प्रगतिशील साहित्य बिक्री केंद्र का शुभारम्भ
लखनऊ- वैज्ञानिक समाजवाद, इतिहास, संस्कृति, विज्ञान एवं बालोपयोगी अनूठी
पुस्तकों के बिक्री केन्द्र का शुभारम्भ आज यहां २२,कैसरबाग स्थित परिसर
में होगया.
प्युपिल्स पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली के सौजन्य से प्रारंभ
पुस्तक केन्द्र का उद्घाटन प्रख्यात लेखक-समालोचक एवं प्रगतिशील लेखक संघ
के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र यादव ने किया.
अपने उद्बोधन में श्री यादव ने
कहा कि चेतना बुक डिपो के बंद होने के बाद से इस तरह की पुस्तकों के
केन्द्र की कमी बेहद अखर रही थी. अब ज्ञान के पिपासु और सामाजिक चेतना के
वाहकों को प्रगतिशील साहित्य की खरीद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. उन्होंने
पुस्तक केन्द्र खोलने के लिये पी.पी.एच. एवं स्थानीय संचालकों को बधाई दी.
वरिष्ठ रंग कर्मी और भारतीय जन नाट्य संघ के प्रदेश महासचिव राकेश ने
कहाकि २२, केसरबाग परिसर विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनैतिक
गतिविधियों का केन्द्र रहा है. अब सामाजिक आर्थिक बदलाव की चेतना जाग्रत
करने वाला साहित्य भी यहाँ मिल सकेगा, यह पाठकों के लिए ख़ुशी की बात है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव डा.गिरीश ने कहा कि ज्ञान की
ताकत हर ताकत से बढ़ी होती है, लेकिन सवाल यह है कि ज्ञान का आधार वैज्ञानिक
है या पुरातनपंथी. वह सामाजिक परिवर्तन- व्यवस्था परिवर्तन के लिए स्तेमाल
होरहा है अथवा लूट और दमन के चक्र को बनाये रखने के लिये. यहां उपलब्ध
पुस्तकों से शोषण से मुक्त व्यवस्था निर्माण का मार्ग प्रशस्त होता है.
इस अवसर पर भाकपा के राज्य सहसचिव अरविन्दराज स्वरूप, उत्तर प्रदेश ट्रेड
यूनियन कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सदरुद्दीन राना, उत्तर प्रदेश महिला
फेडरेशन की महासचिव आशा मिश्रा, उत्तर प्रदेश किसान सभा के महासचिव
रामप्रताप त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के महासचिव फूलचंद
यादव, भाकपा के जिला सचिव मो. खालिक आदि अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद थे
जिन्होंने अपनी शुभकामनायें व्यक्त कीं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ
भाकपा नेता अशोक मिश्रा ने की. पुस्तक केन्द्र के संचालक रामगोपाल शर्मा
ने बताया कि केन्द्र प्रतिदिन प्रातः १० बजे से सायं ७ब्जे तक खुला रहेगा.
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11 सितंबर को उद्घाटित यह प्रगतिशील साहित्य बिक्री केंद्र कुल एक माह भी न चल सका और बंद हो गया आखिर क्यों? :
संचालक
रामगोपाल शर्मा जी के पारिश्रमिक के रूप में PPH , दिल्ली से रु 5000/- का
चेक भाकपा, उत्तर प्रदेश के नाम से भेजा गया और उसमें से 3500/- रु काट कर
मात्र 1500/- रु संचालक महोदय को देने का प्रस्ताव किया गया। यदि PPH
, दिल्ली से कोई भुगतान न आता तो शायद संचालक महोदय निशुल्क अपनी सेवाएँ
प्रदान कर देते। किन्तु किसी पूंजीपति की भांति ही किसानों -मजदूरों की
अपनी पार्टी के संचालक केंद्र संचालक के वेतन का शोषण कर डालें यह एक मजदूर
कैसे बर्दाश्त कर लेता और इसी लिए बंद हुआ प्रगतिशील साहित्य बिक्री
केंद्।
जब तक प्रदेश भाकपा में प्रदीप
तिवारी प्रभावशाली रहेंगे उत्तर प्रदेश में भाकपा को उठने नहीं दे सकते
हैं। अतः प्रगतिशील साहित्य बिक्री केंद्र को बंद करवाने का शोषणकारी
षड्यंत्र रच डाला।
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