Friday, 2 January 2015

अदूरदर्शिता व राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचायक --- विजय राजबली माथुर


कामरेड अरविंद राज स्वरूप जी की  फेसबुक वाल पर उपरोक्त संदर्भित टैग देखा जिस पर किसी भी कामरेड की कोई प्रातक्रिया न देख कर मैंने अपना मूल्यांकन लिख दिया था।

  • Vijai RajBali Mathur भाकपा के इन पूर्व प्रत्याशियों का यह निर्णय उनकी अदूरदर्शिता व राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचायक प्रतीत होता है और यह भी आभास दिलाता है कि वे पार्टी में किसी प्रलोभनवश ही आए थे तथा उनका जन-सरोकारों से कोई वास्ता नहीं था। 
     उसके बाद कामरेड हक ने भी अपना रिमार्क लिखा है।

    • Nasirul Haque Yeh log kab se party men the aur istafa ka karan bhi likhana chahie

ज़िला सम्मेलन से पूर्व वरिष्ठ नेता गण  को इन दोनों की संदेहास्पद गतिविधिधियों की सूचना दी गई  थी। उन  दोनों को यह भी सूचित किया गया   था कि प्रो ए के सेठ साहब अगस्त में मेरे पास गिरीश जी के आदेश से आए थे और लगभग तीन घंटे अतुल अंजान साहब व एक -आधा घंटे गिरीश जी के विरुद्ध प्रवचन देते रहे थे जिस कारण मैंने अपने घर पर उनका प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था। ज्ञात हुआ है कि उसके बाद सेठ साहब राजपाल व महेंद्र के घर कई बार गए और काफी चर्चाएं करते रहे। ये लोग मुझे सूचित कर गए थे कि मुझको ज़िला सम्मेलन में भाग लेने से वंचित किया जा रहा है और नई काउंसिल में नहीं रखा जाएगा।  उस बात को भी उन दोनों  को मेसेज के जरिये बता दिया गया  था। परंतु किसी का नाम काट कर मुझे सम्मेलन में शामिल कर लिया गया उनकी दूसरी बात सही रही। क्योंकि मुझे किसी पद पर रहने या उसके जरिये अरनिंग नहीं करनी है इसलिए मुझे कोई फर्क भी नहीं है। 13 दिसंबर के प्रदर्शन और 26 दिसंबर के स्थापना दिवस कार्यक्रम  में ख़ालिक़ साहब ने बुलाया और मैं दोनों में उपस्थित भी रहा। नव-वर्ष पर ख़ालिक़ साहब समेत कुल चार कामरेड्स  से बात भी हुई। पलायनकर्ताओं   ने  बताया था कि ख़ालिक़ साहब ने इन लोगों को आशीर्वाद भी दिया है जबकि ख़ालिक़ साहब ने बताया कि अगर पार्टी के खिलाफ बयान देंगे तो इनको निष्कासित किए जाने की घोषणा कर देंगे जो कि वाकई ठीक है।
2012  के विधानसभा चुनाव में ख़ालिक़ साहब ही महेंद्र को पार्टी में लाये और मलीहाबाद से चुनाव लड़वाया तभी  उनके चुनाव एजेंट अकरम ने कह दिया था कि अगली बार इनको टिकट नहीं दिया जाएगा। राजपाल को महेंद्र लाये थे जिनको ख़ालिक़ साहब ने 2014 के उपचुनाव में लखनऊ पूर्व से टिकट दिलवाया और परिणाम के दिन ही एनुद्दीन ने घोषणा कर दी कि अगली बार इनको टिकट नहीं दिया जाएगा। अकरम और एनुद्दीन दोनों ही ख़ालिक़ साहब के दायें-बाएँ हैं और ख़ालिक़ साहब खुद अशोक मिश्रा जी के शिष्य हैं। अशोक मिश्रा जी ने गिरीश जी से कहा था कि इन लोगों से सिर्फ काम लेना चाहिए और कमांड नहीं देनी चाहिए ,खुद गिरीश जी यादवों से नफरत करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में प्रतीत होता है कि प्रो सेठ के माध्यम से अशोक मिश्रा जी ने इन दोनों को पार्टी छोडने का पाठ पढ़वाया होगा जिस पर इन लोगों ने बगैर कुछ भी सोचे-समझे अमल कर दिया है।इस संदर्भ में अशोक मिश्रा जी के ज़िला सम्मेलन के उदघाटन पर दिये गए भाषण से भी समझा जा सकता है:

पूर्व घोषणा के अनुसार विगत 23 नवंबर 2014 को भाकपा, लखनऊ का 22 वां ज़िला सम्मेलन आयोजित हुआ। प्रारम्भ में प्रदेश की ओर से पर्यवेक्षक महोदय ने इसका उदघाटन उद्बोद्धन दिया। अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रांतीय परिस्थितियों का सवा घंटे उल्लेख कर जब वह ज़िले की परिस्थितियों पर आए तो उनके असंतोष व आक्रोश का प्रस्फुटन हुआ।खुद बारह वर्ष लखनऊ के ज़िला सचिव व आठ वर्ष प्रदेश के सचिव रह चुके पर्यवेक्षक महोदय  जिलामंत्री जी से काफी खिन्न थे और उनकी सांगठानिक कार्य प्राणाली की तीखी भर्त्सना कर डाली। उनके द्वारा इंगित किया गया कि यह ज़िला सम्मेलन बगैर शाखाओं व मध्यवर्ती कमेटियों के सम्मेलन करवाए हो रहा है। उनके द्वारा यह भी उद्घाटित किया गया कि वह लखनऊ के ही हैं और यहीं रहने के कारण यहाँ की हर गतिविधि से बखूबी वाकिफ भी हैं। इस क्रम में उनके द्वारा साफ शब्दों में कहा गया कि वह मलीहाबाद और लखनऊ पूर्व से रहे प्रत्याशियों से काफी असंतुष्ट हैं क्योंकि उन दोनों ने संगठन के विस्तार पर कोई ध्यान ही नहीं दिया है। अपने गुस्से को और आगे बढ़ाते हुये कठोर शब्दों में इन दोनों को चेतावनी देते हुये उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश के किसान सभा नेता और खेत मजदूर यूनियन नेता कम्युनिस्ट पार्टी की रोटियाँ तोड़ रहे हैं वैसा ही ज़िले में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा भले ही ज़िले में ये संगठन बनें या न बनें। किन्तु उनके द्वारा महिला फेडरेशन के किए कार्यों का विशद गुण गान किया गया। उनके बाद बोलने आए इप्टा के राकेश जी व प्रलेस के शकील सिद्दीकी साहब उनके लंबे भाषण का ज़िक्र करना न भूले। अध्यक्ष मण्डल के सदस्य शिव प्रकाश तिवारी जी ने उनके विपरीत ज़िले से प्रत्याशी रहे दोनों युवा साथियों की भूरी-भूरी प्रशंसा की कि वे सुप्तप्राय पार्टी का झण्डा-बैनर लेकर जनता के बीच गए और उन दोनों ने पार्टी को पुनर्जीवित कर दिया। शिव प्रकाश जी ने किसान नेताओं की भी प्रशंसा करते हुये विशेष रूप से अतुल अंजान साहब के योगदान को याद दिलाया। जिला मंत्री की कमियों के बावजूद उनके धैर्य व संयम की भी शिव प्रकाश जी ने सराहना की। - See more at: http://krantiswar.blogspot.in/2014/11/blog-post_26.html#sthash.ddfr17lJ.dpuf
 पूर्व घोषणा के अनुसार विगत 23 नवंबर 2014 को भाकपा, लखनऊ का 22 वां ज़िला सम्मेलन आयोजित हुआ। प्रारम्भ में प्रदेश की ओर से पर्यवेक्षक महोदय ने इसका उदघाटन उद्बोद्धन दिया। अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रांतीय परिस्थितियों का सवा घंटे उल्लेख कर जब वह ज़िले की परिस्थितियों पर आए तो उनके असंतोष व आक्रोश का प्रस्फुटन हुआ।खुद बारह वर्ष लखनऊ के ज़िला सचिव व आठ वर्ष प्रदेश के सचिव रह चुके पर्यवेक्षक महोदय  जिलामंत्री जी से काफी खिन्न थे और उनकी सांगठानिक कार्य प्राणाली की तीखी भर्त्सना कर डाली। उनके द्वारा इंगित किया गया कि "यह ज़िला सम्मेलन बगैर शाखाओं व मध्यवर्ती कमेटियों के सम्मेलन करवाए हो रहा है। उनके द्वारा यह भी उद्घाटित किया गया कि वह लखनऊ के ही हैं और यहीं रहने के कारण यहाँ की हर गतिविधि से बखूबी वाकिफ भी हैं। इस क्रम में उनके द्वारा साफ शब्दों में कहा गया कि वह मलीहाबाद और लखनऊ पूर्व से रहे प्रत्याशियों से काफी असंतुष्ट हैं क्योंकि उन दोनों ने संगठन के विस्तार पर कोई ध्यान ही नहीं दिया है। अपने गुस्से को और आगे बढ़ाते हुये कठोर शब्दों में इन दोनों को चेतावनी देते हुये उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश के किसान सभा नेता और खेत मजदूर यूनियन नेता कम्युनिस्ट पार्टी की रोटियाँ तोड़ रहे हैं वैसा ही ज़िले में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा भले ही ज़िले में ये संगठन बनें या न बनें। "
http://krantiswar.blogspot.in/2014/11/blog-post_26.html 
पूर्व घोषणा के अनुसार विगत 23 नवंबर 2014 को भाकपा, लखनऊ का 22 वां ज़िला सम्मेलन आयोजित हुआ। प्रारम्भ में प्रदेश की ओर से पर्यवेक्षक महोदय ने इसका उदघाटन उद्बोद्धन दिया। अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रांतीय परिस्थितियों का सवा घंटे उल्लेख कर जब वह ज़िले की परिस्थितियों पर आए तो उनके असंतोष व आक्रोश का प्रस्फुटन हुआ।खुद बारह वर्ष लखनऊ के ज़िला सचिव व आठ वर्ष प्रदेश के सचिव रह चुके पर्यवेक्षक महोदय  जिलामंत्री जी से काफी खिन्न थे और उनकी सांगठानिक कार्य प्राणाली की तीखी भर्त्सना कर डाली। उनके द्वारा इंगित किया गया कि यह ज़िला सम्मेलन बगैर शाखाओं व मध्यवर्ती कमेटियों के सम्मेलन करवाए हो रहा है। उनके द्वारा यह भी उद्घाटित किया गया कि वह लखनऊ के ही हैं और यहीं रहने के कारण यहाँ की हर गतिविधि से बखूबी वाकिफ भी हैं। इस क्रम में उनके द्वारा साफ शब्दों में कहा गया कि वह मलीहाबाद और लखनऊ पूर्व से रहे प्रत्याशियों से काफी असंतुष्ट हैं क्योंकि उन दोनों ने संगठन के विस्तार पर कोई ध्यान ही नहीं दिया है। अपने गुस्से को और आगे बढ़ाते हुये कठोर शब्दों में इन दोनों को चेतावनी देते हुये उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश के किसान सभा नेता और खेत मजदूर यूनियन नेता कम्युनिस्ट पार्टी की रोटियाँ तोड़ रहे हैं वैसा ही ज़िले में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा भले ही ज़िले में ये संगठन बनें या न बनें। किन्तु उनके द्वारा महिला फेडरेशन के किए कार्यों का विशद गुण गान किया गया। उनके बाद बोलने आए इप्टा के राकेश जी व प्रलेस के शकील सिद्दीकी साहब उनके लंबे भाषण का ज़िक्र करना न भूले। अध्यक्ष मण्डल के सदस्य शिव प्रकाश तिवारी जी ने उनके विपरीत ज़िले से प्रत्याशी रहे दोनों युवा साथियों की भूरी-भूरी प्रशंसा की कि वे सुप्तप्राय पार्टी का झण्डा-बैनर लेकर जनता के बीच गए और उन दोनों ने पार्टी को पुनर्जीवित कर दिया। शिव प्रकाश जी ने किसान नेताओं की भी प्रशंसा करते हुये विशेष रूप से अतुल अंजान साहब के योगदान को याद दिलाया। जिला मंत्री की कमियों के बावजूद उनके धैर्य व संयम की भी शिव प्रकाश जी ने सराहना की। - See more at: http://krantiswar.blogspot.in/2014/11/blog-post_26.html#sthash.ddfr17lJ.dpuf
 व्यक्तिगत रूप से अपने बारे में वे लोग जानें किन्तु उनके बनवाए 75-80 पार्टी सदस्य अब उनके साथ ही जाएंगे यह निश्चित जानिए। जो लोग पैसा भी खर्च कर रहे थे और जिनके पास समर्थक भी थे उनको पार्टी छोडने पर मजबूर करके अशोक मिश्रा जी व ए के सेठ साहब ने पार्टी का किस प्रकार भला किया? ज़रा इस पर भी विचार होना चाहिए ही ।

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