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राज नाथ जी! आप अब तक के सबसे कमजोर, बेबस व अगंभीर गृहमंत्री हैं
राज नाथ सिंह जी आप देश के अब तक के सबसे कमजोर, बेबस और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले गृहमंत्री के रूप में पहचान बना चुके हैं. आप देश और सरकार की भारी किरकिरी करा चुके हैं. अब बस भी कीजिए.rajnathsingh-intolerance
(मुकेश कुमार)
तथ्य नम्बर एक
14 फरवरी 2016 को राजनाथ सिंह जी ने कहा था कि “JNU की जो घटना हुई है,उसे लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद का भी समर्थन प्राप्त है. देश को इस हकीकत को भी समझना चाहिए.” राजनाथसिंह के इस कथन का आधार एक ट्विट था.
@HafeezSaeedJUD के हैंडल से एक ट्विट किया गया था जिसमें यह कहा गया था “हम अपने पाकिस्तानी भाइयों से गुजारिश करते हैं कि वो हमारे पाकिस्तान समर्थक JNU के भाइयों के लिए #SupportJUN को ट्रेंड करें. यह कितनी शर्मनाक बात है कि देश का गृहमंत्री कथित तौर पर एक फर्जी ट्विटर हैंडल के आधार पर किसी घटना में विदेशी शक्तियों का हाथ बताते हैं और जब इस पर आप से सुबूत मांगा जाता है तो आप साक्ष्यों को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं.
अगर आप सचे हैं और इस आरोप को गलत साबित करने के लिए कोई रिपोर्ट आपके पास है तो अब तक क्यों नहीं प्रस्तुत किया गया है. क्या इस घटना को सियासी रंग देने की एक चाल के रूप में नहीं देखा जा रहा है ? और अगर यह आरोप सही है तो यह बड़ी संगीन बात है.
राजनाथ सिंह को इसका साक्ष्य देना होगा. जिसमें देश का गृह मंत्री बिना किसी ठोस सबूतों के किसी संस्था पर देशद्रोह को बढ़ावा देने के लिए दोष आरोपित कर देते हैं. दूसरी तरफ लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद ने वीडियो रिलीज कर कहा कि JNU के पीछे उसका हाथ नहीं है.उसने कोई ट्विट नहीं किया. जिस ट्विटर खाते से ट्विट किया गया, वो फर्जी है. एक अन्य ट्विट में हाफिज सईद को यह कहते हुए पढा गया कि भारत की सरकार अपने ही नागरिकों को मेरे फेक अकाउंट से मूर्ख बना रही है.
राजनाथसिंह किसी पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर यह नहीं कह रहे हैं बल्कि यह देश के गृहमंत्री के तौर पर कह रहे हैं,अगर साक्ष्य है तो प्रस्तुत करे नहीं तो देश को गुमराह करने के लिए माफ़ी मांगें.
तथ्य नम्बर दो
राजनाथ सिंह जी, आप देश के कैसे गृहमंत्री हैं जिनको यह भी पता नहीं होता कि पठानकोट में आतंकी हमला खत्म हुआ या जारी है. यह आप ही थे जिन्होंने आनन-फानन में शाम 6.50 बजे ट्वीट कर घोषणा की कि पठनाकोट में सारे आतंकवादी मार गिराये गये. आप ही ने घोषणा की कि ‘देश को अपने सुरक्षा बलों पर गर्व है जो हमेशा वक्त पर तैयार रहते हैं.मैं पठानकोट में सफल कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों को सलाम करता हूं.’ जबकि यह अभियान लगातार पांच दिनों तक चलता रहा.आप कैसे गृहमंत्री हैं जिनको अपने देश के सैन्य अभियान के बारे में भी सही जानकारी नहीं मिलती है.
तथ्य नम्बर तीन- लाचारी
आपकी लाचारी और कमजोरी तब और दिखाई देती है जब आपके पसंदीदा नाम अजित लाल को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने संयुक्त ख़ुफ़िया कमिटी के मुखिया आर.एन. रवि को नगा शांति वार्ता हेतु नया वार्ताकार नियुक्त किया. इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के कारण आप अपने पसंदीदा व्यक्ति को निजी सचिव नहीं बना पाए.
तथ्य नम्बर चार- अज्ञानता
गृहमंत्री जी आप लाचार और अज्ञानी तब भी दिखते हैं जब एक संवाददाता सम्मलेन में यह पूछा जाता है कि ‘क्या गृह मंत्रालय हाफिज सईद के संगठन ‘जमात-उ-दावा’ को आतंकवादी संगठन मानता है.’ और आप अपनी बेबसी छुपाने के लिए हंसते हुए गलत जवाब देते हैं. सूत्रों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि JNU मामले को जिस तरह से हैंडल किया गया उसको लेकर अरुण जेटली से मतभेद था. जिस तरह से इस मामले को तूल दिया गया इस प्रकरण से अरुण जेटली असहमत थे. इससे अरुण जेटली और आपके बीच मतभेदों का भी पता चलता है.
तथ्य नम्बर पांच
शर्मिंदगी का एक और नमूना
पटियाला हाउस दिल्ली में कन्हैया पर हमला करने वाला विक्रम चौहान की आपके साथ की तस्वीर आपको कमजोर और शर्मिंदा करने के लिए काफी है. कन्हैया पर आक्रमण करके भी खुले घूम रहे थे और दिल्ली पुलिस ने तबतक गिरफ्तार नहीं किया जब तक कि एक टीवी स्टिंग में खुलासा नहीं हुआ. यह दिखाता है कि किस तरह आपकी पकड़ दिल्ली पुलिस पर है. यह आपको कमजोर और बेहद कमजोर बनाता है.
तथ्य नम्बर छह- कमजोर गृहमंत्री
राजन नाथ सिंह जी, पंकज सिंह मामले में आप के पर कतरे जा चूके है जो आप को और कमजोर बनाता है. जिस पद को आपने सुशोभित किया है कभी उसको लौह पुरुष सरदार पटेल ने भी धारण किया था.जिन्होंने भारत को मजबूत किया था.आप अपनी कमजोरी, अज्ञानता और अगंभीरता से देश और पद की गरिमा को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं. या तो अब बस कीजिए और खुद ही यह जिम्मेदारी किसी मजबूत कांधों को सौंप दीजिए.
About The Author
लेखक पंजाब विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो हैं.
http://naukarshahi.com/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%AA-%E0%A4%85%E0%A4%AC-%E0%A4%A4%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%95/
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सतीश वर्मा इशरत जहां मामले में गुजरात हाईकोर्ट की ओर से बनार्इ गई एसआईटी के सदस्य ------
इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई जांच में शामिल आईपीएस सतीश वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए बुधवार को कहा कि उसकी मौत पूर्वनियोजित हत्या थी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमारी जांच में पता चला है कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। गौर करने वाली बात ये है कि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि एक महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से कस्टडी में रखा गया और फिर मार डाला गया।’ वर्मा गुजरात हाईकोर्ट की ओर से बनार्इ गई एसआईटी के सदस्य थे।
वर्तमान में वर्मा शिलॉन्ग में नेपको में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने कहा,’ अब ऐसा हो रहा है राष्ट्रवाद और सुरक्षा के नाम पर एक गरीब और मासूम लड़की का नाम खराब किया जा रहा है जिससे कि इस अपराध में शामिल लोगों के माकूल माहौल बनाया जा सके।’ उन्होंने इशरत के लश्कर ए तैयबा आतंकी और आत्मघाती हमलावर होने का भी खंडन किया। वर्मा ने कहा कि जावेद शेख के संपर्क में आने के बाद वह अपने घर और परिवार से केवल 10 दिन दूर रही। एक आत्मघाती हमलावर और लश्कर का आतंकी बनाने के लिए लंबा समय लगता है। 303 राइफल को भी सही तरीके से चलाने के लिए 15 दिन का समय लगता है। जितने समय तक वह बाहर रही उसमें उसे फिदायीन नहीं बनाया जा सकता।
वर्मा ने पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि के आरोपों का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि पिल्लई इंटेलिजेंस अधिकारी नहीं है। सतीश वर्मा ने कहा कि मणि को मामले की सीधी जानकारी नहीं थी। मणि की ओर से लगाए गए आरोप पुराने हैं। बता दें कि मणि ने आरोप लगाया था कि उन्हें इस मामले में प्रताडि़त किया गया। सतीश वर्मा ने उन्हें सिगरेट से दागा।
http://www.jansatta.com/national/sit-officer-satish-varma-breaks-silence-ishrat-killing-was-premeditated-murder/73636/?utm_source=JansattaHP&utm_medium=referral&utm_campaign=national_story
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तो क्या यह ABVP, Zee News और ANI की मिलीजुली साज़िश है?
March 2, 2016March 2, 2016 admin आयोजन, टीवी, पड़ताल, परिसर, ख़ास ख़बर
ज़ी न्यूज़ और एएनआइ को पहले से पता था कि 9 फरवरी की शाम जेएनयू में देशविरोधी नारे लगने वाले हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एबीवीपी के छात्र नेता सौरभ शर्मा को पता था कि वहां देशविरोधी नारे लगने वाले हैं। ये दोनों बातें इसलिए सही हैं क्योंकि ज़ी और एएनआइ के संवाददाता सौरभ शर्मा के संपर्क से जेएनयू में कार्यक्रम कवर करने गए थे। indiaresists.com ने 9 फरवरी को जेएनयू के मुख्य द्वार के प्रवेश रजिस्टर का वह पन्ना प्रकाशित किया है जिसमें ज़ी और एएनआइ के प्रवेश की एंट्री दर्ज है। दोनों के ही संवाददाताओं ने जिस मुलाकाती का नाम लिखा है, वह एबीवीपी के नेता सौरभ शर्मा हैं।
सवाल उठता है कि सौरभ शर्मा को पहले से कैसे पता था कि वहां उस शाम देशविरोधी नारा लगने वाला है। सवाल यह भी है कि अगर मीडिया को बुलाना ही था तो उन्होंने बाकी मीडिया को क्यों नहीं बुलाया। आखिरी बात ये है कि कार्यक्रम कवर करने के लिए आए पत्रकारों ने मुलाकाती/संपर्क के कॉलम में सौरभ शर्मा का नाम क्यों डाला जबकि परंपरा जेएनयू के रजिस्ट्रार का नाम लिखने की रही है।
(साभार: इंडिया रेसिस्ट्स )
Tagged 9 February ANI Anti-national India Resists jnu Register Sedition Slogan Zee
http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:0l17W30E8KcJ:mediavigil.com/2016/03/02/%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258B-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25B9-abvp-zee-news-%25E0%25A4%2594%25E0%25A4%25B0-ani-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%259C%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2/+&cd=1&hl=en&ct=clnk&gl=in
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सोच समझकर हुआ था इशरत का मर्डर, झूठ बोल रहे हैं मणिः सतीश वर्मा
Posted on: March 03, 2016 10:59 AM IST | Updated on: March 03, 2016 12:23 PM IST
नई दिल्ली। इशरत जहां मामले में हर रोज एक नया पेंच सामने आ रहा है। सीबीआई जांच में सहयोग करने वाले और पूर्व एसआईटी चीफ सतीश वर्मा ने सामने आकर गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के आरोपों को निराधार बताया है। आईबी को फंसाने के लिए मणि को सिगरेट से दागने के उनके आरोप पर सतीश वर्मा ने कहा कि मणि झूठ बोल रहे हैं।
अदालत द्वारा इशरत जहां हत्या मामले में नियुक्त एक एसआईटी टीम के सदस्य रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सतीश वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ ये एनकाउंटर इशरत जहां की पूर्व नियोजित हत्या थी। इस सिलसिले में उन्होंने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के उन पर दबाव बनाए जाने के आरोपों को खारिज कर दिया।
सतीश वर्मा ने कहा कि हमारी जांच में पता चला कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा गया और फिर मार डाला गया। सतीश वर्मा मामले की जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) के सदस्य भी थे।
महाराष्ट्र के मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां को उसके तीन अन्य साथियों के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को मार डाला गया था। आरोप लगाया गया था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। बीते सप्ताह पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा था कि लश्कर के इस समूह को 2004 में आईबी ने ही गुजरात आने का लालच दिया था।
आईपीएस अधिकारी और एसआईटी सदस्य सतीश वर्मा ने आरवीएस मणि के आरोप को भी खारिज कर दिया. मणि ने आरोप लगाया था कि उन्हें सिगरेट के टुकड़ों से जला कर प्रताड़ित किया गया। मणि ने गुजरात हाई कोर्ट में केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मामला दायर किया था। उन्होंने एक हिंदी टीवी चैनल से कहा कि 19 वर्षीय एक लड़की की जान-बूझकर हत्या को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर बचाव नहीं किया जा सकता।
पूर्व एसआईटी चीफ वर्मा ने कहा कि सीबीआई जांच के दौरान ऐसी चीज कभी नहीं हो सकती। मान लीजिए ऐसा मैंने ऐसा किया है, अगर ऐसा है तो यह एक कसूर और अपराध है। मणि को पता होना चाहिए कि अगर ऐसा था तो वह मेरे खिलाफ कार्रवाई के लिए कानून का सहारा भी ले सकते है।
वर्मा ने मणि के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। वर्मा ने कहा कि मणि का उद्देश्य कुछ और है। वह केस को कमजोर करना चाहते हैं। पुलिस जांच में गवाहों के निवेदन रिकॉर्ड किए जाते हैं, गवाहों के हस्ताक्षर नहीं लिए जाते हैं। मणि भी इस मामले में गवाह थे। उनका जो भी बयान देना था उसपर हस्ताक्षर नहीं होता है इसलिए इसके लिए दबाव का प्रश्न ही नहीं है।
http://khabar.ibnlive.com/news/desh/former-sit-chief-satish-verma-terms-all-allegations-levelled-by-former-under-secretary-rvs-mani-on-him-as-baseless-457240.html
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एकाधिकारवादी दमन के और तीव्र होने की प्रबल संभावनाएं :
तमाम सरकारी एजेंसियों की झूठ को सही सिद्ध करने में विफलता के बावजूद संकीर्ण घोंघावादी लोग धड़ल्ले से JNUSU और इसके छात्रों तथा छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गुनहगार लिखते जा रहे हैं, इन लोगों द्वारा जनता को गुमराह करने हेतु कारपोरेट के सहयोग से लगातार अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन फिर भी जनता अब सच को पहचानने लगी है।
कल कन्हैया की रिहाई के समाचार के बाद मेरी श्रीमती जी ने कुछ ऐसे बच्चों से बात की जिनकी कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। वे सब बच्चे विभिन्न समाचार माध्यमों से JNU के घटनाक्रम पर नज़र रखे हुये थे। उन सब का साफ-साफ कहना है कि, सरकार अपने झूठे चुनावी वायदों को तो पूरा कर ही नहीं सकी बल्कि खाद्यान्न के दाम अनाप-शनाप बढ़ा दिये , नौकरियों में छटनी कर दी, नए पास करने वाले बच्चों को नई नौकरियाँ देने को हैं नहीं इसलिए सरकार ने जान-बूझ कर बच्चों का भविष्य चौपट करने के लिए कालेजों, यूनिवर्सिटियों पर हमला बोला था। सरकार पढ़ाई का साल बर्बाद कर देना चाहती है इसलिए कन्हैया को झूठा फंसाया गया है।
भावी कर्णधार बच्चों में फैल रही यह अवधारणा सरकार के लिए खतरे की घंटी है अतः सरकारी एकाधिकारवादी दमन के और तीव्र होने की प्रबल संभावनाएं नज़र आ रही हैं।
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1029591317102844&set=a.154096721318979.33270.100001559562380&type=3
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( विजय राजबली माथुर )
राज नाथ जी! आप अब तक के सबसे कमजोर, बेबस व अगंभीर गृहमंत्री हैं
राज नाथ सिंह जी आप देश के अब तक के सबसे कमजोर, बेबस और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले गृहमंत्री के रूप में पहचान बना चुके हैं. आप देश और सरकार की भारी किरकिरी करा चुके हैं. अब बस भी कीजिए.rajnathsingh-intolerance
(मुकेश कुमार)
तथ्य नम्बर एक
14 फरवरी 2016 को राजनाथ सिंह जी ने कहा था कि “JNU की जो घटना हुई है,उसे लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद का भी समर्थन प्राप्त है. देश को इस हकीकत को भी समझना चाहिए.” राजनाथसिंह के इस कथन का आधार एक ट्विट था.
@HafeezSaeedJUD के हैंडल से एक ट्विट किया गया था जिसमें यह कहा गया था “हम अपने पाकिस्तानी भाइयों से गुजारिश करते हैं कि वो हमारे पाकिस्तान समर्थक JNU के भाइयों के लिए #SupportJUN को ट्रेंड करें. यह कितनी शर्मनाक बात है कि देश का गृहमंत्री कथित तौर पर एक फर्जी ट्विटर हैंडल के आधार पर किसी घटना में विदेशी शक्तियों का हाथ बताते हैं और जब इस पर आप से सुबूत मांगा जाता है तो आप साक्ष्यों को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं.
अगर आप सचे हैं और इस आरोप को गलत साबित करने के लिए कोई रिपोर्ट आपके पास है तो अब तक क्यों नहीं प्रस्तुत किया गया है. क्या इस घटना को सियासी रंग देने की एक चाल के रूप में नहीं देखा जा रहा है ? और अगर यह आरोप सही है तो यह बड़ी संगीन बात है.
राजनाथ सिंह को इसका साक्ष्य देना होगा. जिसमें देश का गृह मंत्री बिना किसी ठोस सबूतों के किसी संस्था पर देशद्रोह को बढ़ावा देने के लिए दोष आरोपित कर देते हैं. दूसरी तरफ लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद ने वीडियो रिलीज कर कहा कि JNU के पीछे उसका हाथ नहीं है.उसने कोई ट्विट नहीं किया. जिस ट्विटर खाते से ट्विट किया गया, वो फर्जी है. एक अन्य ट्विट में हाफिज सईद को यह कहते हुए पढा गया कि भारत की सरकार अपने ही नागरिकों को मेरे फेक अकाउंट से मूर्ख बना रही है.
राजनाथसिंह किसी पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर यह नहीं कह रहे हैं बल्कि यह देश के गृहमंत्री के तौर पर कह रहे हैं,अगर साक्ष्य है तो प्रस्तुत करे नहीं तो देश को गुमराह करने के लिए माफ़ी मांगें.
तथ्य नम्बर दो
राजनाथ सिंह जी, आप देश के कैसे गृहमंत्री हैं जिनको यह भी पता नहीं होता कि पठानकोट में आतंकी हमला खत्म हुआ या जारी है. यह आप ही थे जिन्होंने आनन-फानन में शाम 6.50 बजे ट्वीट कर घोषणा की कि पठनाकोट में सारे आतंकवादी मार गिराये गये. आप ही ने घोषणा की कि ‘देश को अपने सुरक्षा बलों पर गर्व है जो हमेशा वक्त पर तैयार रहते हैं.मैं पठानकोट में सफल कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों को सलाम करता हूं.’ जबकि यह अभियान लगातार पांच दिनों तक चलता रहा.आप कैसे गृहमंत्री हैं जिनको अपने देश के सैन्य अभियान के बारे में भी सही जानकारी नहीं मिलती है.
तथ्य नम्बर तीन- लाचारी
आपकी लाचारी और कमजोरी तब और दिखाई देती है जब आपके पसंदीदा नाम अजित लाल को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने संयुक्त ख़ुफ़िया कमिटी के मुखिया आर.एन. रवि को नगा शांति वार्ता हेतु नया वार्ताकार नियुक्त किया. इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के कारण आप अपने पसंदीदा व्यक्ति को निजी सचिव नहीं बना पाए.
तथ्य नम्बर चार- अज्ञानता
गृहमंत्री जी आप लाचार और अज्ञानी तब भी दिखते हैं जब एक संवाददाता सम्मलेन में यह पूछा जाता है कि ‘क्या गृह मंत्रालय हाफिज सईद के संगठन ‘जमात-उ-दावा’ को आतंकवादी संगठन मानता है.’ और आप अपनी बेबसी छुपाने के लिए हंसते हुए गलत जवाब देते हैं. सूत्रों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि JNU मामले को जिस तरह से हैंडल किया गया उसको लेकर अरुण जेटली से मतभेद था. जिस तरह से इस मामले को तूल दिया गया इस प्रकरण से अरुण जेटली असहमत थे. इससे अरुण जेटली और आपके बीच मतभेदों का भी पता चलता है.
तथ्य नम्बर पांच
शर्मिंदगी का एक और नमूना
पटियाला हाउस दिल्ली में कन्हैया पर हमला करने वाला विक्रम चौहान की आपके साथ की तस्वीर आपको कमजोर और शर्मिंदा करने के लिए काफी है. कन्हैया पर आक्रमण करके भी खुले घूम रहे थे और दिल्ली पुलिस ने तबतक गिरफ्तार नहीं किया जब तक कि एक टीवी स्टिंग में खुलासा नहीं हुआ. यह दिखाता है कि किस तरह आपकी पकड़ दिल्ली पुलिस पर है. यह आपको कमजोर और बेहद कमजोर बनाता है.
तथ्य नम्बर छह- कमजोर गृहमंत्री
राजन नाथ सिंह जी, पंकज सिंह मामले में आप के पर कतरे जा चूके है जो आप को और कमजोर बनाता है. जिस पद को आपने सुशोभित किया है कभी उसको लौह पुरुष सरदार पटेल ने भी धारण किया था.जिन्होंने भारत को मजबूत किया था.आप अपनी कमजोरी, अज्ञानता और अगंभीरता से देश और पद की गरिमा को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं. या तो अब बस कीजिए और खुद ही यह जिम्मेदारी किसी मजबूत कांधों को सौंप दीजिए.
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लेखक पंजाब विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो हैं.
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03 मार्च,2016 |
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सतीश वर्मा इशरत जहां मामले में गुजरात हाईकोर्ट की ओर से बनार्इ गई एसआईटी के सदस्य ------
इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई जांच में शामिल आईपीएस सतीश वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए बुधवार को कहा कि उसकी मौत पूर्वनियोजित हत्या थी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमारी जांच में पता चला है कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। गौर करने वाली बात ये है कि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि एक महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से कस्टडी में रखा गया और फिर मार डाला गया।’ वर्मा गुजरात हाईकोर्ट की ओर से बनार्इ गई एसआईटी के सदस्य थे।
वर्तमान में वर्मा शिलॉन्ग में नेपको में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने कहा,’ अब ऐसा हो रहा है राष्ट्रवाद और सुरक्षा के नाम पर एक गरीब और मासूम लड़की का नाम खराब किया जा रहा है जिससे कि इस अपराध में शामिल लोगों के माकूल माहौल बनाया जा सके।’ उन्होंने इशरत के लश्कर ए तैयबा आतंकी और आत्मघाती हमलावर होने का भी खंडन किया। वर्मा ने कहा कि जावेद शेख के संपर्क में आने के बाद वह अपने घर और परिवार से केवल 10 दिन दूर रही। एक आत्मघाती हमलावर और लश्कर का आतंकी बनाने के लिए लंबा समय लगता है। 303 राइफल को भी सही तरीके से चलाने के लिए 15 दिन का समय लगता है। जितने समय तक वह बाहर रही उसमें उसे फिदायीन नहीं बनाया जा सकता।
वर्मा ने पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि के आरोपों का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि पिल्लई इंटेलिजेंस अधिकारी नहीं है। सतीश वर्मा ने कहा कि मणि को मामले की सीधी जानकारी नहीं थी। मणि की ओर से लगाए गए आरोप पुराने हैं। बता दें कि मणि ने आरोप लगाया था कि उन्हें इस मामले में प्रताडि़त किया गया। सतीश वर्मा ने उन्हें सिगरेट से दागा।
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तो क्या यह ABVP, Zee News और ANI की मिलीजुली साज़िश है?
March 2, 2016March 2, 2016 admin आयोजन, टीवी, पड़ताल, परिसर, ख़ास ख़बर
ज़ी न्यूज़ और एएनआइ को पहले से पता था कि 9 फरवरी की शाम जेएनयू में देशविरोधी नारे लगने वाले हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एबीवीपी के छात्र नेता सौरभ शर्मा को पता था कि वहां देशविरोधी नारे लगने वाले हैं। ये दोनों बातें इसलिए सही हैं क्योंकि ज़ी और एएनआइ के संवाददाता सौरभ शर्मा के संपर्क से जेएनयू में कार्यक्रम कवर करने गए थे। indiaresists.com ने 9 फरवरी को जेएनयू के मुख्य द्वार के प्रवेश रजिस्टर का वह पन्ना प्रकाशित किया है जिसमें ज़ी और एएनआइ के प्रवेश की एंट्री दर्ज है। दोनों के ही संवाददाताओं ने जिस मुलाकाती का नाम लिखा है, वह एबीवीपी के नेता सौरभ शर्मा हैं।
सवाल उठता है कि सौरभ शर्मा को पहले से कैसे पता था कि वहां उस शाम देशविरोधी नारा लगने वाला है। सवाल यह भी है कि अगर मीडिया को बुलाना ही था तो उन्होंने बाकी मीडिया को क्यों नहीं बुलाया। आखिरी बात ये है कि कार्यक्रम कवर करने के लिए आए पत्रकारों ने मुलाकाती/संपर्क के कॉलम में सौरभ शर्मा का नाम क्यों डाला जबकि परंपरा जेएनयू के रजिस्ट्रार का नाम लिखने की रही है।
(साभार: इंडिया रेसिस्ट्स )
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सोच समझकर हुआ था इशरत का मर्डर, झूठ बोल रहे हैं मणिः सतीश वर्मा
Posted on: March 03, 2016 10:59 AM IST | Updated on: March 03, 2016 12:23 PM IST
नई दिल्ली। इशरत जहां मामले में हर रोज एक नया पेंच सामने आ रहा है। सीबीआई जांच में सहयोग करने वाले और पूर्व एसआईटी चीफ सतीश वर्मा ने सामने आकर गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के आरोपों को निराधार बताया है। आईबी को फंसाने के लिए मणि को सिगरेट से दागने के उनके आरोप पर सतीश वर्मा ने कहा कि मणि झूठ बोल रहे हैं।
अदालत द्वारा इशरत जहां हत्या मामले में नियुक्त एक एसआईटी टीम के सदस्य रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सतीश वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ ये एनकाउंटर इशरत जहां की पूर्व नियोजित हत्या थी। इस सिलसिले में उन्होंने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के उन पर दबाव बनाए जाने के आरोपों को खारिज कर दिया।
सतीश वर्मा ने कहा कि हमारी जांच में पता चला कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा गया और फिर मार डाला गया। सतीश वर्मा मामले की जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) के सदस्य भी थे।
महाराष्ट्र के मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां को उसके तीन अन्य साथियों के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को मार डाला गया था। आरोप लगाया गया था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। बीते सप्ताह पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा था कि लश्कर के इस समूह को 2004 में आईबी ने ही गुजरात आने का लालच दिया था।
आईपीएस अधिकारी और एसआईटी सदस्य सतीश वर्मा ने आरवीएस मणि के आरोप को भी खारिज कर दिया. मणि ने आरोप लगाया था कि उन्हें सिगरेट के टुकड़ों से जला कर प्रताड़ित किया गया। मणि ने गुजरात हाई कोर्ट में केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मामला दायर किया था। उन्होंने एक हिंदी टीवी चैनल से कहा कि 19 वर्षीय एक लड़की की जान-बूझकर हत्या को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर बचाव नहीं किया जा सकता।
पूर्व एसआईटी चीफ वर्मा ने कहा कि सीबीआई जांच के दौरान ऐसी चीज कभी नहीं हो सकती। मान लीजिए ऐसा मैंने ऐसा किया है, अगर ऐसा है तो यह एक कसूर और अपराध है। मणि को पता होना चाहिए कि अगर ऐसा था तो वह मेरे खिलाफ कार्रवाई के लिए कानून का सहारा भी ले सकते है।
वर्मा ने मणि के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। वर्मा ने कहा कि मणि का उद्देश्य कुछ और है। वह केस को कमजोर करना चाहते हैं। पुलिस जांच में गवाहों के निवेदन रिकॉर्ड किए जाते हैं, गवाहों के हस्ताक्षर नहीं लिए जाते हैं। मणि भी इस मामले में गवाह थे। उनका जो भी बयान देना था उसपर हस्ताक्षर नहीं होता है इसलिए इसके लिए दबाव का प्रश्न ही नहीं है।
http://khabar.ibnlive.com/news/desh/former-sit-chief-satish-verma-terms-all-allegations-levelled-by-former-under-secretary-rvs-mani-on-him-as-baseless-457240.html
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एकाधिकारवादी दमन के और तीव्र होने की प्रबल संभावनाएं :
03-03-2016 |
कल कन्हैया की रिहाई के समाचार के बाद मेरी श्रीमती जी ने कुछ ऐसे बच्चों से बात की जिनकी कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। वे सब बच्चे विभिन्न समाचार माध्यमों से JNU के घटनाक्रम पर नज़र रखे हुये थे। उन सब का साफ-साफ कहना है कि, सरकार अपने झूठे चुनावी वायदों को तो पूरा कर ही नहीं सकी बल्कि खाद्यान्न के दाम अनाप-शनाप बढ़ा दिये , नौकरियों में छटनी कर दी, नए पास करने वाले बच्चों को नई नौकरियाँ देने को हैं नहीं इसलिए सरकार ने जान-बूझ कर बच्चों का भविष्य चौपट करने के लिए कालेजों, यूनिवर्सिटियों पर हमला बोला था। सरकार पढ़ाई का साल बर्बाद कर देना चाहती है इसलिए कन्हैया को झूठा फंसाया गया है।
भावी कर्णधार बच्चों में फैल रही यह अवधारणा सरकार के लिए खतरे की घंटी है अतः सरकारी एकाधिकारवादी दमन के और तीव्र होने की प्रबल संभावनाएं नज़र आ रही हैं।
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( विजय राजबली माथुर )
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