अलीगढ। ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एआईएसएफ) की जेएनयू अध्यक्ष राहिला परवीन सहित इस संगठन के कई नेताओं ने रविवार को एएमयू में आयोजित एक कार्यक्रम में मंच से अपनी बात कही। राहिला परवीन नेे कहा कि यह देश गांधी के ‘राम’ का है।
आरएसएस के ‘जय श्रीराम’ का नहीं। हम आरएसएस के ‘जय श्रीराम’ को नहीं आने देंगे। एआईएसएफ नेताओं ने कहा कि देशवासियों को ‘राम’ एवं ‘जय श्रीराम’ के अंतर को समझना होगा।
एआईएसएफ एवं अन्य वामपंथी नेताओं ने एएमयू इंपलाइज यूनियन कार्यालय में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए जेएनयू के कन्हैया को आजादी की दूसरी लड़ाई का योद्धा बताया। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के रोहित वेमुला मामले को दबाने के लिए फांसीवादी ताकतों ने जेएनयू प्रकरण को उछाल दिया। इसमें एबीवीपी के साथ तथाकथित राष्ट्रवादी टीवी न्यूज चैनल शामिल थे।
सुश्री परवीन ने रोहित वेमुला की तरफा इशारा करते हुए कहा कि वह उस मां की जय बोलेंगे जिसने जन्म देकर अपने लाल को अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा। शेर पर सवार हाथ में त्रिशूल एवं भगवा झंडा वाली आरएसएस की मां की जय नहीं बोलेंगे। उन्हाेंने कहा कि सीमा पर लड़ने वाले फौजी के किसान पिता आत्महत्या कर रहे हैं। इसकी चिंता सरकार को नही।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सेनानी 'भारत माता की जय’ नहीं ‘वंदे मातरम्’ एवं ‘जय हिंद’ बोलते थे। जबकि फांसीवादी ताकतें हर चीज को मजहब में बांटकर अपनी कुर्सी बचाने में लगी हैं। उन्हाेंने हिंदूवादी संगठनों पर व्यंग करते हुए कहा कि घर वापसी की बात करने वाले मुख्तार अब्बास नकवी की घर वापसी क्यों नहीं कराते? केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की सोच ब्राह्मणवादी है। ये सामंतवादी सोच से ग्रसित हैं।
विरोध में उठ रहे आवाज को दबा देना चाहते हैं, पर भूल गए हैं कि गांधी को मार जरूर दिया गया, पर वे आज भी जिंदा हैं। कार्यक्रम को प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब, एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी, भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश, डॉ. एम रहमान, डॉ. शमीम अख्तर आदि ने संबोधित किया। अध्यक्षता फनस एवं संचालन वीणा मरियम भार्गवी ने किया।
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