Thursday, 30 August 2018

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग ------ डा॰ गिरीश



भाकपा ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निन्दा और रिहाई की मांग की।


 लखनऊ- 29 अगस्त 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और बुध्दिजीवियों सुधा भारद्वाज, वरनन गोन्साल्वस, गौतम नवलखा, वरवारा राव एवं अरुण फ़रेरा जो दलितों, आदिवासियों और समाज के अन्य कमजोर तबकों के लिये संघर्ष करते रहे हैं के घरों पर देश भर में की गयी छापेमारी और उनकी गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निन्दा की है।

सरकार ने उनके ऊपर शहरी नक्सलवादी होने का काल्पनिक आरोप लगाया है। यह कितना आश्चर्यजनक है कि एक ओर सरकार अपनी पीठ थपथपाने के लिये नक्सलवाद के खत्म होने के दाबे करती है वहीं दूसरी तरफ प्रतिरोध की आवाज को दबाने को हर घ्रणित हथकंडा अपना रही है।

भीमा कोरेगांव में दलितों के खिलाफ हिंसक वारदातों के बाद भाजपा की केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी आरोप लगाने और उनको माओवादियों से जोड़ने के लिये विभिन्न जांच एजेंसियों का स्तेमाल करती रही हैं।

भाकपा की यह द्रढ़ राय है कि यह सब कार्यवाही सनातन संस्था द्वारा ईद और गणेश चतुर्थी पर सीरियल ब्लास्ट करने की योजना और गौरी लंकेश, दाभोलकर, गोविंद पनसारे और दूसरे पोंगापंथ विरोधियों की हत्या में इनकी संलिप्तता से ध्यान हटाने के उद्देश्य से कीगयी है।

यह दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों तथा समाज के अन्य कमजोर तबकों के ऊपर होने वाले अन्याय और अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को धमका कर उनकी आवाज बन्द करने की साजिश है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर गंभीर टिप्पणी की है कि असहमति की आवाज लोकतन्त्र के लिये सेफ्टी बाल्व है।

इन कारगुजारियों से एक बार फिर वर्तमान सरकार का फासीवादी चेहरा सामने आगया है। यह घटनाक्रम एक बार फिर भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों और लोकतन्त्र की रक्षा के लिये सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं वामपंथी ताकतों की एकता और कार्यवाही की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

भाकपा सभी गिरफ्तार शख़्सियतों की तत्काल रिहाई और उन पर लगाये गए सभी झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की वापसी की मांग करती है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश
सभी फोटो साभार का ॰ अरविंद राज स्वरूप 



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