वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा वामपंथी दलों पर लगाए बचकाने आरोप की भाकपा एवं माकपा ने निन्दा की
कहा- आकाओं की भाषा बोल रहे हैं एसएसपी
लखनऊ- 24 जनबरी 2019, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश एवं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव ने वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के एक अंग्रेजी दैनिक ( इंडियन एक्सप्रेस ) में प्रकाशित उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसमें उन्होने कल वाराणसी के बेनियाबाग में हुये महिलाओं के धरने को वामदलों एवं कांग्रेस द्वारा आर्थिक मदद करने का आरोप लगाया है। दोनों नेताओं ने कहाकि इस बयान से वे बेहद खिन्न हैं और हमारे लाखों लाख कार्यकर्ताओं को भारी कष्ट हुआ है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में दोनों वाम नेताओं ने कहाकि वामपंथी दल जो भी आंदोलन करते हैं, जनवादी तरीके से, खुले तौर पर अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बलबूते करते हैं, इसके लिए किसीको धन नहीं देते। आम और गरीब जनता तथा शोषितों पीड़ितों के हितों के लिये समर्पित और पूंजीवाद का खुला विरोध करने वाले वामपंथियों को खुद ही अपनी गतिविधियों के लिये जरूरी धन जनता से जुटाना पड़ता है, यह शायद उक्त विद्वान अधिकारी भली भांति जानते होंगे। फिर बिना जांच पड़ताल के उन्होने वामपंथियों पर ऐसा आरोप लगाया यह आश्चर्यजनक ही नहीं निंदनीय भी है। यदि उनके पास किसी वामदल द्वारा ऐसा करने की सूचना है तो वे उसका नाम उजागर कर सकते हैं। देश की दोनों प्रमुख वामपंथी पार्टियां- भाकपा और माकपा उनके इस इस बचकाने आरोप का खुला खंडन करती हैं।
दोनों वाम नेताओं ने कहाकि भाजपा सरकार की जनविरोधी, विभाजनकारी और दमनकारी कार्यवाहियों से देश भर में भारी आक्रोश है। प्रतिक्रिया स्वरूप देश भर में सैकड़ों आंदोलन खड़े होगये हैं और करोड़ों स्त्री पुरुष, छात्र नौजवान, किसान मजदूर और बुध्दिजीवी सड़कों पर उतर रहे हैं। उससे बौखला कर भाजपा नेत्रत्व वामपंथी दलों और अन्य विपक्षी दलों पर नित्य अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपने शासकों को प्रशन्न करने को उनकी ही भाषा बोल रहे हैं। पर बिना जांच पड़ताल के राष्ट्रीय दलों पर आरोप लगाना, आईपीएस की आचार संहिता का उल्लंघन और राजनीति से प्रेरित है।
दोनों नेताओं ने वाराणसी, इटावा और रायबरेली में बलपूर्वक महिलाओं के आंदोलन को कुचलने की कार्यवाही की भी कड़े शब्दों में निन्दा की है। एक ओर भाजपा/ सरकार प्रायोजित रेलियों में धन देकर भीड़ जुटाई जारही है वहीं दूसरी ओर आक्रोशित लोग स्वतःस्फूर्त रूप से सड़कों पर उतर रहे हैं। इन स्वतःस्फूर्त आंदोलनों को कुचला जा रहा है। शासन प्रशासन में कोई इस दोगलेपन पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है। लोकतन्त्र में तानाशाही लंबे समय तक चल नहीं सकती, मोदीजी, शाह और योगीजी को समझना चाहिए।
जारी द्वारा-
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
कहा- आकाओं की भाषा बोल रहे हैं एसएसपी
लखनऊ- 24 जनबरी 2019, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश एवं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव ने वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के एक अंग्रेजी दैनिक ( इंडियन एक्सप्रेस ) में प्रकाशित उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसमें उन्होने कल वाराणसी के बेनियाबाग में हुये महिलाओं के धरने को वामदलों एवं कांग्रेस द्वारा आर्थिक मदद करने का आरोप लगाया है। दोनों नेताओं ने कहाकि इस बयान से वे बेहद खिन्न हैं और हमारे लाखों लाख कार्यकर्ताओं को भारी कष्ट हुआ है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में दोनों वाम नेताओं ने कहाकि वामपंथी दल जो भी आंदोलन करते हैं, जनवादी तरीके से, खुले तौर पर अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बलबूते करते हैं, इसके लिए किसीको धन नहीं देते। आम और गरीब जनता तथा शोषितों पीड़ितों के हितों के लिये समर्पित और पूंजीवाद का खुला विरोध करने वाले वामपंथियों को खुद ही अपनी गतिविधियों के लिये जरूरी धन जनता से जुटाना पड़ता है, यह शायद उक्त विद्वान अधिकारी भली भांति जानते होंगे। फिर बिना जांच पड़ताल के उन्होने वामपंथियों पर ऐसा आरोप लगाया यह आश्चर्यजनक ही नहीं निंदनीय भी है। यदि उनके पास किसी वामदल द्वारा ऐसा करने की सूचना है तो वे उसका नाम उजागर कर सकते हैं। देश की दोनों प्रमुख वामपंथी पार्टियां- भाकपा और माकपा उनके इस इस बचकाने आरोप का खुला खंडन करती हैं।
दोनों वाम नेताओं ने कहाकि भाजपा सरकार की जनविरोधी, विभाजनकारी और दमनकारी कार्यवाहियों से देश भर में भारी आक्रोश है। प्रतिक्रिया स्वरूप देश भर में सैकड़ों आंदोलन खड़े होगये हैं और करोड़ों स्त्री पुरुष, छात्र नौजवान, किसान मजदूर और बुध्दिजीवी सड़कों पर उतर रहे हैं। उससे बौखला कर भाजपा नेत्रत्व वामपंथी दलों और अन्य विपक्षी दलों पर नित्य अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपने शासकों को प्रशन्न करने को उनकी ही भाषा बोल रहे हैं। पर बिना जांच पड़ताल के राष्ट्रीय दलों पर आरोप लगाना, आईपीएस की आचार संहिता का उल्लंघन और राजनीति से प्रेरित है।
दोनों नेताओं ने वाराणसी, इटावा और रायबरेली में बलपूर्वक महिलाओं के आंदोलन को कुचलने की कार्यवाही की भी कड़े शब्दों में निन्दा की है। एक ओर भाजपा/ सरकार प्रायोजित रेलियों में धन देकर भीड़ जुटाई जारही है वहीं दूसरी ओर आक्रोशित लोग स्वतःस्फूर्त रूप से सड़कों पर उतर रहे हैं। इन स्वतःस्फूर्त आंदोलनों को कुचला जा रहा है। शासन प्रशासन में कोई इस दोगलेपन पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है। लोकतन्त्र में तानाशाही लंबे समय तक चल नहीं सकती, मोदीजी, शाह और योगीजी को समझना चाहिए।
जारी द्वारा-
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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