Press conference of CPI State Secretary Dr Girish
लखनऊ,27 सितम्बर 2013
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य काउंसिल के सचिव डा. गिरीश ने
आज यहां पार्टी के राज्य कार्यालय पर एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया।
प्रेस वार्ता का सारांश प्रस्तुत है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति का एजेंडा बदल देगी भाकपा की 30 सितम्बर को लखनऊ में होने वाली विशाल रैली :
आर्थिक
नवउदारवाद की नीतियों ने समूचे देश और उत्तर प्रदेश को आर्थिक, राजनैतिक
एवं सामाजिक हर तरह से जकड़ रखा है। देश और प्रदेश हर क्षेत्र में गिरावट के
संकट से जूझ रहा है। औद्योगिक, कृषि और सेवा क्षेत्र प्रत्येक में उत्पादन
में भारी गिरावट आई है। जीडीपी हो या विकास दर सभी में उल्लेखनीय गिरावट
दर्ज की जा रही है। डालर के मुकाबले रूपये की कीमत में भी अभूतपूर्व गिरावट
हुई है। परिणामस्वरूप आयात महंगा हुआ है और निर्यात सस्ता। निर्यात कम हुआ
है और आयात बढ़ा है। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ा है, बेरोजगारी बढ़ी
है, महंगाई बढ़ी है और भ्रष्टाचार ने भी सारी सीमाएं लांघ दी हैं। आम आदमी
का जीवन कठिन से कठिनतर हो चुका है। गत दो दशकों में संप्रग की सरकारें हो
या राजग की सरकारें - दोनों ने आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों को लागू किया
है और देश संकट के मौजूदा दौर में प्रवेश कर गया। सपा, बसपा तथा अन्य
क्षेत्रीय दलों ने भी अपने शासन में इन्हीं नीतियों को आगे बढ़ाया है। उत्तर
प्रदेश की मौजूदा सरकार आज भी खुले तौर पर इन्हीं नीतियों को आगे बढ़ा रही
है। यही वजह है कि आज उत्तर प्रदेश चहुंतरफा संकट का सामना कर रहा है।
इस संकट के चलते आम जनता -
खासकर किसानों, कामगारों, नवजवानों और मध्यम वर्ग सभी में भारी आक्रोश
व्याप्त है, जिसका सामना पूंजीवादी पार्टियां और उनकी सरकारें कर नहीं पा
रहीं हैं। उनके पास इस संकट से निजात दिलाने वाली नीतियां और कार्यक्रम भी
नहीं हैं।
अतएव इस जनाक्रोश को
विभाजित करके ही वे सत्ता में बने रहना चाहती हैं। भाजपा और संघ परिवार
इसके लिए घृणा और नफरत फैला कर साम्प्रदायिक हिंसा को भड़का रहे हैं तो
कांग्रेस इस विभाजन के विरोध के नाम पर वोट की राजनीति कर रही है। उत्तर
प्रदेश में भी भाजपा और संघ परिवार ने गत एक साल में छोटे बड़े लगभग 100
दंगे कराये और सपा की सरकार ने इन दंगों की आड़ में अल्पसंख्यक वोट समेटने
की ओछी राजनीति की। बसपा और लोक दल जैसी पार्टियां भी वोटों के ध्रुवीकरण
की आस में विभाजन की इस राजनीति को आगे बढ़ाने में जुटी रहीं। राजनैतिक दलों
की इस आंख मिचौली ने मुजफ्फरनगर की घृणित त्रासदी को अंजाम दिया जिसकी बड़ी
कीमत देश, समाज और आम जन को चुकानी पड़ रही है।
सत्ताधारी और विपक्षी दलों द्वारा पैदा की गई इस राजनैतिक जकड़बंदी को
आज तोड़े जाने की जरूरत है। इसे आन्दोलनों और संघर्षों के जरिये ही तोड़ा जा
सकता है। भाकपा लगातार इस दिशा में प्रयासरत है और स्थानीय से लेकर राज्य
एवं देश स्तर तक के एक के बाद एक आन्दोलन चलाती रही है।
इसी उद्देश्य से भाकपा ने ”महंगाई, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ,
सद्भाव, विकास और कानून के राज के लिए“ 30 सितम्बर को राजधानी लखनऊ में एक
विशाल रैली का आयोजन करने का निश्चय किया है। इस रैली के जरिये केन्द्र एवं
राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जायेगा तथा
साम्प्रदायिकता और जातिवाद के जरिये जनता को विभाजित करने की कोशिशों को भी
उजागर किया जायेगा। आम जनता के सवालों पर राष्ट्रपति और राज्यपाल को
सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा जायेगा। यह ज्ञापन ही आने
वाले दिनों में भाकपा द्वारा छेड़े जाने वाले आन्दोलनो ंका आधार बनेगा और
वामपंथी जनवादी ताकतों की एकता की धुरी बनेगा। भाकपा को उम्मीद है कि यह
रैली उत्तर प्रदेश की राजनीति को नई दिशा देने में कामयाबी हासिल करेगी।
प्रेस वार्ता में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश के साथ सह सचिव अरविन्द
राज स्वरूप एवं राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य अशोक मिश्रा भी उपस्थित थे।
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव
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