लखनऊ 30 सितम्बर। साम्प्रदायिकता, महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ 21 अक्टूबर को जेल भरो आन्दोलन आयोजित करने के फैसले के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा आज लखनऊ के ज्योतिबा फूले पार्क में रैली एवं विशाल जनसभा का समापन हुआ। जनसभा में उपस्थित हजारों की भीड़ ने प्रदेश में साम्प्रदायिक तथा अन्य विभाजनकारी ताकतों की काली करतूतों का मुंहतोड़ जवाब देने और शांति, सद्भाव एवं भाई चारा बनाये रखने के लिए हर संभव कोशिश करने का संकल्प लिया। जनसभा के पूर्व जिलों-जिलों से आये लगभग बीस हजार पार्टी कार्यकर्ताओं ने चारबाग रेलवे स्टेशन से एक जुलूस निकाला जो बर्लिंग्टन चौराहा, कैसरबाग, परिवर्तन चौक, स्वास्थ्य भवन, रूमी दरवाजा होते हुए ज्योतिबा फूले पार्क पहुंच कर जनसभा में परिवर्तित हो गया। जूलूस में प्रदर्शनकारी केन्द्र एवं राज्य सरकारों के खिलाफ गगनभेदी नारे लगा रहे थे।
जनसभा की शुरूआत में ही एक प्रस्ताव पेश किया गया जिसमें
मुजफ्फरनगर और उसके समीपवर्ती स्थानों पर हाल में हुए दंगों के लिए जहां एक
ओर साम्प्रदायिक भाजपा और उसके सभी संगठनों को दोषी ठहराया गया वहीं
साम्प्रदायिकता एवं दंगों का इस्तेमाल वोट की राजनीति करने के लिए समाजवादी
पार्टी को भी कठघरे में खड़ा किया गया। विभिन्न पूंजीवादी दलों के नेताओं
की दंगों में संलिप्तता को रेखांकित करते हुए समस्त घटनाक्रमों की सर्वोच्च
न्यायालय के परिवेक्षण में सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव एवं पूर्व सांसद एस. सुधाकर
रेड्डी ने अपने सम्बोधन में कहा कि लगातार बढ़ती चली जा रही महंगाई के कारण
आम आदमी की जिन्दगी दुश्वार हो गयी है। रूपये की कोई कीमत रह ही नहीं गयी
है। प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री दोनों देश की सम्पत्ति बढ़ने की बात करते
हैं लेकिन कुछ ही लोगों की सम्पत्ति बढ़ रही है जबकि अमीर-गरीब के बीच की
खाई दिनों-दिन गहरी होती चली जा रही है। संप्रग-2 सरकार के सात मंत्रियों
को भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ा परन्तु राजा
को छोड़कर कोई भी मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल नहीं गया। प्रधानमंत्री
कार्यालय पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार
में होने के कारण संप्रग-2 के मंत्रियों को अदालत से सजा मिले या न मिल
परन्तु कांग्रेस को जनता की अदालत में जरूर सजा मिलेगी।
भाजपा द्वारा मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किये जाने
पर टिप्पणी करते हुए एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने
से नीतियां नहीं बदलने वाली और नीतियों को बदले बिना महंगाई नहीं रोकी जा
सकती, भ्रष्टाचार नहीं रोका जा सकता और साम्प्रदायिकता पर अंकुश भी नहीं
लगाया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र को बचाना है, सभी के
लिए खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, सभी को इलाज मुहैया कराना है,
सभी को शिक्षा मुहैया करानी है तो वैकल्पिक नीतियों के लिए प्रतिबद्ध
विकल्प का निर्माण करना होगा जो बिना वामपंथ और विशेष कर भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी को मजबूत किये हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने जनता का आह्वान
किया कि वे आसन्न लोकसभा चुनावों में भाकपा के अधिक से अधिक प्रत्याशियों
को विजयी बनायें।
एस. सुधाकर रेड्डी ने उत्तर प्रदेष की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते
हुए कहा कि उत्तर प्रदेश देश का हृदयस्थल है और यह प्रदेश दुर्भाग्य से
आर्थिक दृष्टि से भी पिछड़ा है। यहां विकास के लिए वैकल्पिक नीतियों की
आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों से देश का सिर शर्म से
झुक गया है। हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक ताकतों के साथ-साथ सभी प्रमुख
राजनीतिक दलों ने खुल कर घृणित साम्प्रदायिक नफरत का खेल खेला है। शासक दल
भी वोट बटोरने की राजनीति में जुटा रहा और इतना बड़ा जघन्य काण्ड हो गया।
राज्य प्रषासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने में ढीढता एवं निष्क्रियता
का परिचय दिया। समाजवादी पार्टी की सरकार ने साम्प्रदायिक शक्तियों को समय
से रोकने में लापरवाही बरती है जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा खड़ी
की गई बाधाओं के बावजूद लखनऊ में एक मजबूत दस्तक देने के लिए पार्टी
कार्यकर्ताओं का अभिवादन करते हुए कहा कि डेढ़ साल पहले बसपा के कुशासन से
परेशान हाल जनता ने सपा को वोट देकर यह उम्मीद की थी कि वह जिन्दगी में कुछ
उजाला लायेगी परन्तु 16 माह में 1600 किसान आत्महत्या कर चुके हैं क्योंकि
चुनाव घोषणापत्र में किये गये वायदे के बावजूद किसानों के कर्जे माफ नहीं
किये गये। प्रदेश में श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है और
मुख्यमंत्री उद्योगपतियों से मशविरा करने में ही मशगूल रहते हैं। कन्या
विद्या धन का वायदा भी अधूरा रह गया। बेरोजगारी भत्ता भी कुछ हजार लोगों को
ही मिला बाकी अभी भी रास्ता देख रहे हैं। जितना लैपटॉप खरीदने में पैसा
खर्च नहीं अटल किया गया उससे ज्यादा उसके वितरण के कार्यक्रमों में खर्च हुआ।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने मुजफ्फरनगर और उसके आस-पास की घटनाओं
का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के बाद यह पहला मौका है जब एक लाख लोगों को
पलायन कर शिविरों में रहने को मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने प्रदेश सरकार
से सवाल किया कि कौन है इसका जिम्मेदार? उन्होंने कहा कि मोदी को
प्रधानमंत्री का प्रत्याशी भाजपा ने दंगे करवाने के लिए ही घोषित किया है
लेकिन 27 अगस्त से 7 सितम्बर तक सपा सरकार कर क्या रही थी? उन्होंने कहा कि
मुलायम परिवार अपने राजकुमार को मुख्यमंत्री की ट्रेनिंग दे रहा है और
उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ जनता उसका खामियाजा भुगत रही है। उन्होंने कहा कि
आज तक जो चला है वह आगे नहीं चलेगा, सरकार रहे या जाये, साम्प्रदायिकता को
हम चलने नहीं देंगे। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि संसद
में वामपंथ का प्रतिनिधित्व पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने 21 अक्टूबर
को जनता के सुलगते सवालों पर जिलों-जिलों में सफल सत्याग्रह करने का
आह्वान भी किया।
भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के सचिव एवं अखिल भारतीय किसान सभा के
महासचिव अतुल कुमार अंजान ने आज की रैली को उत्तर प्रदेश में राजनीतिक
सन्नाटे को तोड़ने वाली रैली बताते हुए कहा कि कुछ लोग लोकतांत्रिक
परम्पराओं को खत्म कर देना चाहते हैं। किसानों-मजदूरों के वोटों को छीनने
की तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कहती है ”मीलों हम आ
गये, मीलों हमें जाना है।“ परन्तु वह आम जनता को खाक में मिलाने की ओर बढ़
रही है। उन्होंने कहा कि जब अटल प्रधानमंत्री बने थे तो आटा 5 रूपये किलो
था, जब गये तो 12 रूपये किलो पहुंच गया था। इसी तरह हर जिन्स के दाम दो-तीन
गुने बढ़ गये थे। मोदी द्वारा लाल किला और लोकसभा का मॉडेल बनाकर भाषण करने
के अंदाज पर कटाक्ष करते हुए कहा कि व्याकुल मोदी न तो लाल किले की
प्राचीर से भाषण दे सकेंगे और न ही लोकसभा में अपनी बात रख सकेंगे।
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह जी संसद में बताते रहे कि पश्चिमी उत्तर
प्रदेश में साम्प्रदायिक शक्तियां काम कर रही हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में
उनकी गतिविधियों को रोकने के लिये उनकी सरकार ने कुछ भी नहीं किया।
भारतीय खेत मजदूर यूनियन के महामंत्री नागेन्द्र नाथ ओझा ने जनसभा को
सम्बोधित करते हुए कहा कि खेती, व्यापार, उद्योग, शिक्षा को जनोन्मुखी बनाने
के लिए नीतियां बदली जायें और वैकल्पिक नीतियों को लागू किया जाये।
उन्होंने कहा कि केवल किसान ही आत्म हत्या नहीं कर रहे हैं बल्कि ग्रामीण
मजदूर बड़ी संख्या में या तो भूखों मर रहे हैं या फिर आत्महत्या कर रहे हैं।
मनरेगा में काम नहीं मिलता। 12 करोड़ से ज्यादा के पास जॉब कार्ड हैं।
उनमें से केवल 4 करोड़ को ही मनरेगा में काम मिला, उसमें भी केवल 13 लाख को
ही साल भर में 100 दिन का काम मिला। उत्तर प्रदेश में तो हालात और ज्यादा
खराब रहे हैं - चाहे बसपा की सरकार रही हो या वर्तमान सपा की सरकार हो।
अनाज घोटाले में सैकड़ों मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन हैं। उन्होंने
कहा कि देश में सब कुछ संकट में है। व्यक्ति बदलने से काम नहीं चलेगा।
नीतियां बदली जायें। मोदी के नाम पर साम्प्रदायिकता भड़काई जा रही है। तालाब
में मछली पालने के बजाय लाश पालने वाले राजनीतिज्ञों से जनता का भला नहीं
होने वाला है। उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए
काम करने का आह्वान किया।
रैली को सम्बोधित करने वाले अन्य प्रमुख वक्ता थे - माकपा के राज्य
सचिव डा. एस. पी. कश्यप , फारवर्ड ब्लाक के राम दुलारे, एटक के राष्ट्रीय
सचिव सदरूद्दीन राना, अखिल भारतीय नौजवान सभा के अध्यक्ष आफताब आलम, अखिल
भारतीय स्टूडेन्ट्स फेडरेशन के अध्यक्ष परमजीत ढांबा। सभा का संचालन भाकपा
के राज्य सह सचिव अरविन्द राज स्वरूप ने किया। सभा की अध्यक्षता श्रीमती
हरजीत कौर, सुरेन्द्र राम, विश्वनाथ शास्त्री, अशोक मिश्र, इम्तियाज बेग,
विनय पाठक के अध्यक्षमंडल ने की।
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