30 स्तंबर 2013 की लखनऊ रैली में प्रस्ताव पेश करते हुये वरिष्ठ कामरेड अशोक मिश्रा |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की इस विशाल राज्य स्तरीय रैली में शामिल हजारों-हजार स्त्री पुरूष, किसान-कामगार, छात्र-नौजवान एवं तमाम आम जन मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में हाल ही में हुये बेहद खौफनाक-दर्दनाक साम्प्रदायिक दंगों, हिंसक वारदातों, बलात्कारों, आगजनी एवं लूटपाट की घटनाओं की घनघोर शब्दों में निन्दा करते हुये केन्द्र एवं प्रदेश सरकार से इस दंगे की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग करते हैं।
भाकपा की इस रैली में शामिल हम हजारों-हजार लोग मुजफ्फरनगर और उसके आस-पास के दंगों में मारे गये स्त्री, पुरूष एवं बच्चों के परिवारीजनों के प्रति हार्दिक वेदना का इजहार करते हुये, उनके प्रति अपनी शोक श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही सैकड़ों घायल जनों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं तथा लगभग एक लाख विस्थापित स्त्री, पुरूष, बच्चे जो शरणार्थी शिविरों में बेहद विषम परिस्थितियों में पनाह लिये हुये हैं, उनके शीघ्र घर वापसी की कामना करते हैं। हम राज्य सरकार से शीघ्र से शीघ्र भय रहित वातावरण बनाने तथा विस्थापितों की भरपूर आर्थिक सहायता कर यथाशीघ्र उनको उनके घरों में पहुंचाने की मांग करते हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की यह विशाल रैली इन साम्प्रदायिक दंगों के लिये जहां एक ओर साम्प्रदायिक भाजपा एवं उसके सभी संगठनों को पूरी तरह दोषी मानती है वहीं विभिन्न पूंजीवादी दलों के नेताओं की दंगों में संलिप्तता को भी रेखांकित करती है।
यह रैली प्रदेश के सत्ताधारी दल एवं उसकी सरकार की नीति और नियत पर सवाल खड़े करते हुये स्पष्टतः इसे शासन-प्रशासन की पूरी तरह विफलता करार देती है।
भाकपा की इस विशाल जन रैली का मानना है कि अपनी साम्प्रदायिक कारगुजारियों और नीतियों के लिए कुख्यात भारतीय जनता पार्टी आगामी लोक सभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना वोट बैंक मजबूत करने की नीति और नीयत के साथ पिछले दिनों से वहां लगातार साम्प्रदायिक वारदातों को अंजाम देती रही है। वोटों के अपने पक्ष में ध्रुवीकरण की मंशा से प्रदेश की शासक पार्टी भी इस खेल को शैतानी ढंग से आगे बढ़ाती रही और उसके नियंत्रण वाला शासन-प्रशासन खामोश तमाशबीन बन कर साम्प्रदायिक दंगों को और भयावह बनाता रहा। विभिन्न क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय पूंजीवादी दलों के स्थानीय नेता धर्मनिरपेक्षता का चोला उतार कर अपने-अपने सम्प्रदायों की मुजरिमाना पंचायतों में शामिल होते रहे जिसके चलते मुजफ्फरनगर दंगा प्रदेश के इतिहास का सबसे भयावह, क्रूर दंगा साबित हुआ।
उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी साम्प्रदायिक दंगे में लगभग एक लाख लोग अपना गांव-घर, माल-असबाब छोड़ कर शरणार्थी शिविरों में पनाह लेने के लिये विवश हुये हैं।
भाकपा की यह रैली मृतकों के परिवारीजनों को पर्याप्त मुआवजा एवं उनके पुनर्वास की मांग करती है। यह रैली घायलों का संपूर्ण समुचित इलाज कराने की मांग करती है। यह रैली विस्थापितों के पुनर्वास एवं गुमशुदा लोगों की तलाश की मांग करती है तथा साम्प्रदायिक ताकतों एवं दंगे के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग करती है। रैली की यह स्पष्ट राय है कि इन दंगों की जांच सीबीआई से कराई जाये।रैली में शामिल एक-एक साथी संकल्प लेता है कि वह प्रदेश में साम्प्रदायिक एवं अन्य विभाजनकारी ताकतों की काली करतूतों का मुंहतोड़ जवाब देगा और शांति एवं सद्भाव तथा भाई चारा बनाये रखने की हर संभव कोशिश करेगा ताकि प्रदेश के विकास का मार्ग प्रशस्त करने एवं शोषणवादी व्यवस्था को बदलने के संघर्ष को आगे बढ़ाया जा सके।
यह रैली उत्तर प्रदेश की तमाम जनता का भी आह्वान करती है कि वह उत्तर प्रदेश में हर कीमत पर सौहार्द बनाये रखे और विभाजनकारी, दंगाई और निहितस्वार्थी तत्वों की किसी भी साजिश को कामयाब न होने दें।
Comrade, I am from TamilNadu. As I do know Hindi , I would be pleased if find ur postings/messages in English.Thank u.
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