज़दूर बनानेवाला खुद-ब-खुद ख़त्म हो ------ अश्विनी प्रधान / रेनूआनंद

 


10-10-2020 

#सामंतवाद_क्या_है? 

   पड़ोसी लाठी लेकर आये और आपकी भैंस छीन ले जाए !

    #पूंजीवाद_क्या_है? 

    पड़ोसी लाठी लेकर आये और आपकी भैंस का आपका दूहा दूध छीन ले जाए !

     #समाजवाद_क्या_है? 

    जब आपकी भैंस दूध न दे, तो पड़ोसी अपनी भैंस का आधा दूध आपको दे दे और जब पड़ोसी की भैंस दूध न दे, तब आप अपनी भैंस का आधा दूध उसे दे दें !

      #साम्यवाद_क्या_है? 

    जब सारी भैंसे पूरे गांव की हों, सारा दूध पूरे गांव में बराबर बांटा जाए !

      #वर्ग_संघर्ष_क्या_है?

     जब वे लाठी ले कर आएं और आपकी भैंस खोल ले जाएँ या जबरदस्ती भैंस दुह ले जाएँ या दूहा हुआ दूध छीन ले जाएँ और आप उनके विरोध में अपनी भैस को और दूध को बचाने के लिए लाठी उठा लें और मुक़ाबला करें तो यही संघर्ष वर्ग-संघर्ष है !

     #बुर्ज़ुआ_क्या_है?

   जब कोई आपकी सारी गाय-भैंसे-बकरियां, ज़मीन-जायदाद, कपडे-लत्ते, खेत-खलियान, घर-आँगन, सब छीन ले जाए और आप के पास पहनने को न लंगोटी हो और न भीख मांगने को कटोरा और ज़िंदा रहने के लिए आपको मज़दूरी करनी पड़े और मज़दूरी के बदले में केवल वह आदमी आपको उतना ही खाने के लिए दे कि आप ज़िंदा रहकर उसके बेगारी और मज़दूरी कर सकें, और वह खुद कुछ भी मेहनत-मज़दूरी न करे, आपके बल पर ऐश करे, आपकी सारी संपत्ति हड़प ले, आप को गुलाम और बिना पैसे का नौकर बना ले, तो वह बुर्ज़ुआ है !

    #वाम_पंथ_क्या_है_और_दक्षिण_पंथ_क्या_है_१

    अगर कोई आप पर धौंस जमाए और आपकी भैंस को अपनी भैंस बताये तो यह दक्षिण-पंथ है !

    अगर कोई अपनी भैंस को अपनी माने और आपकी भैंस को आपकी भैंस माने तो यह वाम-पंथ है !

     #वाम_पंथ_क्या_है_और_दक्षिण_पंथ_क्या_है_२

   #वाम-पंथ वह है जो मानववाद में विश्वास करता है, जिसके केंद्र में मनुष्य है, जो इहलोक में विश्वास करता है, जो समता-समानता और प्रगति में विश्वास करता है और उसी के अनुरूप आचरण करता है !

    #दक्षिण-पंथ वह है तो मानवतावाद में विश्वास करता है, जिसके केंद्र में ईश्वर है, जो परलोक में विश्वास करता है, जो भेद-भाव में विश्वास करता है और पिछड़ेपन में विश्वास करता है और उसी के अनुरूप आचरण करता है !

     👉#क्रांति_क्या_है?

    जब आपकी सारी गाय-भैंसे-बकरियां, ज़मीन-जायदाद, कपडे-लत्ते, खेत-खलियान, घर-आँगन, सब छीन लिए जाएँ और आप के पास पहनने को न लंगोटी हो और न भीख मांगने को कटोरा, 

    आपको मज़दूरी करनी पड़े और मज़दूरी के बदले में केवल उतना मिले कि आप ज़िंदा रहकर मज़दूरी कर सकें, .... और आप मज़दूरी करने से मना कर दें और सचमुच किसी की मज़दूरी न करें, और सब लोग मिलकर एक साथ ऐसा करें, तो यह 'क्रांति' है …

     ऐसे हालत में आपको भिखारी और मज़दूर बनानेवाला खुद-ब-खुद ख़त्म हो जाएगा क्योंकि उसकी ज़िन्दगी आपकी मज़दूरी से चलती है !

                                    #साभार- #रेनूआनंद


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