Sunday, 20 September 2015

सच्चाई सामने आना ज़रूरी : बाजरवादियो द्वारा अनजान साहब पर प्रहार क्यों? --- विजय राजबली माथुर






State Council UP CPI को बाजारवादियों से आज़ाद करो। आज़ाद करो।--- Fakhrey Alam:


उत्तर प्रदेश में बाजारवादी/ब्राह्मण वादी लोग भाकपा पर हावी हैं जो बार-बार अनजान साहब को निशाना बनवाते हैं।टी वी चेनल्स में एक के पुत्र के माध्यम से इंनका प्रभाव है  जिसका इस्तेमाल अनजान साहब के विरुद्ध दुष्प्रचार में किया जाता है। इनके नायक का कहना है कि अनजान साहब को केंद्र में उन्होने भेजा है और प्रदेश सचिव की पीठ पर भी उनका हाथ है। पिछली अफवाह के बाद उन नायक साहब ने अनजान साहब से लगभग आधा घंटे फोन वार्ता द्वारा आश्वासन दिया था कि इस बार वह प्रदेश सचिव बदल देंगे। किन्तु आश्वासन पूरा किया नहीं और जिनको विकल्प के रूप में पेश करने की बात कही थी उनको इस बार के दुष्प्रचार का मुखौटा बना दिया गया। इतने से भी बात नहीं बनी तो माले के संपर्को को आगे किया गया है। 


उन बाजारवादी/ब्राह्मण वादी लोगों की निगाह '22-क़ैसर बाग' की बिल्डिंग पर लगी हुई है और वे इसके वारे-न्यारे करके मालामाल होना चाहते हैं। उनको लगता है कि 'अनजान' साहब उनके इस काले कारनामे में सबसे बड़ी बाधा हैं। अतः अनजान साहब को पार्टी से अलग कराने हेतु जब-तब अभियान चलवाते रहते हैं। ये तत्व पिछले 21 वर्षों में दो बार प्रदेश में पार्टी को विभाजित करा चुके हैं। इनके नायक की हिदायत है कि SC/OBC वर्ग के कार्यकर्ताओं से काम तो लो लेकिन उनको दायित्व न दो अर्थात पदाधिकारी न बनाओ। इसी वर्ष इन दो वर्गों से संबन्धित 
विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी रहे दो लोगों को अपने समर्थकों सहित पार्टी छोडने पर मजबूर होना पड़ा है। इन तथ्यों को जाने बगैर अनजान साहब पर प्रहार करने वाले लोग वस्तुतः बाजारवादी/ब्राह्मण वादी लोगों के मंसूबे पूरे कर रहे हैं बल्कि प्रकारान्तर से सत्तरूढ़ फासिस्ट सरकार को मजबूत बनाने में मदद कर रहे हैं।

'22-क़ैसर बाग' :

'22-क़ैसर बाग' स्थित पार्टी कार्यालय  भवन  राजा ब्रजेश सिंह जी जो स्वेतालना स्टालिन के पति थे द्वारा भाकपा को दान में प्रदान किया गया था। आज इस भवन की कीमत बाज़ार मूल्य से करोड़ों में होगी। इस भवन की ऊपरी मंज़िल में ऐसे किराएदारों को बसा दिया गया है जो पार्टी को अधिकृत रूप से किराया नहीं देते हैं। बाजार वादी पार्टी नियंत्रकों ने इस भवन को औने-पौने बेच कर निजी जेबों में धन भरने का मंनसूबा पाल लिया है। इस हेतु एक बार केयर टेकर कामरेड को भवन से हटाने का प्रस्ताव पास कर लिया गया था जिसे वयोवृद्ध कामरेड शिव प्रकाश तिवारी जी के 'सत्याग्रह' के कारण वापिस लेना पड़ा था। वे जानते हैं कि राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अनजान साहब के रहते वे इस 'भवन' को तीन-तेरह नहीं कर सकते हैं। इसी लिए कामरेड बर्द्धन जी  व अनजान साहब के विरुद्ध सुनियोजित अभियान चलाये जाते रहते हैं। जब तब उनके द्वारा पार्टी छोडने की झूठी अफवाहें उड़ाई जाती हैं। अपने अभियान में विफल रहने पर इस कड़ी में इनको अपने एक मोहरे को पार्टी से निष्कासित भी करना पड़ गया था। अब जिन वरिष्ठ कामरेड को 'मोहरा' बनाया गया है पहले उनको राज्यसचिव बना देने का फोन पर अनजान साहब को आश्वासन दिया गया था जिसे पूरा नहीं किया गया । अब उनको ही 'मोहरा' बना कर अंनजान साहब पर इसलिए प्रहार करवाया जा रहा है कि जिससे उनके विरुद्ध कारवाई करके उनको भी पहले मोहरे की भांति ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाये।  

पहले वाले निष्कासित मोहरे के कथन से स्पष्ट है कि सिर्फ अनजान साहब ही नहीं वरन बर्द्धन जी भी बाजरवादियों के निशाने पर हैं। इन बाजरवादियों को फासिस्टों से लड़ने की ज़रूरत नहीं है बल्कि उनको मदद करने के लिए अपनी पार्टी को ही तोड़ना चाहते हैं जिससे अफरा-तफरी के माहौल में वे आसानी से भवन को बेच कर मुनाफा कमा सकें। देश भर के पार्टी कामरेड्स को बर्द्धन जी व अनजान साहब पर बाजारवादियों के प्रहार की निंदा करनी चाहिए व पार्टी की जायदाद की रक्षा के लिए अनजान साहब व बर्द्धन जी का पुरजोर समर्थन करना चाहिए। 

इसी लिए साम्यवाद को समर्पित कार्यकर्ता का कहना है ---


State Council UP CPI को बाजारवादियों से आज़ाद करो। आज़ाद करो।--- Fakhrey Alam
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