Monday, 2 May 2016

विविधता में एकता वाले देश में एकल विचारधारा नहीं थोपी जा सकती ------ कन्हैया कुमार






पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हाल में मजदूर दिवस : पहली मई को ए आई एस एफ तथा ए आई वाई एफ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 'आज़ादी कार्यक्रम ' में जे एन यू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने शिक्षा को धर्म निरपेक्षता एवं वैज्ञानिक आधार पर समान रूप से सबको उपलब्ध कराने की मांग उठाई। नौजवानों, छात्रों तथा प्रबुद्ध जनों से खचाखच भरे हाल में कन्हैया को सुनने के लिए लोगों में तीव्र जिज्ञासा व उत्सुकता पाई गई। 

कन्हैया ने बेबाक कहा कि, जो लोग आज़ादी के आंदोलन को कुचलने के लिए अंग्रेजों की चापलूसी करते थे आज संविधान प्रदत्त जन अधिकारों को छीनने का कुचक्र रच रहे है और इसके लिए वे जातिगत व सांप्रदायिक आधार पर जनता को बांटने तथा आपस में लड़ाने का ताना बाना बुन रहे हैं। उन्होने देश की जनता से अपील की कि, हमें न्यूनतम सहमति के आधार पर अधिकतम एकता की बात करनी चाहिए और अपने देश की 'विविधता में एकता ' वाली संस्कृति की रक्षा के लिए खड़े होना चाहिए। एक रंग और एक  राग अलापने वालों से सावधान रह कर रंग- बिरंगी छटा बिखेरते हुये भारत को लोकतान्त्रिक समाजवादी व्यवस्था पर चलाने के लिए भेदभाव मूलक ब्राह्मण वाद एवं शोषण पर आधारित पूंजीवाद का विरोध करने का उन्होने जनता से आह्वान किया। 





1 comment:

  1. धर्मनिरपेक्ष इस देश की राजनीति का मूल आधार है,इसी मूल सिद्धान्त पर समाजिक व आर्थिक समानता का रास्ता हम ने खोजना है,अंग्रेज़ हकुमत ने,राजाओं की सहमति या उन्ह पर विजय प्राप्त करके शासन चलाया,इस शासन को कट्टर हिन्दुवादी व मुस्लिम व सामन्तों का पूरा पूरा समर्थन प्राप्त था, क्रान्तिकारी शक्तियाँ,रूस क्रान्ति से प्रभावित और महात्मा गान्धी ज्वाहरलाल की अगवाई में पूर्ण आजादी का सलोगन में वह सब धर्मे के लोग जो धर्मनिर्पेक्ष थे,जिन्ह का एक मात्र उद्देश्य भारत को आज़ाद कराना था,शामिल होकर देश को आजादी दिलवाई,किन्तु कट्टरवादी हिन्दु ताक़तो ने आजादी की लडाई में कोई हिस्सा नही लिया,आजादी मिलन के बाद,सामन्तों राजाओं,के साथ अपनी धार्मिक कट्टरता से,दलितों पर जुर्म करते रहे हैं,अब दूसरी आजादी लडाई ,धार्मिक कट्टरवाद,सामन्ती सोच और कारपोरेट पुन्जी वादी शोषण से मुक्ति के लिये सभी लोग जो इस सोच व समझ को मानते हैं सभी अन्तर्विरोधों को भुला कर मिल कर लड़नी है, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये ,संविधान और उस में दिये गये अधिकारो की रक्षा और समाजिक एकता बनाये रखना जरूरी है।

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