ग्यारह छात्र-युवा संगठनों की एक सम्मिलित गोष्ठी में 23 अप्रैल 2016 को मुंबई में जे एन यू , दिल्ली छात्र यूनियन की उपाध्यक्ष शहला राशिद ने बेहद तर्क-संगत व गंभीर उद्गारों की अभिव्यक्ति की। हालांकि एक छात्र नेता की हैसियत बताते हुये शहला ने अपनी बातों को रखा है परंतु वीडियो सुनने से लगता है कि, वह शिक्षात्मक दृष्टिकोण के साथ बोल रही थीं जो कि एक सराहनीय बात है। उन्होने अपने प्रदेश, महिला छात्राओं, किसानों,मजदूरों सभी की समस्याओं का उल्लेख करते हुये कहा कि उन पर हस्तक्षेप करना छात्रों का कर्तव्य है और वही कर्तव्य - पालन वह तथा उनके साथी कर रहे हैं। उन्होने यह भी कहा कि जिन विश्व विद्यालयों में छात्र संगठन नहीं हैं उनकी समस्याओं को भी उठाना उन सब का ही कर्तव्य है जिसको भी उन्हें मिल कर पूरा करना है। बंगलौर की महिला कपड़ा श्रमिकों की संघर्ष गाथा का उल्लेख करते हुये केंद्र सरकार को झुकाने के लिए उन्होने उनकी तारीफ की व उनसे प्रेरणा लेकर संघर्ष को बढ़ाने की बात कही।बंगलौर की एक भावुक घटना का उल्लेख करते हुये शहला ने बताया कि वहाँ जाने पर एक लड़की रोते हुये आकर उनके गले मिली और अपना दुखड़ा यह बताया कि उसका भाई और परिवार भाजपा का समर्थक है लेकिन उसको इन छात्रों की बात में सच्चाई लगती है इसीलिए वह परिवार से बगावत करके उनसे मिलने आई है। उन्होने एक दिन पूर्व की दिल्ली की घटना का उल्लेख करते हुये कहा कि जब वह अपनी पढ़ाई करके सोने जा रही थीं तभी उनको एक पूर्व आर एस एस कार्यकर्ता ने फोन करके सूचित किया कि वह कन्हैया , उमर , अनीबार्न के वीडियों देख सुन कर सच्चाई जान गया है और और लोगों को भी सच्चाई मानने के लिए प्रेरित कर रहा है।
शहला ने यह भी कहा कि कन्हैया के हाल में प्रवेश करते समय लोगों में जो उत्साह था वह केवल AISF के ही नहीं थे बल्कि विभिन्न संगठनों से सम्बद्ध थे लेकिन न्याय की लड़ाई में वे सब साथ हैं। उन्होने लोगों से लंबे संघर्ष के लिए व्यापक एकजुटता की अपील के साथ अपनी बात का समापन किया।
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