Sunday 18 September 2016

कन्हैया कुमार का लखनऊ में आह्वान ------ विजय राज बली माथुर


फोटो सौजन्य से अरविंद राज स्वरूप 


आज दिनांक 18 सितंबर 2016 को चारबाग स्थित रवींद्रालय में AISF,AIYF,NFIW आदि-आदि कई संगठनों की ओर से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता कामरेड डॉ गिरीश ने व  कुशल संचालन कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने किया जिसके मुख्य वक्ता लोकप्रिय छात्र नेता कन्हैया कुमार रहे। 

IPTA के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राकेश ने AISF,AIKS और PWA के स्थापना सम्मेलनों की धरती लखनऊ आगमन पर कन्हैया कुमार का हार्दिक स्वागत किया। उन्होने कन्हैया को यह भी याद दिलाया कि उनका प्रिय गीत ' आज़ादी '  जिसे उन्होने अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बना दिया है के रचियता रवीद्र नगर इसी लखनऊ के ही थे और यह भी कि, उनके बेगूसराय में जब IPTA के कार्यक्रम में इस गीत को गाया गया था तब कन्हैया ने बाल कलाकार के रूप में उसमें भाग लिया था। 

शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कन्हैया के संबंध में अपना यह शेर पढ़ा ---

किसी मासूम का अड़ियल रवैया ही यह काफी है 
बिहारी जाति का तो यह एक भैया ही अब काफी है 
तेरी कुर्सी के ढीले पेंच कसने के लिए दिल्ली में 
इस दौर का तो यह एक कन्हैया ही काफी है । 

खचाखच भरे हाल में लोग कन्हैया को सुनने के लिए आतुर थे और वे अन्य वक्ताओं की तकरीरों से काफी ऊब रहे थे । ऐसे माहौल में जब दिन के एक बज कर तेरह मिनट पर कन्हैया के भाषण की घोषणा की गई पूरे हाल ने करतल ध्वनि से अपने प्रिय युवा साथी के स्वागत में जोशीले नारों से हाल ही नहीं आस- पास के पूरे क्षेत्र को गुंजायमान कर दिया। जब कन्हैया ज़िन्दाबाद के नारे थमने का नाम नहीं ले रहे थे तब कन्हैया ने  01: 15 पर माईक संभालते  हुये लोगों से शांत रहने की अपील की उन्होने लोगों से कहा कि यह मोदी पद्धति है और उनको यह अच्छी नहीं लगती है अतः ऐसा न करा करें।लगभग 50 मिनट के अपने सम्बोधन में कन्हैया कुमार ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे और कहा कि वह समस्याएँ गिनवाने नहीं उनके समाधान के लिए जनता का सहयोग मांगने आए हैं। उन्होने कहा कि, यह उनकी दूसरी लखनऊ यात्रा है इससे पूर्व वह 2011 में AISF की 75 वीं वर्षगांठ में सम्मिलित होने के लिए आए थे। उनके भाषण की खास - खास बातें सार (संक्षेप ) रूप में प्रस्तुत हैं। 

कन्हैया कुमार ने कहा कि, गोष्ठियाँ समस्या का समाधान बताने के लिए की जानी चाहियें। जब समाधान की बात की जाएगी तब शासन - प्रशासन उत्पीड़न करेगा जिसका मुक़ाबला बिना वैचारिक प्रतिबद्धता के नहीं किया जा सकता है अतः इन गोष्ठियों के माध्यम से जनता को वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध करने के प्रयास होने चाहिए। उन्होने यह भी कहा कि, उनको पत्रकारों पर गुस्सा नहीं बल्कि तरस आता है अपनी रोज़ी -रोटी के लिए नौकरी करने वाले पत्रकारों की नहीं उनके नियंताओं की आलोचना की जानी चाहिए और उनके चंगुल से पत्रकारों को स्वतंत्र कराया जाना चाहिए। 

आज देश का प्रधान मंत्री एक कंपनी का सिम बेचने के लिए माडलिंग कर रहा है और बातें स्टार्ट अप इंडिया की करता है। इंडिया का स्टार्ट अप सेलफ़ी से,अफ्रीका में ढ़ोल बजाने से, गुजरात में बर्थ डे केक काटने से नहीं होगा। किसान और बुनकर तथा मजदूर का उद्धार किए बिना इंडिया स्टार्ट अप नहीं हो सकता। हमको इसी तरह की जुमलेबाजी से ही आज़ादी चाहिए। मोदी देश नहीं,संघ संसद नहीं और मनु स्मृति संविधान नहीं है इनके खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है। देश बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के अनुसार प्रस्तावना में वर्णित ' हम भारत के लोग' हैं। जब तक संविधान के अनुसार हम लोगों को आज़ादी नहीं मिलती हम संघर्ष करते रहेंगे। इसके विपरीत आज के नौजवानों के दिमाग में मोदी-मोदी का एंथम बजाया जा रहा है हमें इससे आज़ादी चाहिए। 

कन्हैया ने कहा कि, आज़ादी से पहले हमारा संगठन AISF साम्राज्यवाद से आज़ादी के लिए लड़ रहा था आज हम उनके चेले - चपाटों के शोषण से आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं। हमारे साथ आज़ादी के दीवाने निस्वार्थ लड़ रहे हैं । निश्चय ही संघिस्तान हारेगा और हिंदुस्तान जीतेगा। मोदी केवल मुसलमानों के खिलाफ द्वेष भड़का रहे  है उनको पता ही नहीं है कि कटिहार में मुस्लिम भी छठ पूजा करते हैं वह भारत की संस्कृति को जानते ही नहीं हैं और बात करते हैं भारतीय संस्कृति की। जब रोम  जल रहा था तो वहाँ का शासक नीरो बंसी बजा रहा था। आज कश्मीर से कन्या कुमारी तक हिंदुस्तान जल रहा है तब हमारा प्रधानमंत्री जन्मदिन का केक काट रहा है

इंसान को मशीन बना दिया गया है , समवेदनाएं नहीं बची हैं। मध्यम वर्ग की दशा भी  सोचनीय है    :


आने वाले चुनावों में धर्म और जातिवाद नहीं साधारण जनता का मुद्दा होना चाहिए। आज समस्या सिर्फ गरीबों , किसानों, मजदूरों की ही नहीं है । आज समस्या उनकी भी है जो कारपोरेट की सेवा में लगे हैं। श्रम कानून कहता है कि, आठ घंटे काम करने बाद अगर अतिरिक्त काम लिया जाता है तो उस अतिरिक्त समय का दो गुना ओवर टाईम देना होगा लेकिन मोदी सरकार इन श्रमिक कानूनों को बदल कर कारपोरेट मालिकों को अपने कर्मचारियों के शोषण का लाईसेंस देने जा रही है। कारपोरेट घरानों, मीडिया आदि संस्थानों में सेवा करने वालों को 16-16 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है जिसके लिए उनको कोई ओवर टाईम नहीं दिया जा रहा है। इंसान को मशीन बना दिया गया है , समवेदनाएं नहीं बची हैं। मध्यम वर्ग की दशा भी  सोचनीय है ।   नौकरी देने के नाम पर आज जो कंपटीशन हो रहे हैं वे लोगों को रिजेक्ट करने के लिए हैं । पढ़ाई भी केवल डिग्री खरीदने का साधन मात्र है, ज्ञान का नहीं। 
सरकारी पुलिस के लोग भी परेशान हैं। उन्होने एक उदाहरण देते हुये बताया कि उनके साथ चल रहे एक पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा कि उनको बातें तो उनकी पसंद हैं लेकिन वह उनके साथ खड़े नहीं हो सकते। इस पर कन्हैया ने कहा कि वह अगर उनके साथ खड़े हो गए तो उनको लखनऊ से लखीमपुर खीरी ट्रांसफर कर दिया जाएगा, समस्या तो यह भी है। 

कन्हैया ने कहा कि, वर्तमान व्यवस्था से देश की बहुसंख्यक आबादी परेशान है। उदाहरण के लिए उन्होने बताया कि, FDI से सबका रोजगार छिनेगा चाहे वह धार्मिक अल्पसंख्यक हो चाहे धार्मिक बहुसंख्यक। 

समाधान : 

भाषण का समापन करते हुये कन्हैया कुमार ने समस्याओं के समाधान भी प्रस्तुत किए। उन्होने कहा कि, किसान का कर्जा माफ होना चाहिए जिससे उसे आत्म- हत्या न करनी पड़े। छात्रों को आर्थिक सहायता - वजीफा मिलना चाहिए जिससे किसी को बीच में पढ़ाई न छोडनी पड़े। बेरोजगारों को रोजगार या बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए जिससे  लोग भूख से न मर सकें। 

उन्होने कहा कि ब्राह्मण वादी व्यवस्था आज राजनीति में चली गई है हमें इससे आज़ादी चाहिए। उन्होने कहा कि, ब्राह्मण होना अपराध नहीं है लेकिन यह सोचना कि, हमसे ऊपर कोई नहीं है यही ब्राह्मण वादी व्यसथा है जो अपराध है। उन्होने कहा कि जब शेख कहे कि, वह अंसारी में शादी नहीं कर सकता तो वह शेख ब्राह्मण वादी है। यादव ऐसा ही पटेल के लिए कहे तो वह यादव भी ब्राह्मण वादी है। आज राजनीति, अर्थ- व्यवस्था सभी जगह ब्राह्मण वाद है हमें इससे मुक्त होना होगा उसके बगैर समानता नहीं आ सकती। 

कन्हैया ने कहा कि, जब संविधान के अनुसार अंबानी और एक मोची का 'वोट' एक समान है तब दोनों का बच्चा एक ही स्कूल में क्यों नहीं पढ़ सकता? यह आज़ादी की लड़ाई अंबेडकर वाद और गोलवालकर वाद के बीच की लड़ाई है। इस लड़ाई में जीत अंबेडकर वाद की होगी। आर्थिक समानता और सामाजिक समानता की इस लड़ाई में ब्राह्मण वाद और जातिवाद बाधक है अतः उसके विरुद्ध शोषितों को एकजुट होना ही होगा और होंगे भी कन्हैया ने ऐसी आशा व्यक्त की। 

(कामरेड कन्हैया कुमार के विचार यू ट्यूब और फेसबुक पर सुनते - पढ़ते रहे हैं और उनको ब्लाग पर संकलित भी करते रहे हैं किन्तु प्रत्यक्ष रूप से  उनको देखने व सुनने का सुअवसर आज प्राप्त हुआ। जब कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने मेरे द्वारा कन्हैया से भेंट करते समय कहा कि, यह माथुर साहब हैं और उस पर मैंने पूरा नाम बताया तो कन्हैया ने सहज आत्मीयता से कहा कि,' आप तो लिखते रहते हैं। ' इतनी लोकप्रियता, इतने ज्ञान और प्राप्त हो रहे सम्मान के बावजूद कन्हैया कुमार में अहं छू भी नहीं रहा है। हम उनके सुंदर,स्वस्थ,सुखद समृद्ध उज्ज्वल भविष्य एवं दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हैं। ------ विजय राजबली माथुर )



Video :

फोटो सौजन्य से प्रदीप घोष 


Pradeep Ghosh
धमनियों मे जुँबिश भर देने वाली कहानियों की रचयीता किरन सिंह की पहली कहानी संग्रह 'यीशू की कीलें' का लोकार्पण आज 16.9.2016 को रवीन्द्रालय लखनऊ में नयी पीढ़ी के युवा चिंतक अन्याय केे विरुध्द लड़ने वाले, दलितों , अल्पसंख्यकों , कामगार लोगों के पक्षधर कन्हैया कुमार (JNU) द्वारा किया गया :
https://www.facebook.com/pradeep.ghosh.7587/posts/558041457737095

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19 सितंबर 2016 

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