Friday 6 May 2016

कन्हैया नाम को सार्थक करें साथियों सहित 'अनशन ' छोड़ें ------ विजय राजबली माथुर




सुयश सुप्रभ
05-05-2016  
संघियों, अब तो आप ख़ुश हो गए होंगे। Kanhaiya एम्स पहुँच गए, वह भी बेहोशी की हालत में। आपको उनका हवाई जहाज से घूूमना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। आपके प्रभु मोदी जब अडानी के हवाई जहाज से घूमते हैं तब वह नेक काम कर रहे होते हैं। हमारे कन्हैया जब किसी आयोजक या संगठन के पैसे से हवाई जहाज में बैठते हैं तो आपका खाना नहीं पचता है। यह अपच असल में आपके वैचारिक ज़हर का नतीजा है।

कन्हैया उन तमाम युवाओं के प्रतिनिधि हैं जो शिक्षा को बाज़ार का माल बनाने से रोकना चाहते हैं। वे जब लड़ाकू विमानों पर 59,000 करोड़ रुपये खर्च करने पर सवाल उठाते हैं तो मीडिया को यह मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं लगता। वे जब नीतीश कुमार से समान स्कूली शिक्षा की बात करते हैं तो इस बात को सुर्खियों में जगह नहीं मिलती। मीडियाकर्मियों के बच्चे भी तो स्कूल जाते हैं। कल कॉलेज जाएँगे। क्या वे 15-20 लाख रुपये की सालाना फ़ीस देकर अपने बच्चों को पढ़ा पाएँगे? कन्हैया उनके बच्चों के सुरक्षित भविष्य की ही तो लड़ाई रह रहे हैं। इस तस्वीर को अपने अख़बारों, वेबसाइटों आदि में जगह दीजिए। कन्हैया आपकी ही लड़ाई लड़ रहे हैं। कमेटी का फ़ैसला देशद्रोहियों के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि शिक्षा को बाज़ार का माल बनाने का विरोध कर रहे एक्टिविस्टों के ख़िलाफ़ है।
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क्रूर फासिस्ट कैसा सोचते हैं 'आरती मिश्रा ' की टिप्पणी में देखें :

लेकिन बाजारवादी कारपोरेट समर्थक वामपंथी भी कन्हैया के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहे हैं उनको बेबाक जवाब यू पी के पूर्व गृह राज्य मंत्री की पुत्री साहिबा ने दिया है , वह सराहनीय व ध्यान देने योग्य है :
निर्मम ,निष्ठुर , निर्लज्ज फासिस्ट सरकार से लड़ने के लिए 'अनशन ' कारगर हथियार नहीं है अतः कन्हैया व उनके साथियों को तत्काल अनशन समाप्त कर 'शठे शाठ्यम ' मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
06-05-2016 

1 comment:

  1. कन्हैया और उसके साथियो को वर्तमान राजसत्ता के चरित्र को समझकर अपने संघर्ष की रणनीति तैयार करनी चाहिए.

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