#कन्हैया : कैसे एक गर्वित भारतीय बन गया 'देशद्रोही'
यह 2007 की बात थी, दिल्ली में एक इंटर-यूनिवर्सिटी कल्चरल मीट में कार्यक्रम की शुरुआत से पहले छात्रों को एक घंटे तक बोलने का मौका दिया गया था। डिबेट में भाग लेने वाली कन्हैया कीे दोस्त और एआईएसएफ की सदस्य राहिला परवीन ने उस दौर को याद करते हुए कहा, 'इस डिबेट में कन्हैया ने पूरे जज्बे और दिल के साथ अपनी बात रखी थी। भले ही वह पुरस्कार नहीं जीत पाया था, लेकिन उसके भाषण से कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। इस भाषण प्रतियोगिता का टॉपिक था, मुझे भारतीय होने पर गर्व है।
अब करीब एक दशक बाद कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगा है । उसे देशविरोधी नारें लगाने के आरोप में गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल में डाल दिया गया था ।
उसको कोर्ट परिसर में दो दिन मारा पीटा गया , कुछ फर्जी देशभक्तों ने उसके साथ बदसलूकी की , मारपीट की और उसको लगातार टोर्चर किया गया ।
22 दिन जेल में रहने के बाद उसको जमानत मिली ।
अभी भी उसे जान से मारने की धमकी मिल रही है ।
अब कन्हैया युवा वर्ग की आवाज बनता जा रहा है । रातोंरात वह छात्रों का हीरो बन गया है । पढ़ा-लिखा और शिक्षित वर्ग उसके समर्थन में आ गये हैं । लोग उसको सुनना चाहते हैं ।
वो आम लोगों की बात उठा रहा है ।
वो कई आंदोलनों का पोस्टर बाॅय बन गया है ।
काॅग्रेंस पार्टी ने उसको अपने पोस्टर में बड़ी जगह दी है।
कन्हैया का खुद के प्रति आत्मविश्वास, जमीनी और ओजस्वी भाषण के चलते चर्चित है। यूट्यूब के एक विडियो में भी देखा जा सकता है कि सितंबर में जेएनयू चुनाव के दौरान वह कैसे प्रतिद्वंद्वी वामपंथी उम्मीदवार और कैसे वह '56 इंच की नकली छाती' पर हमला बोलता है। यही वजह थी कि कन्हैया के पक्ष में न्यूट्रल वोट भी पड़ा और वह जेएनयू में एआईएसएफ की ओर से पहला प्रेजिडेंट बना। उनके भाषण बताते हैं कि उन्हें कम्युनिस्ट पॉलिटिक्स में कितना विश्वास है। एक वक्त में छोटे कॉन्ट्रैक्टर रहे उनके पिता जय शंकर सिंह ने कहा, 'हमारा पूरा परिवार ही वामपंथी विचारधारा से जुड़ा रहा है।'
कन्हैया का परिवार ही नहीं बल्कि उनके गांव बीहट को भी इलाके में 'मिनी मॉस्को' के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पूरी दुनिया बदल सकती है, लेकिन यहां सीपीआई का सांगठनिक आधार हमेशा से मजबूत रहा है। सुबोध मालाकार ने कहा, 'बाजार में सीपीआई और इप्टा दोनों का ऑफिस है।'
कन्हैया के भाई बताते हैं कि कन्हैया ने स्कुली शिक्षा बरौनी और मोकामा से ली है और काॅलेज की पढ़ाई के लिए कन्हैया पटना चला गया था ।
एआईएसएफ के राष्ट्रीय महासचिव बिस्वजीत कुमार ने कहा कि कन्हैया कुमार ने 2002 में एआईएसएफ जॉइन किया था। तीन साल बाद ही वह मगध यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्रेजिडेंट चुने गए।
कन्हैया के दोस्त और पार्टी सदस्य बताते हैं कि बिहार से हजारों युवाओं की तरह वह भी सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दिल्ली आए थे। राहिला बताती हैं, 'कन्हैया ने बिहार पब्लिक सर्विसेज कमिशन की एक बार परीक्षा भी दी थी।'
#कन्हैया की जिंदगी के कुछ पहलू यह भी :-
कन्हैया ने कई इंटर-कॉलेज और इंटर-यूनिवर्सिटी प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीते।
रामधारी सिंह 'दिनकर', नागार्जुन और दुष्यंत की कविताओं को वह पसंद करते रहे हैं।
डफली बजाने और क्रांतिकारी गीत गाने का उन्हें पुराना शौक रहा है। इनमें से ही एक भोजपुरी गीत है 'कह बा ता लाग जाई धक से' भी है।
राजकपूर की मशहूर फिल्म श्री 420 का गीत 'दिल का हाल सुने दिलवाला' उनका पसंदीदा फिल्मी गीत है।
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