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कामरेड ए बी बर्द्धन जी निस्संदेह सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी रहे हैं । यों तो अनेकों बार बर्द्धन जी को जन सभाओं में भी सुना है और पार्टी के कार्यक्रमों मे भी जिनसे उनके गहन विचारवान होने का आभास मिलता है। परंतु मैं उन क्षणों का स्मरण करना चाहता हूँ जब कामरेड बर्द्धन जी सुंदर होटल, राजा-की-मंडी स्थित भाकपा, आगरा के ज़िला कार्यालय पर अकेले ही निर्धारित समय से बहुत पहले आ गए थे । मैं तब वहाँ ज़िला कोषाध्यक्ष था और बेंच पर बैठ कर काम कर रहा था उस समय चचे के नाम से प्रसिद्ध कामरेड हफीज़ साहब भी किसी काम से बाहर गए हुये थे , अकेला मैं ही वहाँ था बर्द्धन जी ने दरवाजे पर आते ही ज़ोर से प्रणाम का उद्बोधन किया तब मैंने खड़े होकर उनका अभिवादन किया और बैठने का आग्रह किया। बर्द्धन जी ने बैठने के बाद मुझसे मेरा नाम, पिताजी का नाम, ज़िले के बारे में साधारण जानकारी भी ली और मुझसे काम करते रहने को कह कर खुद कामरेड जिलामंत्री के आने तक अखबार पढ़ते रहे।
उनके सदृश्य अन्य कामरेड्स का आभाव है। उनकी कमी निश्चय ही पार्टी की क्षति है। उनको लाल सलाम , उनका नाम और काम अमर रहेगा।
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